शाहीन बाग मे धरने पर बैठी महिलाओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या गृहमंत्री अमित शाह का इंतजार


दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता कानून, एनपीआर और एनआरसी पर अपनी चिंता लेकर 15 दिसंबर से धरने पर बैठी महिलाओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या गृहमंत्री अमित शाह का इंतजार है। 
 

महिलाओं ने मार्मिक अपील की है। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने जिन महिलाओं को बहन, बेटी कहकर तीन तलाक से मुक्ति दिलाई है, वह धरने पर बैठकर मांग कर रही हैं। वह चाह रही हैं कि प्रधानमंत्री, गृहमंत्री या केंद्र सरकार का कोई मंत्री, बड़ा अफसर आकर कह दे कि तुम सब हमारे हो। किसी की नागरिकता नहीं जाएगी और सब यहीं रहोगे। 

यहां मौजूद वालेंटियर्स का कहना है कि हमें डर है। डर है कि केंद्र सरकार सीएए, एनपीआर और अंत में एनआरसी के बहाने हमें देश से निकालने, भयभीत करने की कोशिश कर रही है। 

फराज हों या याकूब सबके चेहरे पर एक सवाल है कि क्या उन्होंने इस देश के लिए कुछ नहीं किया? क्या वे अब इतने अछूत हो गए हैं? सबका मानना है कि मौजूदा राजनीतिक नेतृत्व सबका साथ, सबका विकास का नारा देकर सत्ता में आया है। आखिर वह क्यों उनकी चिंताओं का समाधान नहीं करना चाहता? नागरिकता के कानून में क्यों केवल मुसलमान को बाहर रखा गया? सरकार ने धर्म क्यों जोड़ा? 

उल्टे लोग धरने में बैठी महिलाओं को 500, 1000 रुपये में धरने पर बैठने के लिए बिका बताकर दुष्प्रचार कर रहे हैं। गांव से शाहीन बाग आई एक महिला का कहना है कि इतने साल हम समाज में साथ-साथ रहे। आखिर अब ऐसा क्या हो गया कि अपने ही नफरत की नजर देख रहे हैं।

वह नहीं आएंगे.....


शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रही चाहे महिला हो या पुरुष। छात्र हो या छात्रा सबको एहसास है कि उनकी चिंताओं का समाधान करने केंद्र सरकार का कोई बड़ा नुमाइंदा नहीं आने वाला है क्योंकि वह शाहीन बाग में बैठे लोगों को अपना नहीं मानते। 

देश के मुसलमानों और हिन्दुओं समेत अन्य को वोट बैंक तथा राजनीतिक उद्देश्य से लड़ा रहे हैं। वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिश कर रहे हैं। मगर शबनम हो शाजिया, असलम हों या अहमद सबका कहना है कि वह अपनी चिंताओं का समाधान होने तक डटे रहेंगे। 

फिरोज का कहना है कि सरकार संविधान की मर्यादा का पालन नहीं कर रही है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू के मूल्यों का अपमान कर रही है। सरकार की लगातार कोशिश अल्पसंख्यकों को डराने, उन्हें अलग थलग करने, परेशान करने की है।

शाहीन बाग जाइए। आपको एक अलग दुनिया देखने को मिलेगी। कालिंदी कुंज से अपोलो अस्पताल जाने वाली सड़क पर हजारों महिलाएं, धरने पर बैठी हैं। यह प्रदर्शन दिन रात चल रहा है। यहां युवा, महिलाएं, जाने वाले लोग, धरने पर बैठे लोग, राजनिति, शिक्षा, समाज से जुड़ लोग अपने विचार रख रहे हैं। 

प्रदर्शन को जारी रखने में लगे वालेंटियरों का प्रयास है कि आने वाला अपनी बात रखे, लेकिन जो भी बोले वह होश में रहकर राष्ट्र की गरिमा का ख्याल रखकर बोले। फराज का कहना है कि यहां आकर कोई भी अपनी बात रख सकता है। संघ, भाजपा के लोगों का भी स्वागत है। कांग्रेस, वामदल या अन्य भी आएं लेकिन शाहीन बाग के मंच से राजनीति की बातें न करें। महिलाओं के इस आंदोलन को राजनीतिक रंग देकर हाईजैक न करें।

धरना स्थल के पास ही सिख समाज ने 24 घंटे चलने वाला लंगर लगा रखा है। कुछ समाजसेवी वहां बिरयानी और खाने का सामान लेकर आ रहे हैं और लोगों को पानी की बोतलें आदि बांट रहे हैं। यह सब लोगों की स्वेच्छा से चल रहा है। सड़क के बीच में एक मैटल का बिजली की लाइटों के साथ भारत का मानचित्र बना है। 

