UP सरकार को इलाहाबाद का नाम बदलने मामले पर सुप्रीम कोर्ट का नोटिस जारी


इलाहाबाद  का नाम प्रयागराज  करने को लेकर चुनौती देने वाली जनहित याचिका (PIL) पर सुप्रीम कोर्ट नेे सोमवार को उत्‍तर प्रदेश सरकार  को नोटिस जारी किया। यह चुनौती इलाहाबाद हेरिटेज सोसयटी  ने दी है। मामले की सुनवाई चीफ जस्‍टिस एसए बोबडे   और जस्‍टिस बीआर गवई  और सूर्यकांत  की बेंच कर रही है।


याचिका में कहा गया कि राज्‍य सरकार को रेलवे स्टेशन, केंद्रीय विश्वविद्यालय का नाम बदलने का अधिकार नहीं है। यह अधिकार केंद्र के पास है। वर्ष 2019 में ही उत्‍तर प्रदेश कैबिनेट ने इलाहाबाद का नाम बदलने का ऐलान किया था।


इस निर्णय पर मुहर लगने के बाद यहां का आधिकारिक नाम प्रयागराज कर दिया गया। इलाहाबाद का नाम प्रयागराज करने का प्रस्‍ताव संतों की ओर से राज्‍य मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास पेश किया गया था। इसके बाद ही मुख्‍यमंत्री आदित्‍यनाथ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बात की घोषणा की थी। 


बता दें कि इलाहाबाद का नाम प्रयागराज करने का मामला अब सुप्रीम कोर्ट में है। मामले की सुनवाई करने वाली बेंच के सदस्य जस्टिस अशोक भूषण ने इससे खुद को अलग कर लिया था जिसके बाद यह मामला नई बेंच देख रही है। मामले की सुनवाई करने वाली बेंच के सदस्य जस्टिस अशोक भूषण ने इससे खुद को अलग कर लिया था जिसके बाद यह मामला नई बेंच देख रही है।  


कुंभ मेले के आयोजन को लेकर हुई बैठक के बाद वर्ष 2018 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संगम नगरी इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने का निर्णय लिया था। मुख्‍यमंत्री ने कहा था कि संतों ने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज रखने का प्रस्‍ताव दिया था। इसपर तत्कालीन राज्यपाल राम नाईक ने सहमति की मुहर लगाई थी और इसके बाद ही इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किया गया। इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा इस याचिका को खारिज कर दिया गया था। एडवोकेट शदन फारासात के जरिए यह याचिका दर्ज कराई गई थी। उन्‍होंने याचिका में कहा, ‘400 से अधिक सालों से इस शहर का नाम इलाहाबाद है। अब यह जगह के नाम से कहीं अधिक है शहर की पहचान बन गई है।’ इसके अलावा भी उन्‍होंने काफी बातें कहीं और कनॉट प्‍लेस का उदाहरण दिया। उन्‍होंने कहा काफी सालों पहले कनॉट प्‍लेस का नाम बदलकर राजीव चौक कर दिया गया था लेकिन आज भी लोग कनॉट प्‍लेस के नाम से ही जगह का जिक्र अपनी बातों में करते हैं।