ब्रिटेन की होगी विदाई ईयू से आज ,सांसदों की आंखें नम


 

यूरोपीय संघ (ईयू) से ब्रिटेन की विदाई को यूरोपीय सांसदों की मंजूरी के बाद अब 31 जनवरी शुक्रवार को ब्रिटेन औपचारिक रूप से ईयू से बाहर हो जाएगा। भावुक पलों के बीच हुए इस मतदान में यूरोपीय संघ से जुड़े कुछ सांसदों की आंखें नम देखी गईं। मतदान के बाद चैंबर में स्कॉटलैंड का पारंपरिक लोकगीत बजाया गया जिसके बाद ब्रिटेन के 73 ईयू सांसदों ने फेयरवेल पार्टी में हिस्सा लिया।
 

ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से जुड़े सांसद इस फेयरवेल पार्टी में भावुक दिखाई दिए। ईयू आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयन ने विदाई के वक्त अपने भाषण में ब्रिटिश लेखक जॉर्ज इलियट की लाइनें दोहराते हुए कहा- अलग होने के दुख में ही हम अपने प्रेम की गहराई देख पाते हैं। हम हमेशा आपसे प्यार करेंगे और आपसे बहुत दूर नहीं होंगे... यूरोप जिंदाबाद।

इससे पहले हुए मतदान में ब्रेग्जिट के पक्ष में 621 और इसके खिलाफ 49 सांसदों ने वोट किया। इस वोटिंग में 13 सांसदों ने हिस्सा नहीं लिया। औपचारिक विदाई के बाद ट्रांजिशन अवधि के रूप में शुरू होगी एकदम अंतिम प्रक्रिया। अब ब्रिटेन और ईयू में नए रिश्ते के हिसाब से व्यापार और सुरक्षा को लेकर समझौते होंगे। ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को अब अपने पुराने 27 साथियों के साथ महत्वाकांक्षी फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर डील करने की कोशिश करनी होगी।



भारत पर पड़ेगा सीधा असर, फायदा भी होगा



भारत के विकास के लिए यूरोप और ब्रिटेन दोनों ही अहम हैं क्योंकि दोनों देशों को निर्यात से भारत को काफी विदेशी मुद्रा मिलती है। निश्चित ही दोनों देशों के अलग होने से भारत पर इसका सीधा असर पड़ेगा। ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) होने से देश व्यापार बढ़ेगा, क्योंकि ब्रिटेन से पुर्तगाल व ग्रीस सामान लेते हैं।

चूंकि यूरोप के साथ एफटीए नहीं हो सका है जबकि ब्रिटेन के साथ इसकी संभावनाएं हैं इसलिए दोनों देशों में अलगाव भारत को लाभ दिलाएगा। बैंक ऑफ अमेरिका की रिपोर्ट के मुताबिक भारत निवेश के साथ तकनीकी, साइबर सुरक्षा, रक्षा और फायनेंस में बड़ा भागीदार बन सकता है।



भारत पर पड़ेगा सीधा असर, फायदा भी होगा



भारत के विकास के लिए यूरोप और ब्रिटेन दोनों ही अहम हैं क्योंकि दोनों देशों को निर्यात से भारत को काफी विदेशी मुद्रा मिलती है। निश्चित ही दोनों देशों के अलग होने से भारत पर इसका सीधा असर पड़ेगा। ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) होने से देश व्यापार बढ़ेगा, क्योंकि ब्रिटेन से पुर्तगाल व ग्रीस सामान लेते हैं।

चूंकि यूरोप के साथ एफटीए नहीं हो सका है जबकि ब्रिटेन के साथ इसकी संभावनाएं हैं इसलिए दोनों देशों में अलगाव भारत को लाभ दिलाएगा। बैंक ऑफ अमेरिका की रिपोर्ट के मुताबिक भारत निवेश के साथ तकनीकी, साइबर सुरक्षा, रक्षा और फायनेंस में बड़ा भागीदार बन सकता है।




कुछ समस्याएं भी



वीएम पोर्टफोलियो के शोध प्रमुख विवेक मित्तल का कहना है कि ब्रेग्जिट से भारतीय कंपनियों को समस्या तब आएगी जब यूरोप अपने रास्ते ब्रिटेन के लिए बंद कर लेगा। अब तक तो यूरोप में रह रहे लोग एक दूसरे के देश में बिना किसी वीजा रुकावट के जा रहे थे।

लेकिन यदि यूरोप में नए नियम बनाए तो भारतीय कंपनियों को यूरोप में घुसने के नए रास्ते बनाने होंगे। ऐसे में ब्रिटेन के यूरोप से अलग होने के बाद यूरोप के देशों से नए करार करने होंगे। इससे खर्च बढ़ेगा और अलग-अलग देशों के अलग अलग नियम-कानून से जूझना होगा।



ब्रेग्जिट के बाद ब्रिटेन मुंबई समेत 18 शहरों करेगा कारोबार के लिए कैंपेन



यूरोपियन यूनियन से अलग होने के बाद ब्रिटेन ने कारोबार कैंपेन के लिए महत्वपूर्ण 13 देशों के 18 शहरों को चिह्नित किया है। इनमें भारत का मुंबई भी शामिल है। कैंपेन शनिवार से शुरू होगा। शुक्रवार को ब्रिटेन की 47 साल पुरानी यूरोपियन संघ की सदस्यता खत्म हो जाएगी और वह दुनिया भर में कारोबारी सौदे करने को मुक्त होगा।

एक फरवरी शनिवार को ब्रिटेन सरकार ग्रेट रेडी टू ट्रेड कैंपेन की यूरोपियन संघ से अलग 13 देशों के 18 शहरों में शुरुआत करेगी। कैंपेन के शुरुआती दौर में डिजिटल आउटडोर विज्ञापन से होगी और बाद में अन्य गतिविधियां शामिल की जाएंगी। मालूम हो कि अपने चुनावी अभियान के दौरान ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनशन ने वादा किया था वह बेहतर व नए कारोबारी रिश्ते स्थापित करेंगे।