विलय होंगे १० बैंक नहीं जाएगी किसी कर्मचारी की नौकरी: अनुराग ठाकुर


 

सरकार ने मंगलवार को राज्यसभा को भरोसा दिलाया कि 10 सरकारी बैंकों के विलय से कोई नौकरी नहीं जाएगी और कर्मचारियों के हितों की रक्षा की जाएगी। सरकार ने वैश्विक स्तर के आकार के और मजबूत बैंक तैयार करने के लिए अगस्त में 10 सरकारी बैंकों के विलय से चार बैंक खड़े करने की योजना का एलान किया था।
 

प्रश्नकाल के दौरान वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि कोलकाता के दो बैंकों के विलय से पूर्वी राज्यों में उधारी और बैंकिंग सेवाओं में सुधार देखने को मिलेगा। यूनाइटेड बैंक (यूबीआई) का विलय पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के साथ, वहीं इलाहाबाद बैंक का इंडियन बैंक के साथ विलय किया जाएगा। इन दोनों बैंकों के मुख्यालय कोलकाता में हैं।

उन्होंने कहा, 'बैंकों के विलय से कर्ज देने की क्षमता ब़ढ़ेगी। साथ ही यह सुनिश्चित किया गया है कि किसी व्यक्ति की नौकरी नहीं जाए। विलय होने वाले बैंक के कर्मचारियों को इससे सबसे ज्यादा फायदा होगा। उनके हित को ध्यान में रखते हुए विलय किया जा रहा है।'

एनपीए में बदले 3 फीसदी मुद्रा कर्ज


सरकार ने कहा कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) के अंतर्गत दिए गए 6.04 लाख करोड़ रुपये के कर्जों में से लगभग 3 फीसदी बैड लोन में तब्दील हो गए हैं। अनुराग ठाकुर ने एक लिखित जवाब में कहा कि कर्ज आवेदन खारिज करने, प्रक्रिया में देरी और ऋणदाता के गिरवी पर जोर देने सहित पीएमएमवाई के कार्यान्वयन से जुड़ी शिकायतों का समाधान संबंधित बैंकों के साथ मिलकर किया गया है। ठाकुर ने कहा, 'अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों से मिली सूचना के अनुसार, कुल 6.04 लाख करोड़ रुपये के मुद्रा कर्ज में से 17,251.52 करोड़ रुपये एनपीए में तब्दील हो गए हैं, जो लगभग 2.86 फीसदी के बराबर है।'

सरकारी विभागों पर बिजली के 41,700 करोड़ बकाया


केंद्रीय बिजली मंत्री आर के सिंह ने राज्यसभा में कहा कि राज्य सरकार के विभागों पर बिजली वितरण कंपनियों के 41,700 करोड़ रुपये बकाया हैं और राज्यों से समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए कह दिया गया है। मंत्री ने बताया कि समेकित तकनीक और वाणिज्यिक (एटीएंडसी) हानियां 22 फीसदी से घटकर 18 फीसदी रह गई हैं। सिंह ने कहा, 'उदय योजना से कुछ सुधार देखने को मिला है।' उन्होंने कहा कि ज्यादातर वितरण कंपनियां महंगाई और इनपुट लागत में बढ़ोतरी की भरपाई के लिए टैरिफ में बदलाव कर रही हैं।

दिवालिया कानून: 10,860 मामले लंबित


दिवालिया कानून के अंतर्गत सितंबर, 2019 तक लगभग 10,860 मामले राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण में लंबित थे। अनुराग ठाकुर ने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में कहा, 'एनसीएलटी द्वारा उपलब्ध आंकड़ों के तहत उसकी विभिन्न पीठों में 30 सितंबर, 2019 तक कुल 19,771 मामले लंबित थे, जिनमें से 10,860 दिवालिया कानून से संबंधित हैं।' एक अलग जवाब में मंत्री ने कहा कि आईबीसी, 2016 अंतर्गत फाइल किए गए 18,782 मामलों में से 2,173 जून, 2019 तक स्वीकार कर लिए गए थे।

19 लाख से ज्यादा डीआईएन किए गए निष्क्रिय 


कंपनी मामलों के मंत्रालय ने कंपनी कानून के अंतर्गत केवाईसी नहीं कराने पर लगभग 19 लाख से ज्यादा निदेशक पहचान संख्या (डीआईएन) निष्क्रिय कर दी गईं। किसी व्यक्ति को एक कंपनी के बोर्ड में शामिल होने के लिए मंत्रालय द्वारा जारी डीआईएन की जरूरत होती है। वहीं बीते दो साल में मंत्रालय द्वारा 4.24 लाख निदेशकों को अपात्र घोषित किया जा चुका है।