बॉम्बे हाई कोर्ट की उद्धव सरकार को फटकार, पूछा- मूर्तियों के लिए पैसा, स्वास्थ्य के लिए नहीं


सरकार बाबा साहेब अम्बेडकर की प्रतिमा सरदार वल्लभ भाई पटेल से ऊंची बनाना चाहती है. इसके लिए उनके पास पैसा है लेकिन बाबा साहेब अम्बेडकर पूरी जिंदगी जिन गरीबों की नुमाइंदगी करते रहे, वो मर सकते हैं?” बॉम्बे हाई कोर्ट ने इन शब्दों के साथ महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाई है. जस्टिस एससी धर्माधिकारी और ​जस्टिस आरआई चागला की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा, “गरीब महिलाएं और बच्चे जो प्राइवेट अस्पतालों का खर्च नहीं उठा सकते, उन्हें कैसे अस्पताल में भर्ती करने से मना किया जा सकता है. सरकार फंड देकर किसी पर उपकार नहीं कर रही है. ये खराब बात है. क्या महाराष्ट्र में भी बच्चों की हालत दूसरे राज्यों जैसी ही होनी चाहिए?”


दरअसल हाई कोर्ट ने शहर में अस्पताल के लिए फंड जुटाने में सरकार की सुस्त रफ्तार पर नाखुशी जताई. राज्य सरकार और स्थानीय निकाय इसके लिए अनुदान देता है. लोगों के स्वास्थ्य के मुद्दे पर हाई कोर्ट ने उद्धव ठाकरे सरकार के खिलाफ कड़ी टिप्पणी करते हुए पूछा कि सरकार के पास मूर्तियों के लिए फंड है लोगों के स्वास्थ्य के लिए नहीं?


जस्टिस एससी धर्माधिकारी और ​जस्टिस आरआई चागला की खंडपीठ ने वाडिया अस्पताल को फंड जारी करने के मुद्दे पर 16 जनवरी को सुनवाई की थी. इस मैटरनिटी अस्पताल को राज्य सरकार से अनुदान मिलता है. वहीं बच्चों के लिए अस्पताल को स्थानीय निकाय से फंड मिलता है.   


मेडिकल सहायता जरूरी या मूर्तियां?



सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने 24 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं और इन्हें तीन हफ्ते में रिलीज कर दिया जाएगा. कोर्ट को इस जवाब से संतुष्टि नहीं हुई. कोर्ट ने कहा कि जितनी जल्दी हो सके फंड रिलीज कीजिए. इसी के साथ कोर्ट ने टिप्पणी में कहा कि लोगों को बीमारियों से मुक्त कराने के लिए मेडिकल सहायता देना जरूरी है या मूर्तियां बनाना?


कोर्ट ने कहा, लगता है लोगों का स्वास्थ्य, सरकार की प्राथमिकता में नहीं. मुख्यमंत्री पुलों के उद्घाटन में व्यस्त हैं.


वहीं स्थानीय निकाय BMC ने कोर्ट को बताया कि वो बच्चों के अस्पताल के लिए 14 करोड़ रुपये देने को तैयार है. राज्य सरकार शुक्रवार को कोर्ट को बताएगी कि वो अस्पताल को कब फंड देगी.