CAA पर PM मोदी के अडिग रहने के ऐलान के बीच विरोध में खड़ा हुआ छठा राज्य


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 फरवरी को यूपी के चन्दौली से ऐलान किया कि नागरिकता संशोधन कानून पर उनकी सरकार कायम रहेगी तो दूसरी तरफ तेलंगाना सरकार ने इस कानून के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पास करने का निर्णय ले लिया. इस तरह सीएए के खिलाफ देश का छठा राज्य उतर आया.


यानी एक तरफ केंद्र की मोदी सरकार सीएए (CAA) को नागरिकता लेने नहीं, देने वाला कानून बताकर इस पर अडिग रहने के दावे कर रही है तो दूसरी तरफ एक के बाद राज्य सरकारें विधिवत् रूप से इस कानून की मुखालफत में उतर रहे हैं.


रविवार को तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक हुई जिसमें CAA के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव लाने का फैसला किया गया. इसके अलावा बैठक के माध्यम से तेलंगाना सरकार ने केंद्र सरकार से इस कानून को खत्म करने की अपील की.


ये राज्य पास कर चुके हैं प्रस्ताव


तेलंगाना से पहले मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, केरल, पंजाब और राजस्थान सरकार भी सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पास कर चुकी हैं. इस कड़ी में अब छठा नाम तेलंगाना का जुड़ गया है.


सीएए को धार्मिक आधार पर बंटवारा करने वाला कानून बताकर देश के अलग-अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन किये जा रहे हैं. बीजेपी के तमाम विरोधी भी इस कानून को बांटने वाला और संविधान की आत्मा के खिलाफ बता रहे हैं.




तेलंगाना कैबिनेट की बैठक में मोदी सरकार से धर्म के आधार पर भेदभाव न करने की अपील की गई. सरकार ने कहा कि सभी धर्म के लोगों के साथ कानून के आधार पर समान व्यवहार करना चाहिए, जबकि मौजूदा कानून में ऐसा नहीं है.


सरकार ने नागरिकता कानून में जो संशोधन किया है उसके तहत अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले हिंदू, सिख, ईसाई, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के लोगों को नागरिकता दी जाएगी. मियाद घटाकर नागरिकता के कानून को भी सरल किया गया है. विरोध इस बात का हो रहा है कि इस कानून में मुस्लिमों को क्यों नहीं शामिल किया गया. जबकि सरकार का तर्क है कि जिन देशों के लोगों को नागरिकता इस कानून के तहत दी जानी है, वहां मुस्लिम बहुसंख्यक हैं और पीड़ित नहीं हैं. जबकि यह कानून धार्मिक रूप से पीड़ितों के लिए है.


 


पूरा विवाद इसी बात पर है. दिल्ली के शाहीन बाग में दो महीने से महिलाएं धरने पर हैं और देश के दूसरे हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. जनता के साथ सरकार भी सीएए के खिलाफ हैं और तेलंगाना के रूप में छठा राज्य आधिकारिक तौर पर इसके विरोध में उतर आया है.