पहली बार ‘हिमाचली पहाड़ी’ गाय को देसी पशु ब्रीड होने की पहचान मिली


हिमाचल की देसी गाय को पहली बार देसी पशु ब्रीड होने की पहचान मिली है। कृषि विवि पालमपुर के पशु वैज्ञानिकों के लगातार शोधों से यह सफलता मिली। अन्य राज्यों की तर्ज पर अब ‘हिमाचली पहाड़ी’ गाय प्रदेश की पहली देसी नस्ल होगी। कुलपति प्रो. अशोक कुमार सरयाल ने बताया कि ब्रीड रजिस्ट्रेशन कमेटी ऑफ नेशनल ब्यूरो ऑफ एनिमल जेनेटिक्स करनाल ने इसे स्वीकृत और पंजीकृत किया है।


प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. यशपाल ठाकुर के नेतृत्व में पशु वैज्ञानिकों ने इस ब्रीड पर अपना शोध कार्य संपूर्ण किया। लिहाजा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की नोडल एजेंसी नेशनल ब्यूरो ऑफ एनिमल जेनेटिक्स के पास अनूठे गुणों से भरपूर इस देसी गोवंश ब्रीड का पंजीकरण करवाया है। पंजीकृत सात पशु नस्लों में हिमाचली गोवंश पशुओं की ब्रीड भी शामिल है जो प्रदेश के कम चारे वाले बहुत ऊंचे व अत्यंत ठंडे इलाकों में रह सकते हैं। 

कुल्लू, चंबा, मंडी, कांगड़ा, सिरमौर, किन्नौर व लाहौल-स्पीति जिलों के करीब आठ लाख लोग इस ब्रीड को पालते हैं। पहाड़ी गाय प्रतिदिन लगभग एक से तीन लीटर तक दूध देती हैं। कुलपति ने आशा प्रकट की कि इस ब्रीड के पंजीकरण के बाद इस पशु ब्रीड के शोध व संरक्षण हेतु वित्तीय एजेंसियों से धन मिलता रहेगा। कांगड़ा और चंबा में घुमंतू गुजरों की पाली जाने वाली गोजरी भैंस का भी पंजीकरण हुआ है।