एमपी में नवजातों की मौत, 12 घंटे में छह मासूमों ने तोड़ा दम


राजस्थान के कोटा और गुजरात के राजकोट के बाद अब मध्यप्रदेश के शहडोल में 12 घंटे के अंदर छह नवजात बच्चों की मौत हो गई। जिन बच्चों की मौत हुई है, उनमें से दो बच्चे वॉर्ड और चार एसएनसीयू में भर्ती थे। एसएनसीयू में भर्ती नवजात बच्चों की उम्र एक महीने से भी कम थी, वहीं बच्चा वार्ड में भर्ती बच्चों की उम्र दो-तीन महीने की बताई जा रही है। बताया गया है कि सभी बच्चों को निमोनिया हुआ था। वहीं, अस्पताल में एक साथ छह बच्चों की मौत से हड़कंप मच गया है। 


 

राज्य के स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने शहडोल में हुए बच्चों की मौत की घटनाओं की जांच के आदेश दिए हैं। सिलावट ने पीड़ित परिजनों के प्रति संवेदनाएं जाहिर की है। उन्होंने जिला क्लेक्टरों और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएमएचओ) को इन मामलों की जांच कर कार्रवाई के आदेश दिए हैं। 

पंचायत मंत्री भी अस्पताल पहुंचे
दूसरी ओर बच्चों की मौत की सूचना मिलते ही पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल छह बच्चों की मौत के बाद मंगलवार को सुबह शहडोल जिला चिकित्सालय पहुंचे। उन्होंने बच्चों के परिजनों से मुलाकात की और परिवार के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की। साथ ही घटना के जांच के आदेश दिए। 

बच्चों की मौत की वजह निमोनिया बताई जा रही 
बच्चा वार्ड में भर्ती दो अन्य बच्चों की भी मौत की जानकारी सामने आई है। बच्ची की मौत का कारण निमोनिया बताया जा रहा है। जिस छठवें बच्चे ने अस्पताल में दम तोड़ा, उसे शोभापुर से यहां लाकर भर्ती कराया गया था। सीएमएचओ और सिविल सर्जन इस मसले पर बात करने से इनकार कर रहे हैं। 

सीएमएचओ ने कहा- प्रारंभिक रूप से लापरवाही प्रतीत हो रही है 
शहडोल जिला अस्पताल में भर्ती छह बच्चों की मौत के मामले में मचे हड़कंप के बीच मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थय अधिकारी (सीएमएचओ) अस्पताल पहुंचे। लेकिन जब उनसे इस विषय में पूछा गया तो वे बच्चों की मौत के कारणों का कोई ठोस जवाब नहीं दे सके। 

सीएमएचओ डॉ राजेश पांडेय ने इस मामले में पत्रकारों को बताया कि छह में से दो बच्चे वेंटीलेटर पर थे और एक गंभीर था, जिन्हे बचाने का प्रयास किया जा रहा था, लेकिन बचा नहीं सके। उन्होंने तीन अन्य बच्चों को निमोनिया से पीड़ित होना बताया, जो उमरिया से रेफर होकर यहां आए थे, जिनकी जिला अस्पताल में इलाज के दौरान मृत्यु हो गई है। उन्होंने कहा कि शुरूआती जांच में लापरवाही प्रतीत हो रही है, जांच के बाद पूरी स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। 

प्रदेश में दिसंबर में सबसे ज्यादा 79 नवजात की मौत भोपाल में
दिसंबर महीने में राज्य में सबसे ज्यादा नवजातों ने भोपाल में दम तोड़ा। हमीदिया और जेपी अस्पताल में अकेले दिसंबर महीने में 79 बच्चों की मौत इलाज के दौरान हुई है। दोनों अस्पतालों में एक जनवरी से 31 दिसंबर 2019 के बीच नवजात बच्चों की मौत का आंकड़ा 952 है। यह खुलासा सिक न्यूबोर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) में भर्ती नवजात बच्चों की मौत के आंकड़ो की जांच में हुआ है। 

एनएचएम अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी में बताया गया कि हमीदिया और जेपी अस्पताल के एसएनसीयू में दिसंबर 2019 में कुल 440 नवजात इलाज के लिए भर्ती हुए थे। इनमें से 79 की इलाज के दौरान मौत हो गई। अफसरों के मुताबिक भोपाल में बच्चों की मौत का सबसे प्रमुख कारण रेस्पेरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम है। इस बीमारी के कारण 32 बच्चों की जान चली गई।