कूड़े से कागज बिनने से मेयर बनने तक- राजेश कालिया


राजेश कालिया, जो कभी कूड़े से कागज बीनते थे और उसे बेचकर अपना और परिवार का पेट भरते थे। उन्होंने मेयर बनकर विरोधियों का ऐसा करारा जवाब दिया कि उत्तर किसी के पास नहीं।


मेयर शहर का पहला नगारिक होता है। इसलिए जिम्मेदारी बनती है कि कुछ गलत हो तो वह पक्षपात न करते हुए न्याय करे। इसके साथ शहर के विकास में सतत प्रयास करते हुए नई योजनाओं को लागू करे। पक्ष और विपक्ष का सामंजस्य बनाकर योजनाओं को लागू करना ही सफल मेयर की पहचान है। मेरे कार्यकाल में मेरे मामा कृष्ण कुमार चड्ढा ने नियमों को तोड़ा तो उसे सस्पेंड कराया।

कमिश्नर केके यादव का सहयोग मिला तो कई महत्वकांक्षी और सालों से लटकी योजनाओं को परवान चढ़ाया


कमिश्नर ने समझाईं योजनाएं, कभी अटकी नहीं फाइल


मेयर ने बताया कि अधिकारी और जनप्रतिनिधि के बीच सामंजस्य अच्छा होना चाहिए। इससे शहर की कोई योजना नहीं अटकेगी। कई बार निगम की योजनाएं समझ नहीं आती थीं तो कमिश्नर खुद बैठकर पूरी योजना के बारे में बताते थे। इससे मुझे अपने पार्षदों तक बात पहुंचाने में आसानी होती थी। वहीं सदन में भी बेहतर तरीके से सवालों के जबाव दे पाता था।

विवादों से रहा नाता, अटकी योजनाओं को पार लगाया
मेयर ने कहा कि कुछ समय आचार संहिता में निकल गया तो कुछ अपनों को समझाने में, लेकिन इन सबके बावजूद अपने कार्यकाल में ऐसे मुद्दों को हल किया जो सालों से अटके थे। साथ ही विवादित योजनाओं को भी अंजाम तक पहुंचाया है। चूंकि इन प्रोजेक्ट में पहले भी कई अन्य मेयरों की मेहनत थी, लेकिन उन्हें अपने कार्यकाल में लागू कराना मेरे लिए बड़ी उपलब्धि है। एक कूड़ा बीनने वाले से मेयर की कुर्सी तक  का सफर तय करने में मुश्किलें काफी आईं, लेकिन आज सुकून मिलता है।

दिशा ठीक नहीं मिली इसलिए विवादित रहा मैं
मेयर ने अपने खिलाफ दर्ज मामलों केबारे में बताया कि बचपन कुछ इस तरह का बीता कि बस रोजी रोटी की चिंता रहती थी। हमारा लक्ष्य केवल भोजन होता था। ऐसे में संगति ऐसी रही कि अपराध की दुनिया में भी नाम आने लगा, लेकिन जब एक अच्छी दिशा मिली तो अपने को संवारा, आगे बढ़ाया। यही कारण रहा कि विवादित जीवन की सुर्खियां बनने के बाद भी पार्टी ने मेयर बनाया।

जाति को लेकर आई समस्या, बाद में सब ठीक हो गया
मेयर ने कहा कि शुरुआत में जाति को लेकर थोड़ी समस्या रही। कई बार अफसर भी थोड़ा पीछे हटते थे, लेकिन फिर मैंने खुद आगे बढ़कर सभी को समझाया। धीरे-धीरे कार्यकाल आगे बढ़ता गया और जाति के आधार पर दूर भागने वाले लोग भी मेरे साथ चाय पीने लगे।

मेरे कार्यकाल में मिली 300 लोगों को नौकरी
काम के दौरान जिन कर्मचारियों की मृत्यु हो गई। उनके परिजनों को सहयोग देना हमारी जिम्मेदारी है। ऐसे ही 300 परिवारों से एक-एक व्यक्ति को आउटसोर्स पर नियुक्ति दिलाई। इतने बड़े स्तर पर कभी किसी मेयर के कार्यकाल में भर्ती नहीं हुई।

ओपन दरबार की प्रक्रिया शुरू की, राजशाही प्रथा खत्म की
मेयर ने कहा कि जब मैं मेयर बना तो एक राजशाही कुर्सी होती थी। जिस पर मेयर बैठता था, लेकिन मैं सेवक ह्रूं राजा नहीं। इसलिए कुर्सी बदलवाई। मेयर रहते हुए मैंने ओपन दरबार की व्यवस्था शुरु की, ताकि कोई बिना मिले न लौटे। आगे आने वाले मेयर के लिए चुनौती होगी कि वह कैसे इस व्यवस्था को चलाते हैं।

वेंडरों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी
वेंडरों को शिफ्ट करने का फैसला हाईकोर्ट का है, लेकिन वेंडिंग जोन में बेहतर व्यवस्थाएं देंगे इस बात का वादा है।