बगल में ही थोड़ी दूर पर डिटेंशन सेंटर, इंडिया गेट, बस स्टॉप पर सांकेतिक लाइब्रेरी (संविधान की किताब आदि), सांकेतिक अमर जवान ज्योति बनाई है। सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए मंहगी होती प्याज, गिरते रोजगार का प्रतीक भी है। इंडिया गेट पर भीड़ हिंसा में मारे गए लोगों के नाम लिखे हैं। वालेंटियर बताते हैं कि यह देश के बड़े, ज्वलंत मुद्दे हैं। सरकार का ध्यान इस तरफ होना चाहिए।




पुलिस नहीं जाने देती एंबुलेंस


शाहीन बाग के वालेंटियर्स का कहना है कि वह एंबुलेंस को देखते ही उसे जाने का रास्ता देते हैं। पैदल यात्री को कोई नहीं रोक रहा है, लेकिन पुलिस ने धरना प्रदर्शन के दोनों तरफ बैरिकेटिंग लगा रखी है। पुलिस ही एंबुलेंस आदि नहीं जाने देती। उन्हें वापस कर देती है। वालेंटियर्स का कहना है कि जहां तक सवाल स्कूल बसों आदि का है तो यहां उनके अस्तित्व पर बन आई है। इसलिए वह शांतिपूर्ण सत्याग्रह कर रहे हैं। 

शाहीन बाग धरने के रोडमैप पर वालेंटियर्स का कहना है कि सरकार चाहेगी तो यह दो दिन में खत्म हो जाएगा। सरकार आए, हमारी चिंताओं को सुने, हमें भरोसा दिलाए और यह खत्म हो जाए। वालेंटियर्स का कहना है कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री देश को 130 करोड़ लोगों का बताते हैं, उन्होंने सबका साथ, सबका विकास का नारा दिया है, लेकिन वह सबको साथ लेकर चलने की मंशा ही नहीं रखते। यही भ्रम भी है और यही सच भी।

सीएए...नागरिकता लेगा नहीं देगा...भरोसा नहीं करते


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से राजनीतिक मंच से कई बार कहा है कि सीएए नागरिकता देने वाला कानून है, लेने वाला नहीं। शाह ने संसद भवन में कहा है। फिर देश का मुसलमान भ्रमित क्यों है? इस सवाल पर शाहीन बाग पहुंची महिलाओं, छात्राओं का दर्द साफ झलकने लगता है। 

उनका कहना है कि जिस तरह से केंद्र की सरकार तीन तलाक से लेकर नागरिकता कानून, एनपीआर, एनआरसी खेल रही है। उससे उनका भरोसा खत्म होता जा रहा है। यही भरोसा तो वह प्रधानमंत्री से चाहते हैं। सबका कहना है कि सरकार संसद में कुछ, बाहर कुछ बोलती है। कहती कुछ है और करती कुछ है। उसकी मंशा संदेह के घेरे में है।


कैसे चल रहा है शाहीन बाग का प्रदर्शन


वालेंटियर्स, महिलाएं बताती हैं कि वह स्वेच्छा से आती हैं। दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा, गुडगांव, मेरठ समेत दूर-दूर से लोग शाहीन बाग पहुंच रहे हैं। बताते हैं सब दिन के समय में ड्यूटी, रोजमर्रा का काम करते हैं। 

अपनी ड्यूटी और घर परिवार को देने वाले समय में कटौती करके कुछ समय शाहीन बाग को हर रोज दे रहे हैं। लोग बारी-बारी आते जाते रहते हैं। लोग अपनी स्वेच्छा से ही प्रदर्शन कर रहे लोगों के लिए चाय, पानी, खाना या अन्य का मिलजुलकर इंतजाम कर रहे हैं।

जो गलत रिपोर्ट कर रहे हैं, उन्हें आखिर कैसे रोकें?



शाहीन बाग में प्रदर्शन की कवरेज को लेकर मीडिया कर्मियों से खराब व्यवहार की खबरों पर वालेंटियर्स का कहना है कि लोग बाग उनके साथ बुरा व्यवहार कर दे रहे थे जो सच को तोड़, मरोड़कर दिखा रहे हैं। वालेंटियर्स का मानना है कि मीडिया में एक बड़ा धड़ा झूठ दिखाकर उनके साफ-सुथरे प्रदर्शन पर भ्रम फैला रहा है। कुछ निजी टीवी चैनल लगातार गलत रिपोर्टिंग कर रहे हैं। कई प्रिंट मीडिया में भी इस तरह की खबरे छप रही हैं। वालेंटियर्स का कहना है कि वह इसको रोकने का उपाय नहीं समझ पा रहे हैं।