कांग्रेस से लोहा लेकर उन्हें मात देने वालों में प्रथम पंक्ति के नेताओं में से एक थे अरविंद केजरीवाल के दादा स्व. मंगलचंद केजरीवाल


करीब सात साल पहले आम आदमी पार्टी के गठन के बाद से सियासत के गलियारों में दबदबा रखने वाले दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के बारे में बहुत कम लोग जानते होंगे कि उनके पूर्वज भी राजनीति में कांग्रेस से लोहा लेकर उन्हें मात देने वालों में प्रथम पंक्ति के नेताओं में से एक थे। 


वर्ष 1977 में कांग्रेस के दिग्गज नेता व पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल को इस परिवार ने उस समय पटकनी दी थी, जब उनके नाम का यहां बोलबाला था। पूरे भिवानी जिले में उनके खिलाफ बगावत का झंडा अरविंद के पूर्वजों ने ही सबसे पहले उठाया था। जनता पार्टी की प्रत्याशी चंद्रावती का सिवानी में ना केवल कार्यालय खुलवाया, बल्कि उनके पक्ष में खुलकर चुनाव प्रचार भी किया था। उस समय चौ. बंसीलाल ने मंगल चंद को मनाने की कोशिश भी की लेकिन जुबान के धनी समझे जाने वाले दादा मंगल चंद ने जनता पार्टी का साथ नहीं छोड़ा। उस समय चंद्रावती की रिकॉर्ड तोड़ मतों से जीत भी हुई थी।


 अकेले केजरीवाल ने ही नहीं उनके दादा मंगलचंद ने भी वर्ष 1968 से 1977 तक हरियाणा में एकछत्र राज करने वाले बंसीलाल को चुनाव हराने में अहम भूमिका अदा की थी मंगल चंद की जिला में सामाजिक कार्यों के चलते लोगों में खासी पैठ थी। उस समय बंसीलाल के खिलाफ मुंह खोलने से लोग कतराते थे तो सिवानी में हर दुकान और घर पर केवल कांग्रेस के ही झंडे थे। केजरीवाल का घर एक ऐसा था, जहां जनता पार्टी का झंडा लहराता था। उस समय यह किस्सा भी चला कि इस चुनाव में कौन जीतेगा और कौन हारेगा। चुनाव में चंद्रावती को जीत तो बंसीलाल को हार नसीब हुई।


केजरीवाल के पूर्वजों ने आजादी से पहले ही दूर कर दी थी कई गांवों की पेयजल समस्या
पूर्ण बहुमत के साथ दिल्ली का दिल जीतने वाले अरविंद के लिए दिल्लीवासियों के लिए मुफ्त पानी देना भले ही नामुमकिन लगे, लेकिन बहुत कम लोग जानते होंगे कि उनके पूर्वजों ने अरविंद के इस वादे को आजादी से पहले ही साकार कर दिया था। उस समय केजरीवाल के पूर्वजों ने पहल करते हुए खेड़ा गांव में न केवल एक कुआं खुदवाया, बल्कि पूरे गांव में पाइपलाइन डालकर लोगों को पानी उपलब्ध करवा दिया था।




गांव की सरपंच प्रमिला देवी, महेंद्र मइया, पूर्व सरपंच दलजीत शर्मा, संजय खेड़ा के अनुसार इस कुएं का पानी न केवल अकेले खेड़ा, बल्कि गांव ढाणी बल्हारा, धीरजा, ढाणी दयाचंद, ढाणी मिरान, मिरान, बख्तावरपुरा आदि कई गांवों के लोगों की प्यास इसी कुएं के पानी से बुझती थी। आज यह कुआं खंडहर के रूप में बदल चुका है।