वोडाफोन-आइडिया को बंद से? मोदी सरकार भी नहीं बचा सकती


पिछली कई तिमाहियों में भारी नुकसान तथा एजीआर बकाये के कारण वित्तीय संकट से जूझ रही टेलिकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया (VIL) को संकट से उबारने की सरकार की कोई भी कोशिश पर्याप्त नहीं होगी। सरकार वोडाफोन आइडिया की चाहे जितनी भी मदद कर ले, वह रिलायंस जियो और भारती एयरटेल का बाजार में मुकाबला नहीं कर पाएगी। वोडाफोन-आइडिया पर एजीआर के मद में 53,000 करोड़ रुपये का वैधानिक बकाया है, जिसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 23 जनवरी को उसे दूरसंचार विभाग को चुकाना था। लेकिन कंपनी ने कोर्ट में इस समय-सीमा को बढ़ाने के लिए याचिका दायर कर रखी है, जिसके कारण मामला अटक गया है। साथ ही सरकार ने भी कहा है कि बिना उसके आदेश के कोई भी सर्किल कंपनी के खिलाफ कदम नहीं उठाएगी।


सरकार के लिए महंगा सौदा
डॉएचे बैंक ने एक विज्ञप्ति में कहा, 'वोडाफोन आइडिया को संकट से उबारने के लिए केंद्र सरकार अगर मध्यम अवधि के बजाय कोई तत्काल सहायता देती है तो वह सरकार के लिए महंगा सौदा साबित होगा।' जर्मन निवेशक बैंक ने कहा, 'वीआईएल की सह-प्रमोटर आदित्य बिड़ला ग्रुप वोडाफोन आइडिया को बैंकरप्ट्सी में ले जाने पर विचार कर सकती है, ताकि वह फिर से कारोबार में हिस्सेदारी खरीद सके।


'टेलिकॉम में कायदे-कानून स्पष्ट नहीं'
उसने कहा कि भारत में टेलिकॉम क्षेत्र के कायदे-कानून स्पष्ट नहीं हैं। केंद्र सरकार प्रमोटर्स को उनकी दिवालिया कंपनी की संपत्तियां खरीदने से रोकना चाह रही है, ताकि वे कानून में मौजूद खामियों का फायदा नहीं उठा सकें। यहां तक कि स्व-घोषित बैंकरप्टसी के मामले में भी नियम पूरी तरह स्पष्ट नहीं हैं।

बिड़ला ने कहा बंद हो जाएगी कंपनी
वोडाफोन आइडिया पर एजीआर (अडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू) के मद में 53,000 करोड़ रुपये का वैधानिक बकाया है और कंपनी के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला पहले ही कह चुके हैं कि अगर सरकार या न्यायालय ने राहत नहीं दी तो कंपनी बंद हो जाएगी।


तीन जरूरतों की करनी होगी पूर्ति'
डॉएचे बैंक के मुताबिक, वोडाफोन आइडिया को टैरिफ में अभी काफी बढ़ोतरी करनी होगी, सरकार की तरफ से पर्याप्त राहत लेनी होगी तथा बाजार हिस्सेदारी बरकरार रखनी होगी। बैंक ने कहा, 'लेकिन हमारा मानना है कि अगर उसकी तीन में से दो जरूरतें भी पूरी हो जाती हैं तो वह उसके लिए पर्याप्त नहीं होगा।'

'बस दो टेलिकॉम कंपनियों का होगा प्रभुत्व'
विश्लेषकों के मुताबिक, मौजूदा परिस्थितियों में जियो अपनी बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए पूरा जोर लगा रही है और आक्रामक रूप से ग्राहकों को जोड़ रही है। उनका कहना है कि अगले 9-12 महीनों में टेलिकॉम बाजार में केवल दो निजी कंपनियों रिलायंस जियो और एयरटेल का राज होगा।

'66 अरब डॉलर की हो सकती है जियो'
सीएलएसए के अनुमान के मुताबिक, टैरिफ में बढ़ोतरी तथा ग्राहकों की संख्या में इजाफे की वजह से जियो का ऑपरेटिंग इनकम अगले दो साल में दोगुना होकर 52,400 करोड़ रुपये पर पहुंच जाएगा और उस वक्त उसके ग्राहकों की तादाद 50 करोड़ हो जाने की उम्मीद है। ब्रोकरेज कंपनी ने कहा, 'वित्त वर्ष 2022 तक जियो का एबिडटा 52,400 करोड़ रुपये पर पहुंच जाएगा और इसके मोबाइल कारोबार की कुल वैल्यू 66 अरब डॉलर (4.62 लाख करोड़ रुपये) हो जाने की उम्मीद है।'