‘गुजरा हुआ जमाना’फिर सड़क पर निकला,इंडियन ऑयल सीतापुर इन्ड्यूरेंस विंटेज और क्लासिक कार रैली


विंटेज कार रैली में सफेद रंग में मर्सडीज का जलवा अलग था, वहीं पीले रंग की फोर्ड और चांदी जैसी चमकती जगुआर का इठलाना दर्शकों को बहुत पसंद आया। कारें जब सड़क पर उतरीं तो ऐसा लगा, जैसे गुजरा हुआ जमाना लौट आया हो।


गुजरी सदी की कारों ने जब सड़कों पर रफ्तार भरना शुरू की तो इन कारों के जलवों को लोग एकटक देखते रहे। ये कारें 180 किलोमीटर का सफर तय कर शाम को वापस लखनऊ लौटीं।


बात हो रही है इंडियन ऑयल सीतापुर इन्ड्यूरेंस विंटेज और क्लासिक कार रैली की। इसे पर्यटन विभाग व इंडियन ऑयल के सहयोग से विंटेज कार और मोटर साइकिल क्लब ऑफ  लखनऊ की ओर से आयोजित किया गया था। विंटेज कार रैली का शुभारम्भ गोमतीनगर स्थित पर्यटन भवन से शुरू हुआ, जिसे प्रमुख सचिव पर्यटन जितेन्द्र कुमार ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।




रैली लखनऊ से सीतापुर केलिए गई। जहां से शाम को वापस लौटी। विंटेज कार और मोटर साइकिल क्लब ऑफ  लखनऊ के सचिव संदीप दास ने बताया कि विंटेज कार रैली में बीस से अधिक विंटेज कारें शामिल हुईं।




सुबह सवा आठ बजे पर्यटन भवन से रैली शुरू हुई, जहां से इंदिरानगर, रिंग रोड, सीतापुर रोड स्थित बृज की रसोई से होते हुए अटरिया, सिधौली, कमलापुर के रास्ते 90 किलोमीटर का सफर तय कर सीतापुर पहुंची। रास्ते में केवल दो जगह स्टॉपेज लिया।



ये विंटेज कारें हुईं शामिल
1928 की फोर्ड ए, 1930 की फिएट, 1934 की फिएट बलीला, हम्बर-12, फिएट स्पोर्ट्स, मॉरिस, 1936 की मॉरिस-8, 1939 की पैकर्ड, 1942 की फोर्ड जीप, 1947 की शेवरेले फ्लीटमास्टर, एमजीटीसी, 1948 की फोर्ड परफेक्ट, 1951 की हिलमैन मिंक्स, 1954 की विलीज, विली स्टेशन वैगन जीपें, 1965 की पोन्टिएक पैरिसिएन।



पूरा किया पांचवा लॉन्ग रन
संदीप दास ने बताया कि यह विंटेज कारों को पांचवा लॉन्ग रन था। इससे पूर्व वर्ष 2008 में लखनऊ से दुधवा, साल 2014 में कतर्नियाघाट, वर्ष 2010 में लखनऊ से सीतापुर व साल 2011 में भी लखनऊ से सीतापुर के बीच कारों ने फर्राटा भरा था। विंटेज कारों को लॉन्ग रन केलिए विशेष रूप से तैयार किया जाता है।




हम्बर-12: लंदन से मंगाते हैं बॉडी पार्ट
कार के मालिक रजनीश चोपड़ा बताते हैं कि वर्ष 1935 की बनी यह कार हर लिहाज से रोचक है। हम्बर 12 को उन्होंने करीब आठ साल पहले राजस्थान से खरीदा था। उस वक्त कार की हालत अच्छी नहीं थी, जिसे उन्हें हजारों रुपये खर्च कर मेंटेन करवाया। जब कार सड़क पर चलनी शुरू हुई तो पार्ट्स की समस्या पैदा हुई, जिसके लिए लंदन से संपर्क किया गया और पार्ट आने में हफ्तों लग गए। पेट्रोल पर यह कार दौड़ती है और सात किमी प्रति घंटे का माइलेज देती है। जब कार को रैली केलिए निकालते हैं तो पांच से दस हजार रुपये तक खर्च हो जाते हैं।




फोर्ड ए: मेंटीनेंस पर खर्च हो गए 10 लाख
यह कार रोहित पंत लेकर रैली में पहुंचे थे। वह बताते हैं कि 1928 मेड यह कार उन्होंने रायबरेली से 16 साल पहले खरीदी थी। उस वक्त यह कार बहुत ही जर्जर हालत में थी। इंजन खचाड़ा हो गया था और बोनट टूटा पड़ा था। इसे बनवाने में ही पांच साल लग गए। बहुत मुश्किलें पेश आईं। यूरोप से बॉडी पार्ट मंगवाने पड़े। खैर, जब कार बनकर तैयार हुई तो उसे देखकर मन गदगद हो गया था। पिछले करीब पंद्रह वर्षों में कार की मेंटीनेंस पर आठ से दस लाख रुपये खर्च किए जा चुके हैं। यह काम पांच किमी प्रति घंटे का माइलेज देती है। लिहाजा बहुत खर्चीली भी है। लेकिन शौक बड़ी चीज है।



विली जीप: लेफ्ट हैंड से चलाना आसान नहीं
विंटेज कार और मोटर साइकिल क्लब ऑफ  लखनऊ के सचिव संदीप दास की विली जीप अमेरिकन मॉडल है। इसे उन्होंने कुछ साल पहले ही खरीदा था। संदीप बताते हैं कि यह जीप इतनी प्यारी लग रही थी कि वह उसे खरीदने से खुद को रोक नहीं पाए। संदीप बताते हैं कि विली जीप लेफ्ट हैंड ऑपरेटेड है। यहां हम हिंदुस्तान में गाड़ियों का ऑपरेशन राइट हैंड होता है। ऐसे में जब इसे लेकर बाहर निकलता हूं तो बहुत ध्यान से चलाना पड़ता है। इसका एवरेज दस से बारह किमी. प्रति घंटे है। इसे चलाना आज भी किफायती है।