दुष्कर्म में नाबालिगों दोषियों को मिले निर्मम सजा: बॉम्बे हाईकोर्ट




 

बॉम्बे हाईकोर्ट ने पांच साल की बच्ची से दुष्कर्म के आरोपी की सजा बरकरार रखते हुए कहा कि नाबालिगों से यौन अपराधों के दोषियों को 'निर्मम और कठोरतम' सजा मिलनी चाहिए। जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण की पीठ ने शुक्रवार को दोषी सागर धुरी (29) की विशेष अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। विशेष अदालत ने सागर को दस साल की सजा सुनाई थी।
 

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा, इस तरह के अपराधों से निपटने के लिए स्पष्ट व्यवस्था है। ऐसी मानसिकता वाले लोग सभ्य समाज के लिए खतरा हैं और इसलिए उन्हें निर्ममता के साथ कठोरतम सजा दी जानी चाहिए। इस मामले में याचिकाकर्ता के सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है क्योंकि उसकी उम्र काफी है और उसे अपने कृत्य के नतीजे की भी जानकारी थी। 

अभियोजन के मुताबिक, ठाणे जिले में सागर पीड़िता का पड़ोसी था। अप्रैल, 2015 में उसने बच्ची को मोबाइल पर गाना दिखाने के बहाने से बुलाया और उससे दुष्कर्म किया। बच्ची का एक दोस्त खेलने के लिए उसे ढूंढ रहा था और उसने बच्ची को दोषी के घर में देखा और एक महिला को इसके बारे में बताया। 

महिला ने जब दोषी के घर के दरवाजे में छेद से अंदर झांका तो उसने सागर को बच्ची से दुष्कर्म करते हुए देखा। इसके बाद महिला ने आवाज लगाकर बच्ची को बाहर बुलाया और उसकी मां के पास ले गई। इसके बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई और आरोपी को हिरासत में लिया गया था।