सुभाष चंद्र बोस ही थे गुमनामी बाबा ,रहस्य और गहराया


गुमनामी बाबा की वास्तविक पहचान को लेकर रहस्य और गहरा गया है और सीएफएसएल कोलकाता ने कहा है कि उसके पास उनके दांत का इलेक्ट्रोफेरोग्राम उपलब्ध नहीं है।


एक इलेक्ट्रोफेरोग्राम उस आंकड़े का क्रम दर्शाता है जो स्वचालित डीएनए क्रमावली मशीन द्वारा तैयार किया जाता है और इसका इस्तेमाल वंशावली डीएनए परीक्षण से नतीजे हासिल करने के लिये किया जाता है।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बारे में सायक सेन द्वारा दायर आरटीआई के जवाब में सीएफएसएल के मुख्य जन सूचना अधिकारी बी पी मिश्रा ने कहा, इस मामले की इलेक्ट्रोफेरोग्राम रिपोर्ट सीएफएसएल कोलकाता के पास उपलब्ध नहीं है। 

उन्होंने चार फरवरी 2020 को दायर जवाब में कहा, अगर कोई अपील हो तो वह इस संदर्भ में यह पत्र मिलने के 30 दिनों के अंदर सीएफएसएल कोलकाता के निदेशक, अपीली प्राधिकार के समक्ष की जा सकती है। 

नेताजी की रहस्यमयी मौत के मामले की जांच कर रहे विष्णु सहाय आयोग ने सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैब (सीएसएफएल) कोलकाता की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया था कि गुमनामी बाबा बोस नहीं थे।