पिता ने सब्जी बेचकर किया बेटी के सपने को साकार, अब विदेशों में मचा रही है धूम


आज बेटियां तमाम बाधाओं को लांघकर न सिर्फ अपना बल्कि शहर, प्रदेश और देश का नाम रोशन कर रही हैं। ऐसा ही एक नाम है भारतीय महिला हॉकी टीम की सदस्य मुमताज खान का, जिसने कदम-दर-कदम चुनौतियों का सामना कर अपना अलग मुकाम हासिल किया। मुमताज ने जिन हालात में यह सफर तय किया वो काबिल-ए-तारीफ है। बहुत ही साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाली मुमताज के पिता हफीज खान और मां कैसर जहां कैंट के तोपखाना इलाके में सब्जी का ठेला लगाते हैं।

 बकौल मुमताज 'बचपन से ही हॉकी में रुचि थी। तमाम परेशानियों के बाद भी परिवार ने पूरा सहयोग दिया। कुछ ठहर कर वे बतातीं हैं कि दरअसल स्कूली दिनों में मैं रनिंग किया करती थीं। 2011 में आगरा में एक दौड़ में हिस्सा लेने के दौरान हॉकी कोच नीलम सिद्दीकी की नजर पड़ी। उन्होंने पापा से मुझे हॉकी खिलवाने की सलाह दी


मुमताज बताती हैं कि अर्जेंटीना में यूथ ओलंपिक 2018 में जूनियर भारतीय टीम ने शानदार प्रदर्शन किया। खिताबी मुकाबले में भले ही हम अर्जेंटीना से हार गए, पर दर्शकों का दिल जीतने में हम कामयाब रहे। इस खिताबी मुकाबले का एकमात्र गोल खेल के 40वें सेकंड मे मैंने ही किया था। हालांकि पूरे टूर्नामेंट में मैंने 12 गोल किए थे।


डर-18 एशिया कप में भी ले चुकी हैं हिस्सा
2014 में लखनऊ हॉस्टल में प्रवेश मिलने के बाद मुमताज ने नीलम सिद्दीकी से प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया। मुमताज बताती हैं कि जूनियर नेशनल में यूपी की टीम में शानदार प्रदर्शन के लिए बतौर इनाम मेरा चयन थाईलैंड में होने वाली अंडर-18 एशिया कप के लिए हिंदुस्तान की टीम में हो गया। इसके बाद 2017 में ऑस्ट्रेलिया, 2018 में नीदरलैंड और बेल्जियम में जूनियर हॉकी में हिस्सा लेने का गौरव मिला।


फोर नेशन टूर्नामेंट में खेल रहीं मुमताज
वर्तमान में बेलारूस में फोर नेशन टूर्नामेंट में खेल रही मुमताज बताती हैं कि मेरा ख्वाब है कि ओलंपिक और एशियाई खेलों में हिंदुस्तान की टीम का हिस्सा बनूं और यादगार प्रदर्शन करूं।