डीएसपी देविंदर को लश्कर-ए-ताइबा व हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों के साथ किया गिरफ्तार


दक्षिणी कश्मीर के कुलगाम जिले के मीर बाजार इलाके से सुरक्षा बलों ने शनिवार को पुलिस के डीएसपी देविंदर सिंह को लश्कर-ए-ताइबा व हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों के साथ गिरफ्तार किया था। डीएसपी श्रीनगर एयरपोर्ट पर एंटी हाइजैकिंग स्कावायड में तैनात थे। तीनों को एक कार से गिरफ्तार किया गया। तलाशी के दौरान कार से दो एके 47 राइफल बरामद की गईं थी। आतंकियों संग पकड़े जाने के बाद डीएसपी को निलंबित कर दिया गया है। आगे पढ़िए इस तरह संसद हमले से लेकर पुलवामा हमले तक कैसे बचते रहे डीएसपी..


संसद हमले की प्लानिंग में आया था नाम, मगर इस वजह से गए थे बच 
आपको बता दें कि साल 2001 में संसद पर हुए हमले में भी डीएसपी देविंदर सिंह का नाम उछला था। अफजल गुरु ने जेल से अपने वकील को लिखे पत्र में डीएसपी देविंदर सिंह का नाम लिया था। पत्र में लिखा गया कि बडगाम के हुमहामा में तैनात डीएसपी ने संसद के हमलावरों में शामिल मोहम्मद को उस पर दिल्ली ले जाने का दबाव बनाया था। उसे मोहम्मद के लिए किराए पर घर और कार खरीद कर देने को मजबूर किया गया। 9 फरवरी 2013 को अफजल को फांसी दिए जाने के बाद इस पत्र का खुलासा अफजल गुरु के घरवालों ने किया था। मगर जांच में कोई सबूत न प्रस्तुत होने के कारण डीएसपी बच गए थे।

पुलवामा हमले की साजिश में भी भूमिका पर जांच
पुलवामा हमले में देश के 40 वीर सपूत शहीद हुए थे। पुलिस सूत्रों की माने तो जांच एजेंसियां मां रहीं है कि आतंकियों को डीएसपी द्वारा मदद दी गई थी। ऐसे में अब उस मामले में भी लगातार रॉ और आईबी डीएसपी से पूछताछ कर रही हैं। 

घाटी से बाहर निकालना चाहता था डीएसपी
बताते हैं कि गाड़ी में सवार सभी पगड़ी डाले हुए थे ताकि किसी को शक न होने पाए। इनके चंडीगढ़ जाने की बात भी सामने आ रही है। आरोप है कि डीएसपी इन आतंकियों को घाटी से बाहर निकालने की फिराक में था। फिलहाल, पुलिस सारी कड़ियों को जोड़ने की कोशिश में जुटी हुई है.




राष्ट्रपति पुलिस पदक भी मिला था, फिरौती मांगने पर एसओजी से हटाया गया था
एयरपोर्ट पर तैनात डीएसपी को गत 15 अगस्त को राष्ट्रपति पुलिस पदक मिला था। आतंकवाद के खिलाफ सफल ऑपरेशन चलाने के लिए एसओजी में तैनाती के दौरान आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देकर इंस्पेक्टर से डीएसपी बनाया गया। बाद में फिरौती मांगने की शिकायत पर एसओजी से हटाने के साथ ही निलंबित किया गया था। लेकिन बाद में बहाल कर श्रीनगर पुलिस कंट्रोल रूप में तैनात कर दिया गया। यहां से पिछले साल श्रीनगर एयरपोर्ट पर तैनात किया गया। 

गणतंत्र दिवस पर देश में बड़े हमले की थी साजिश
कश्मीर में डीएसपी के साथ पकड़े गए दोनों आतंकी गणतंत्र दिवस पर बड़े हमले की फिराक में थे। सूत्रों का कहना है कि आतंकी पंजाब, दिल्ली, चंडीगढ़ और जम्मू में आतंकी हमले की साजिश रच रहे थे। दोनों आतंकियों के साथ कुछ और आतंकियों को भी जुड़ना था। आतंकी नवीद और उसका साथी डीएसपी देविंदर सिंह के साथ पकड़ा गया था। 

डीएसपी के साथ पकड़ा गया आतंकी नवीद कई पुलिसकर्मियों की हत्या में था शामिल
आतंकी नवीद शोपियां इलाके में कई पुलिसकर्मियों की हत्या में शामिल रहा है। इसके साथ ही अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद सेब की खरीद के लिए बाहरी राज्यों से पहुंचे ट्रक चालकों की शोपियां में हत्या की घटनाओं में भी शामिल था। शोपियां में वह डीएसपी आशिक टाक के वाहन पर हमले में भी शामिल था, जिसमें तीन पीएसओ तथा ड्राइवर की मौत हो गई थी। बटगुंड में तीन अन्य पीएसओ की हत्या में भी वह शामिल रहा था।




आतंकियों से बात करने के लिए कई नंबरों का करते थे उपयोग
यह जानकारी भी सामने आई है कि डीएसपी देविंदर सिंह कई मोबाइल फोन ऑपरेट कर रहे थे। इन नंबरों से सिर्फ वह आतंकियों से बात करते थे। इन नंबरों की जांच भी की जा रही है। इन नंबरों से फोन काल, या फिर सोशल मीडिया के जरिए हुई गतिविधियों का पता लगाया जा रहा है। 

एक दर्जन टीमें जांच के लिए बनाई गईं 
डीएसपी के मामले की जांच के लिए एक दर्जन टीमों को गठित किया गया है। यह टीमें कश्मीर के अलग-अलग हिस्सों में जांच कर रही हैं। एक टीम स्थायी तौर पर शोपियां में डेरा डाले हुए है।