पाकिस्तान के कुछ प्रचलित हिंदू मंदिर जंहा मुसलमान भी टेकते हैं मत्था


भारत की पहचान सबसे पुरानी संस्कृति और सभ्यता के तौर पर होता है। फिर चाहे बात आप यहां की विविधता की कीजिए या फिर इसके सांस्कृतिक इतिहास की। यह तो सभी जानते हैं कि भारत की संस्कृति पूरे विश्व में सबसे पुरातन है, जिसका दायरा हिमालय के बर्फ से लेकर दक्षिण के श्रीलंका तक, पश्चिम के रेगिस्तान से पूर्व के नम डेल्टा तक फैला है। इतना ही नहीं भारत में कई ऐसे मंदिर हैं जो पूरे विश्व में मशहूर हैं। इन मंदिरों में रोजना लाखों की मात्रा में श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने जाते हैं। हालांकि मंदिरों में केवल हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोग जाते हैं। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान में एक ऐसा मंदिर है, जहां हिंदू ही नहीं मुस्लिम लोग भी पूजा करने जाते हैं। आखिर ऐसी क्या वजह जिसके चलते उस मंदिर में मुस्लिम लोग भी मत्था टेकते हैं? 


51 शक्तिपीठों में से एक है ये मंदिर
पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित इस पवित्र मंदिर में हिंगलाज माता की पूजा की जाती है। बात अगर हम इसके इतिहास की करें तो यह कहा जाता है कि जब भगवान शिव माता  सती की लाश अपने गोद में लिए थे, उस समय विष्णु भगवान ने सती माता का सिर काटने के लिए चक्र फेंका था। उस चक्र ने सीधे जाकर सती माता का सिर काट दिया। कटने के बाद सिर सीधे आकर पृथ्वी पर गिरा। ऐसी मान्यता है कि पृथ्वी पर माता का सिर इसी जगह पर गिरा था। बाद में इसे हिंगलाज माता के मंदिर के नाम से जाना जाने लगा। ये पाकिस्तान के बलूचिस्तान से 120 किलोमीटर की दूरी पर हिंगुल नदी के तट पर स्थित है। माता के 51 शक्तिपीठों में इस जगह का नाम भी आता है।


पाकिस्तान बंटवारा से पहले भारत की  पश्चिमी सीमा अफगानिस्तान और ईरान तक थी। उस समय हिंगलाज मंदिर हिंदूओं का प्रमुख तीर्थ स्थान हुआ करता था। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि बलूचिस्तान के मुसलमान भी हिंगला देवी की पूजा करते थे। मुस्लिम समुदाय के लोग हिंगलाज माता को नानी कहकर लाल कपड़ा, अगरबत्ती, मोमबत्ती, इत्र-फलुल और सिरनी चढ़ाते थे। हिंदूओं के लिए शक्तिपीठ होने के साथ-साथ यह स्थान मुसलमानों के लिए यह 'नानी पीर' का स्थान है


स्वामी नारायण मंदिर पाकिस्तान के कराची शहर के बंदर रोड पर स्थित है। ये मंदिर करीब 32,306 हजार स्कवेयर यार्ड में बना हुआ है। यह मंदिर लगभग 160 साल पुराना है। जितनी आस्था के साथ इस मंदिर में हिन्दु मत्था टेकते हैं उतनी ही आस्था के साथ यहां मुलमान भी मत्था टेकते हैं। यही नहीं जब देश का बंटवारा हो रहा था तो उस दौरान इस हिंदू मंदिर का उपयोग रिफ्यूजी कैंप के रूप में भी किया गया था। इस मंदिर के परिसर में एक गुरु नानक गुरुद्वारा भी मौजूद है। आज जहां धर्म के नाम पर हिंदु और मुस्लमानों के बीच दरार पैदा की जा रही है। वही ये मंदिर गंगा जमुनी तहजीब के तहत प्रेम का संदेश देती है


वहीं कराची स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर से जुड़ी यह मान्यता है कि यह मंदिर तकरीबन 2000 साल पुराना है। इस मंदिर में स्थित एक हनुमान जी के मूर्ति को त्रेतायुग से भी 17 लाख साल पुराना माना जाता है। इसका पुनर्निर्माण साल 1082 में कराया गया था। भारत के लोगों की राम जी में गहरी आस्था के कारण यहां अनेकों राम मंदिर हैं। लेकिन पाकिस्तान में भी कुछ राम मंदिर स्थित हैं जिनमें सबसे विशेष इस्लाम कोट का राम मंदिर है।