गायत्री पाठ, गुरबाणी, बाइबिल और फातिहा पढ़ी, मिसाल बनी मनाल खान


देश के अलग-अलग हिस्सों से सीएए के विरोध की कई तस्वीरें सामने आ रही हैं। लोग अनोखे अंदाज में विरोध कर रहे हैं। दिल्ली का शाहीन बाग जहां एक ओर सुर्खियों में हैं तो यहीं से लगभग 250 किलोमीटर दूर चंडीगढ़ से भी बेहद खास तस्वीरें सामने आई हैं। 


शुक्रवार को चंडीगढ़ में सीएए और एनआरसी के खिलाफ लोगों ने प्रदर्शन किया। इस दौरान मनाल खान नाम की लड़की ने विरोध का अनोखा तरीका अपनाया। मनाल खान ने एनआरसी और सीएए के खिलाफ प्रदर्शन में हिजाब पहनकर पहले गायत्री पढ़ा। इसके बाद गुरबाणी, बाइबिल और फातिहा भी पढ़कर सुनाया। मनाल कहती हैं कि कोई भी धर्म लड़ना नहीं, बल्कि जुड़ना सिखाता है। मनाल ने सीएए विरोध के बीच धार्मिक एकता की बेहतरीन मिसाल पेश की।


लोकतंत्र में संविधानिक तरीके से सबको अपनी राय रखने का हक है। छोटी बच्ची की ऊंची सोच की प्रदर्शन में शामिल लोगों ने सराहना की। मनाल खान छठी कक्षा में पढ़ती हैं। शुक्रवार को बुड़ैल में जुमे की नमाज के बाद मुस्लिम समाज के लोग सीएए और एनआरसी के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर रहे थे। इतने में हिजाब पहनकर मनाल खान माइक पर आई और हाथ जोड़कर गायत्री मंत्र का उच्चारण किया। इसके बाद सिख धर्म के मूल मंत्र, ईसाई धर्म की बाइबिल और मुस्लिम धर्म का फातिहा पढ़ा और सभी धर्मों का आदर करने की गुजारिश की। 


अमर उजाला से बातचीत में मनाल खान ने बताया कि मैं भले ही हिजाब पहनती हूं लेकिन मुझे मेरे माता-पिता ने सभी धर्मों का सम्मान करना सिखाया है। मैं यही चाहती हूं कि सभी धर्म के मानने वाले एक दूसरे का आदर करें। मनाल खान ने बताया कि मेरी मां जाहिरा खान शिक्षिका हैं। उन्होंने मुझे इतिहास और नैतिक मूल्यों के बारे में बताया। मेरी मां ने मुझे यह मंत्र सिखाए और पिता फिरोज खान ने इन मंत्रों का मतलब बताया। 




कौन हैं मनाल खान
मनाल बुड़ैल की ही रहने वाली हैं। सेक्टर 45 के अजीत कर्म सिंह इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल में पढ़ती हैं। पिता प्राइवेट जॉब करते हैं। इनके नाना जैड़ पी खान चंडीगढ़ में पुलिस इंस्पेक्टर रह चुके हैं।