अब आलू भी सताने लगा, दोगुने दाम पर बिक रहा


प्याज के बाद अब आलू की कीमतों में उछाल आ रहा है। दिल्ली समेत कई शहरों में इसकी खुदरा कीमत 25 से 30 रु./किलो तक पहुंच गई है, जबकि पिछले साल दिसंबर में 12 से 15 रु./ किलो थी। आने वाले दिनों में कीमतें बढ़ेंगी या घटेंगी? आइए जानते हैं विशेषज्ञ क्या कह रहे हैं...



कीमतों में इजाफा क्यों हुआ?
देश की प्रमुख मंडी आजादपुर (दिल्ली) में आजकल आलू की रोजाना आवक 1400 टन है, जो मांग से 50% कम है। आलू के आढ़ती प्रवीण कुमार और राजेंद्र शर्मा ने बताया कि पिछले साल रोजाना 150 ट्रक आलू आ रहा था, जबकि इस साल 75 ट्रक आ रहे हैं। देश की दूसरी मंडियों का भी यही हाल है। इसीलिए दाम बढ़ रहे हैं।



इस साल आवक क्यों कम है?
सेंट्रल पोटैटो रिसर्च इंस्टीट्यूट शिमला के डा. एनके पाण्डेय ने बताया कि अभी बाजार में उपलब्ध आलू सितंबर के अंत या अक्टूबर के शुरू में बाेया गया था, जोकि कच्ची फसल होती है। तब बारिश ज्यादा हुई, जिससे फसल खराब हो गई। 15 जनवरी के बाद नया आलू आएगा, लेकिन उत्पादन कम होने की आशंका है। 



अभी से कैसे कह सकते हैं उत्पादन घटेगा? 
डा. पाण्डेय ने बताया कि पिछले महीने तेज बारिश और ओलावृष्टि से खेत की मेढ़ खराब हो गई। खेत में पानी भरे होने, लगातार बादल छाए रहने, साथ ही अधिकतम तापमान 20 डिग्री से नीचे रहने से पिछेती झुलसा (खेत को खराब करने वाली बीमारी) की आशंका है। यूपी और पंजाब में पिछेती झुलसा का असर है। यूपी में देश का 32-35% आलू होता है। वहां नुकसान हुआ है तो जाहिर है कि 15 जनवरी के बाद आने वाली आलू की नई फसल भी प्रभावित होगी।



तो क्या कीमतें कम होने की उम्मीद नहीं है?
शायद नहीं। क्योंकि, यूपी में इस बार 5.75 लाख हेक्टेयर में आलू की बुआई हुई है, जबकि पिछले साल 6.10 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी। यानी 35 हजार हेक्टेयर कम। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कीमतें कम होने की उम्मीद कम है।



क्या सरकार आलू आयात नहीं कर सकती? 
भारत आलू का आयात नहीं करता है। क्योंकि, अभी तक किसी देश के साथ भारत का ऐसा कोई करार नहीं है। 


अब सरकार क्या कर सकती है? 
भाकियू के सचिव धर्मेंद्र मलिक ने बताया कि आलू बाजार में भले ही 30 रु./किलो बिक रहा है, लेकिन किसान को अब भी 5 रु./किलो ही मिल रहे हैं। इसका फायदा बिचौलिया उठा रहे हैं। सरकार चाहे तो बिचौलियों पर नकेल कस सकती है, जिसमें वह हमेशा ही नाकाम रहती है।