बीएड में गरीब सवर्णों को नहीं मिला 10 प्रतिशत आरक्षण : बरेली


राजधानी समेत प्रदेश भर के बीएड कॉलेजों में गरीब सवर्णों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाया। बीएड पाठ्यक्रम में इनके लिए 10 प्रतिशत आरक्षण लागू ही नहीं किया गया है। रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय ने काउंसलिंग प्रक्रिया पूरी होने का हवाला देकर गेंद शासन के पाले में डाल दी है। शासन ने अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं आया।  विधान परिषद के सदस्य जयपाल सिंह 'व्यस्त' और विधान परिषद के सदस्य अरुण पाठक ने इस पर सवाल भी उठाया है। 10 प्रतिशत आरक्षण तत्काल लागू किए जाने की मांग उठाई है। 


मंजूरी दी गई लेकिन लागू नहीं किया 


बीएड दाखिले के लिए संयुक्त राज्य प्रवेश परीक्षा (जेईई)-2019 की जिम्मेदारी महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय को सौंपी गई । करीब सवा दो लाख सीट के लिए पांच लाख के आसपास अभ्यर्थी शामिल हुए। बीएड समेत गरीब सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था है। जिसकी मंजूरी एनसीटीई ने भी दे दी। लेकिन, इसे लागू नहीं किया गया। कॉलेज संचालकों का कहना है कि जबतक विश्वविद्यालय अनुमति नहीं देगा वह इस कोटे में दाखिले ही नहीं ले पाएंगे। गौरतलब है कि अगर बीएड में भी इसी सत्र से 10 प्रतिशत आरक्षण लागू हो कर दिया जाता तो करीब 21 हजार गरीब सवर्ण अभ्यर्थियों को लाभ मिलता।


बीएड की काउंसलिंग आठ जुलाई को खत्म हो चुकी है। सीट का आदेश बाद में आया। ऐसे में सीट बढ़ाने के फायदे और नुकसान की रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। उनके दिशानिर्देश पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
प्रो. अनिल शुक्ल, कुलपति, रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय



सरकार ने आरक्षण लागू कर दिया है। यह गरीब सवर्ण अभ्यर्थियों का हक है। प्रशासनिक लेटलतीफी में इसे न फंसाएं। इसकी व्यवस्था जल्द से जल्द की जानी चाहिए।