बाजार में बिकने वाली 80 फीसदी दवाएं जल्द सस्ती हो सकती हैं


 

 

देश में जल्द 80 फीसदी दवाओं की कीमतों में कमी आ सकती है। दवा निर्माता कंपनियों और कारोबारियों ने मूल्य नियंत्रण से बाहर रहने वाली दवाओं पर ट्रेड मार्जिन 30 फीसदी तक सीमित रखने पर सहमति जता दी है। केंद्र सरकार ने यह प्रस्ताव दवा उद्योग को दिया था, जिसकी स्वीकृति के बाद दवाएं सस्ती होने की उम्मीद है। 
 

दवा मूल्य नियामक, फॉर्मा कंपनियों और उद्योग संगठनों के बीच पिछले शुक्रवार को हुई बैठक में ट्रेड मार्जिन घटाने के प्रस्ताव पर सहमति जताई गई। इंडियन ड्रग मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन का कहना है कि ट्रेड मार्जिन घटाने से हमें कोई गुरेज नहीं है, लेकिन अन्य उत्पादों पर इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाना चाहिए। मामले से जुड़े सूत्रों का कहना है कि तमाम भारतीय और बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियां ट्रेड मार्जिन 30 तक सीमित करने पर पहले से राजी थीं। गौरतलब है कि दवा कंपनियां जिस दाम पर स्टॉकिस्ट को माल बेचती हैं और जो दाम ग्राहक से वसूला जाता है, उसके अंतर को ही ट्रेड मार्जिन कहा जाता है।

बड़ी कंपनियों पर ज्यादा असर


सरकार के इस कदम से जेनरिक क्षेत्र के साथ बड़ी फार्मा कंपनियों जैसे सन फार्मा, सिप्ला व ल्यूपिन पर ज्यादा असर पड़ने की संभावना है। उन्हें अपने उत्पादों का अधिकतम खुदरा मूल्य घटाना पडे़गा। इससे उपभोक्ताओं को लाभ मिलेगा और दवा उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा। हालांकि, कुछ विश्लेषकों का मानना है कि इससे दवाओं की कीमत पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि मूल्य नियंत्रण से बाहर रहने वाली अधिकतर दवाओं पर पहले से 30 फीसदी ट्रेड मार्जिन लागू है। इसमें रिटेलर का 20 फीसदी और होलसेलर का 10 फीसदी मार्जिन होता है।