चंद्रशेखर और ढांडा की घूसखोरी मामले में याचिकाएं सुनेगा दिल्ली हाईकोर्ट


तीन करोड़ की घूसखोरी मामले में सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किए गए राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) के एक अधिकारी और एक कारोबारी की याचिकाओं पर सुनवाई के लिए दिल्ली हाईकोर्ट गुरुवार को राजी हो गया है।
 

दरअसल, मामले में लुधियाना के तत्कालीन डीआरआई के अतिरिक्त महानिदेशक चंद्रशेखर और कारोबारी राजेश ढांडा ने अपनी याचिकाओं में निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें सीबीआई द्वारा जब्त उनके फोन के पासवर्ड बताने के लिए कहा गया था।

ये याचिकाएं दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और जस्टिस सी हरिशंकर की पीठ के समक्ष लाई गईं। पीठ ने इसे दिन में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने की मंजूरी दी। हालांकि, बाद में दोनों आरोपियों की ये याचिकाएं जस्टिस रजनीश भटनागर की अदालत के समक्ष सूचीबद्ध की गईं।

चंद्रशेखर और राजेश ढांडा की ओर से पेश हुए वकीलों ने हाईकोर्ट को बताया कि सीबीआई अदालत ने बुधवार को उनके मुवक्किल को अपने फोन का पासवर्ड बताने के लिए कहा था जिसके बाद एजेंसी ने उसी दिन उसे बृहस्पतिवार दोपहर एक बजे पेश होने का नोटिस जारी कर दिया। यह निजता के अधिकार का उल्लंघन है।



यह है मामला



सीबीआई ने मामले में डीआरआई अफसर चंद्रशेखर और कारोबारी ढांडा को एक जनवरी को गिरफ्तार किया था। सीबीआई ने तीसरे व्यक्ति क्लियरिंग हाउस एजेंट अनूप जोशी को भी गिरफ्तार किया था। निचली अदालत ने बाद में 16 जनवरी को ढांडा को जमानत दे दी थी।

सीबीआई के अनुसार, जून 2019 में डीआरआई ने निर्यातकों को सेवा मुहैया कराने वाली निजी क्लियरिंग एजेंसी पर छापे मारे थे। इस दौरान एक निर्यातक से जुड़े कुछ दस्तावेज जब्त किए गए थे। एजेंसी को मिली शिकायत के अनुसार, चंद्रशेखर के करीबी दोस्त जोशी और ढांडा ने डीआरआई अफसर की ओर से तीन करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी थी।

तय यह हुआ कि इसके बदले डीआरआई बरामद दस्तावेजों को लेकर मुकदमा नहीं करेगी। सीबीआई ने बयान में कहा था कि उसने पहली किश्त के रूप में कथित तौर पर 25 लाख रुपये की घूस लेते समय जोशी और ढांडा को गिरफ्तार किया था।