हिंसा छोड़ने के लिए प्रतिबंधित एनडीएफबी ने सरकार के साथ किया समझौता


असम में सक्रिय प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन नेशनल बोडो डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) ने हिंसक गतिविधियों को विराम देते हुए सरकार के साथ राष्ट्रीय राजधानी में शांति समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए। अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि इस समझौते के अनुसार फ्रंट के मुखिया बी. साओराईगरवा के नेतृत्व में संगठन हिंसा का रास्ता त्याग कर मुख्यधारा में शामिल होगा। 


समझौते पर फ्रंट के प्रतिनिधियों के अलावा केंद्र और असम सरकार ने हस्ताक्षर किए हैं। उधर, गुवाहाटी में असम के डीजीपी भास्कर ज्योति महंत ने कहा कि समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद एनडीएफबी के कैडर (सदस्य) विदेशी जमीन पर अपने ट्रेनिंग कैंपों को छोड़कर वापस राज्य में लौट आए हैं। साओराईगरवा के अलावा लौटने वाले 27 एनडीएफबी सदस्यों को एक अज्ञात स्थान पर सुरक्षा घेरे में रखा गया है। लौटने वालों में संगठन के दो अहम सदस्य महासचिव बीआर फेरांगा और वित्त सचिव बी. ड्वमविलू भी शामिल हैं। 

डीजीपी ने कहा, दो अन्य अहम सदस्य बी. बिदाई (एनडीएफबी के सी-इन-सी) और बी. बाथा वापस नहीं लौटे हैं। उन्होंने कहा कि हम इन नेताओं से वापस लौटकर शांति प्रक्रिया में शामिल होने की अपील करते हैं। डीजीपी ने उस देश का नाम बताने से इनकार कर दिया, जिसकी धरती पर इस उग्रवादी संगठन के ट्रेनिंग कैंप चल रहे थे।

राज्यपाल ने विधानसभा को बताया- नगा समस्या समाधान के करीब
नागालैंड के राज्यपाल आरएन रवि ने शुक्रवार को राज्य विधानसभा से कहा, दशकों पुराने नगा विद्रोह को खत्म करने के चल रही वार्ता ‘सफलतापूर्वक संपन्न’ हुई है और नागालैंड इस विवाद के हल के बेहद करीब पहुंच गया है। अगस्त, 2019 में पद संभालने के बाद विधानसभा में पहली बार बोल रहे राज्यपाल रवि लंबे समय तक इस विवाद में सरकार व प्रतिबंधित संगठनों के बीच मध्यस्थ की भूमिका में रह चुके हैं।