धुएं के गुबार के साथ धधकती दिल्ली ,आखिर यह दिल्ली-दिल्ली कौन खेल रहा है?


राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मौर्या होटल में आंख मलते हुए सुबह उठे होंगे, अखबार पढ़ा होगा। हर अखबार के पहले पन्ने पर धुएं के गुबार के साथ धधकती दिल्ली की खबर है। आखिर यह दिल्ली-दिल्ली कौन खेल रहा है? इसका जिम्मेदार कौन है?


दिल्ली सरकार असहाय
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी पूरी टीम संवेदनशीलता, चिंता दोनों दिखाते हुए असहाय बनी हुई है। इसके सामानांतर सोशल मीडिया पर भाजपा, आरएसएस से जुड़ने का दावा करने वाले वालेंटियर्स भड़काऊ पोस्ट डाल रहे हैं, केजरीवाल सरकार का पर इसका दोष मढ़ रहे हैं। भाजपा के बड़े नेता, दिल्ली से जुड़े नेता खामोश हैं। कांग्रेस पार्टी लोगों से शांति की अपील  कर रही है। सोमवार को हुई हिंसा में सात लोगों की मृत्यु हो गई है, 60 से अधिक घायल हैं,10 के करीब लोग घायल हैं और 150 के करीब वाहन, एक पेट्रोल पंप आग में जलकर खाक हो गई है।

कैसे भड़की हिंसा की आग?
जाफराबाद मेट्रो स्टेशन पर शनिवार को महिलाओं ने नागरिकता कानून, एनपीआर, एनआरसी के विरोध में शांतिपूर्ण प्रदर्शन शुरू किया। पुलिस ने हस्तक्षेप किया, लेकिन प्रदर्शनकारी फिर आ गए। रविवार 23 फरवरी को भाजपा कार्यकर्ताओं की अगुवाई में सीएए का समर्थन करने वाले लोग भी वहां आ गए। सीएए का विरोध करने वालों के खिलाफ नारेबाजी शुरू हो गई। कुछ मनचले किस्म के कार्यकर्ता आक्रामक होने लगे। भाजपा के हारे विधानसभा प्रत्याशी कपिल मिश्रा भी घर से निकले। कपिल मिश्रा के भड़काऊ बयान ने आग में घी का काम किया। उन्होंने शहादरा के डीसीपी अमित शर्मा की मौजूदगी में ट्रंप की यात्रा के बाद सीएए विरोधियों को देख लेने की धमकी दी। तनाव बढ़ा, लेकिन पुलिस खामोश रही। 

दिल्ली पुलिस ... और मूकदर्शक की स्थिति
रविवार को ही पुलिस ने दोनों पक्षों की मंशा को भांप लिया था, लेकिन कोई कदम नहीं उठाए गए। सोमवार को दिन में फिर हलचल तेज हुई। दोनों तरफ से नारेबाजी, पथराव की स्थिति तक आ गई। पुलिस एक गुट के साथ मूकदर्शक बनी आगे बढ़ती रही। धीरे-धीरे पथराव शुरू हो गया। कुछ अराजक तत्व खुले में हथियार लेकर आ गए, लेकिन पुलिस की संवेदनशीलता में कोई खास फर्क नहीं आया। पथराव शुरू हो गया। गोलियां भी चली। गोकलपुरी में पुलिस अफसर के साथ चलने वाले हेड कांस्टेबल रतन लाल समेत सात लोग मारे गए। शाहदरा डीसीपी अमित शर्मा जीवन मौत से आईसीयू में जंग लड़ रहे हैं। 10 लोग गंभीर रूप से, 50 लोग पथराव में घायल हैं। दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस से सहयोग की गुहार लगा रही है।

स्थिति तनावपूर्ण ...लेकिन नियंत्रण में
यह किसी भी पुलिस का पुराना पुलिसिया भाषा में कूटनीतिक स्टेटमेंट है। पुलिस ने दिल्ली में हिंसा की बड़ी साजिश को स्वीकार किया।केन्द्रीय गृहराज्यमंत्री रेड्डी भी ने भी यही दोहराया। केन्द्रीय गृह मंत्रालय के नियंत्रण कक्ष को,उपराज्यपाल को,गृहसचिव अजय भल्ला को भी पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक ने यही जानकारी दी। उपराज्यपाल अनिल बैजल और गृहमंत्रालय के अधिकारी लगातार पुलिस से अपडेट लेते रहे। पुलिस के शब्दों में स्थिति तनाव पूर्ण लेकिन नियंत्रण में रही।

किसके दबाव मे कपिल ने दिया बयान
बड़ा सवाल है। कपिल मिश्रा ने सोमवार देर रात सबसे शांति बनाए रखने की अपील की। आखिर किसके दबाव में? यह दबाव पहले क्यों नहीं बनने दिया गया? यह दबाव किसका था और इतनी देर से क्यों आया? बड़ा सवाल यह भी किसकी सह पर मिश्रा ने पहले भड़काऊ बयान दिया था? वह कानून व्यवस्था से क्यों ऊपर उठने लगे? जबकि कपिल मिश्रा के जहर भरे बोल ने ही दिल्ली विधानसभा चुनाव में माहौल को खराब किया था। इसे खुद गृहमंत्री अमित शाह ने माना है।

कहां से बंदूक लेकर आ रहे हैं लोग?
दिल्ली पुलिस के ऊपर बड़ा सवाल है। लोगों में कानून का डर खत्म होना चिंता की बात। वह भी राजधानी दिल्ली में। पिछले 20-25 साल में शायद ही इस तरह की घटना हुई हो, लेकिन पिछले तीन महीने में दिल्ली में कई बार सार्वजनिक तौर पर पुलिस के सामने तमंचा लहराने के मामले सामने आए, गोली भी चलाई और लोगों को वह गोली लगी भी। 

आज अमित शाह ने संभाली कमान
सोमवार तक केन्द्रीय गृह मंत्री राष्ट्रपति की मेहमाननवाजी की तैयारी में व्यस्त थे। देर रात उन्होंने दिल्ली में कानून व्यवस्था का जायजा लिया है। मंगलवार को उच्चस्तरीय बैठक बुलाई है। कहा जा रहा है सब दिल्ली के अमन के लिए हो रहा है।