अपोलो मेडिक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल मे पहली बार की गई रिप्लेसमेंट अवेक सर्जरी


 


 


गोंडा निवासी 28 वर्षीय अब्दुल कलाम (28) जागता रहा और डॉक्टरों ने उसके दिल केवॉल्व बदल दिए। अब वह पूरी तरह से स्वस्थ है और अपनी दुकान खोलने की तैयारी में है। यह संभव किया कार्डियोथोरेसिक वैस्कुलर सर्जन डॉ. देवनराज और उनकी टीम ने। इसके लिए वॉल्व रिप्लेसमेंट अवेक सर्जरी (मरीज के होश में रहते हुए) की तकनीक अपनाई गई।


अपोलो मेडिक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के डॉ. विजयंत देवनराज ने बताया कि अब्दुल कलाम को करीब दो साल से सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। सीने में दर्द, अपच, भूख न लगने और वजन कम होने की समस्या थी। जांच करने पर पता चला कि उसे एओर्टिक रिगर्जिटेशन एलवी  डिसफंक्शन की समस्या है। उसके एक वॉल्व ने काम करना बंद कर दिया है। मरीज और उसके परिजनों को सर्जरी के बारे में जानकारी दी गई। मरीज की काउंसलिंग के बाद वह अवेक सर्जरी के लिए तैयार हो गया। उसे वेंटीलेटर पर नहीं रखा गया। यह सर्जरी करीब दो घंटे चली। डॉ. विजयंत का दावा है कि उत्तर भारत में एओर्टिक  वाल्व रिप्लेसमेंट अवेक सर्जरी पहली बार हुई है।


अवेक सर्जरी यानी मरीज पूरे होशोहवास में रहता है
इसमें मरीज पूर्ण चेतना अवस्था में रहता है। यह सर्जरी तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण होती है,  लेकिन सफलता दर अच्छी है। इसमें रोगी जागता रहता है और बात करता रहता है। उसे किसी भी प्रकार के दर्द का अहसास न हो, इसके लिए सर्जरी वाले स्थान को सुन्न किया जाता है। ऐसे में वह अपने आस-पास होने वाली गतिविधियों को जानता रहता है। मरीज ने बताया कि उसे यह पता चल रहा था कि उसके सीने पर सर्जरी की जा रही है।




सर्जरी क्यों है खास
सर्जरी के लिए हृदय संबंधी कोई दवाएं प्रयोग नहीं की गईं। उसे खून चढ़ाने की भी जरूरत नहीं पड़ी। इसमें करीब ढाई लाख रुपये खर्च हुए। मरीज को सप्ताहभर बाद अस्पताल से घर भेज दिया गया। अब वह फॉलोअप में आ रहा है। हॉस्पिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर व सीईओ डॉ. मयंक सोमानी ने बताया कि भविष्य में भी इस तरह के प्रयोग किए जाएंगे।





क्यों अपनाई यह तकनीक
डॉ. देवनराज ने बताया कि 2003 में पहली अवेक सर्जरी हुई थी। इसके बाद बेंगलुरु सहित अन्य बड़े शहरों के हार्ट सेंटर में इस तकनीक को अपनाया गया और परिणाम बेहतर दिखे। इस मरीज के फेफड़े में भी समस्या थी। सांस लेने में लगातार दिक्कत हो रही थी। ऐसे में नए प्रयोग के तहत अवेक सर्जरी प्लान की गई। इस तरह की सर्जरी में मरीज के कोमा में जाने की स्थिति का तत्काल पता चल जाता है। उसके शरीर का कोई हिस्सा काम करना बंद कर रहा है तो भी पता चल जाता है।