जनाब रहते हैं हावड़ जनिये लीप ईयर बोस के बारे में


आज 29 फरवरी है यानी 'लीप ईयर डे'। ऐसी तारीख, जो चार साल में एक बार ही आती है। यूं तो इस दिन जन्म लेने वालों की कमी नहीं है, पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई से लेकर न जाने और कितने। इन्हीं में से एक हैं लीप ईयर बोस। लेकिन हावड़ा (बंगाल) का यह शख्स इस मामले में सबसे जुदा है क्योंकि सिर्फ उनका जन्म ही लीप ईयर डे पर नहीं हुआ बल्कि नामकरण भी इसी दिन पर आधारित है। जी हां, यह हैं श्रीमान लीप ईयर बोस। आइये मिलते हैं..।


चौंकिए मत, इनका यही नाम है। लीप ईयर बोस। यह कोई शौकिया रखा गया उपनाम नहीं है, बल्कि शत-प्रतिशत आधिकारिक नाम है। उनके जन्म प्रमाणपत्र, स्कूल सर्टिफिकेट, आधार-वोटर-राशन कार्ड से लेकर तमाम दस्तावेज इसी नाम से हैं। अपने नाम से ही वह अपने जन्म की खासियत बयां कर देते हैं। 64 साल के लीप ईयर बोस पेशे से शिक्षक हैं। हावड़ा के सलकिया एंग्लो संस्कृत हाई स्कूल में पिछले 22 वषरें से संस्कृत पढ़ाते आ रहे हैं। इसी स्कूल से उन्होंने पढ़ाई भी की है।


 

सलकिया इलाके के उपेंद्रनाथ मित्रा लेन के रहने वाले 64 साल के इस सहज-सरल स्वभाव के इंसान को मुहल्ले के लोग लीप ईयर दादा कहकर संबोधित करते हैं और छात्र लीप ईयर सर।


लीप ईयर बोस का नामकरण उनके फैमिली डॉक्टर डॉ. विमलेंदु दे सरकार ने किया। 29 जनवरी, 1956 को उनका जन्म हुआ तो प्रसव कराने वाले डॉक्टर बाबू को ही नाम सुझाने को कहा गया। डॉक्टर बाबू ने झट से कह दिया कि लीप ईयर में पैदा हुआ है, तो इसका नाम लीप ईयर ही रख दिया जाए। चूंकि उनके माता-पिता डॉक्टर बाबू का बहुत सम्मान करते थे इसलिए वे खुशी-खुशी इसके लिए राजी हो गए।भले चार साल में एक बार जन्मदिन आता हो, लेकिन लीप ईयर बाबू को इसका जरा भी दुख नहीं है। उन्होंने कहा- बचपन में मेरे दोस्त मुझे बोलते थे कि तुम्हारा जन्मदिन हर साल नहीं आता, लेकिन मैं उनकी बातों पर ध्यान नही देता था। मैंने 29 फरवरी छोड़कर और किसी दिन को अपना जन्मदिवस माना भी नहीं। चार साल बाद-बाद जन्मदिन आने पर भी मैंने कभी इसे धूमधाम से नहीं मनाया। आज भी बहुत सादे तरीके से ही मनाने की योजना है। परिवार के लोग, करीबी जनों, स्कूल के अध्यापकों व छात्रों को मिठाइयां खिलाकर इसे मनाऊंगा। लीप ईयर बोस के परिवार में पत्नी व एक बेटा है। पिता दुर्गाचरण बोस निजी कंपनी में काम करते थे जबकि मां शेफाली बसु आम गृहिणी थीं। लीप ईयर बाबू को घूमने-फिरने का बेहद शौक है।


 


नाम ही मेरी पहचान है..


लीप ईयर बाबू कहते हैं, मुझे अपने इस अलग से नाम को लेकर कोई परेशानी नहीं है। मैंने इसे सहर्ष स्वीकार किया है और कभी बदलने के बारे में सोचा भी नहीं। यह मेरे बड़ों का दिया गया नाम है और मेरे जन्म के खास दिन पर आधारित है इसलिए बदलने के बारे में सोच भी नहीं सकता था। अब तो नाम ही मेरी पहचान है। किसी से भी यह नाम पूछो तो झट से मेरे घर का पता बता देता है।