केंद्र सरकार नशे के खिलाफ जंग में राज्यों के सुस्त रवैए से खफा


नशे की गिरफ्त में गंभीर रूप से फंसे देश के करीब साढ़े सात करोड़ लोगों को भले ही इससे निकालने की तत्काल जरूरत है, लेकिन राज्य फिक्रमंद नहीं है। यह स्थिति तब है, जब केंद्र सभी राज्यों को एक्शन प्लान और पैसा दोनों दे चुकी है।


तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश को छोड़कर किसी भी राज्य ने नहीं की शुरुआत


दक्षिण के दो राज्यों तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश को छोड़ दें, तो किसी भी राज्य ने इसमें कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है। ऐसे में केंद्र ने अब पूरे मामले को राज्यों के मुख्यमंत्री और मुख्य सचिवों के सामने उठाने का निर्णय लिया है।


केंद्र ने इसके पहले भी आपत्ति दर्ज करा चुका है


जल्द ही राज्यों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई जा सकती है। हालांकि राज्यों के इस रूख को लेकर केंद्र की ओर से कोई पहली बार इस तरह की आपत्ति नहीं दर्ज कराई गई है, इससे पहले भी अक्टूबर 2019 में की गई समीक्षा में भी यह मुद्दे उठाए गए थे। उस समय भी राज्यों से एक्शन प्लान के मुताबिक तेजी से काम शुरु करने को कहा गया था।


केंद्र राज्यों को दो किश्तों में 57 करोड़ रुपए अब तक दे भी चुकी है


केंद्र राज्यों को दो किश्तों में 57 करोड़ रुपए अब तक दे भी चुकी है। हालांकि इस पूरे एक्शन के तहत केंद्र ने करीब 450 करोड़ रुपए खर्च करने का योजना बनाई है। वित्तीय वर्ष 2020- 21 के बजट में भी इसे लेकर 260 करोड़ का प्रावधान किया गया है।


नशे की गिरफ्त में फंसे लोगों को तत्काल उपचार की जरूरत


 

 


एक्शन प्लान के तहत नशे की गिरफ्त में गंभीर रुप से फंसे लोगों के तत्काल उपचार की जरूरत बताई गई है। इसके तहत नशा मुक्ति केंद्रों को बेहतर बनाने और उन्हें स्वास्थ्य केंद्रों से जोड़ने जैसे कदम उठाए गए है।


नशे से निपटने के लिए नेशनल एक्शन प्लान


एम्स दिल्ली की मदद से कराए गए सेंपल सर्वे के मुताबिक देश में मौजूदा समय में करीब 28 करोड़ नशे की गिरफ्त में है। इनमें करीब साढ़े सात करोड़ लोग गंभीर रूप से गिरफ्त में है। जिन्हें तत्काल उपचार की जरूरत है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने इस रिपोर्ट के बाद ही नशे से निपटने के लिए नेशनल एक्शन प्लान को अंतिम रुप दिया था।