टेलीकॉम कंपनियों को 1.47 लाख का AGR बकाया


सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और टाटा टेलीसर्विसेज जैसी दूरसंचार कंपनियां एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) का बकाया चुकाने में मुस्तैदी दिखाई है. एयरटेल ने सोमवार को कहा कि उसने इस मद में 10,000 करोड़ रुपये जमा कर दिए हैं.वोडाफोन भी शुक्रवार तक 3500 करोड़ रुपये देने को तैयार हो गया है.


उक्त तीनों कंपनियों पर ही संयुक्त रूप से एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का एजीआर बकाया है. वोडाफोन ने सुप्रीम कोर्ट को सोमवार को बताया कि वह शुक्रवार को सरकार को 3500 करोड़ रुपये देगी.


वोडफोन ने कहा कि उसके मुताबिक मूलधन राश‍ि 7,000 करोड़ रुपये का होता है, जिसका आधा वह शुक्रवार तक जमा कर देगी. वोडफोन ने सुप्रीम कोर्ट के पास एक संशोधन याचिका दायर कर और मोहलत देने की मांग की है.


एयरटेल ने सोमवार को जारी एक बयान में कहा कि उसने एजीआर बकाये के मद में 10,000 करोड़ रुपये जमा कर दिए हैं.


क्या कहा कंपनियों ने


एक आधिकारिक सूत्र ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया, 'एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और टाटा टेलीसर्विसेज ने कहा है कि वे सोमवार को भुगतान करेंगी. दूरसंचार विभाग कंपनियों द्वारा किए गए भुगतान का मूल्यांकन करने के बाद आगे की कार्रवाई करेगा.' 





भारती एयरटेल ने इससे पहले शुक्रवार को दूरसंचार विभाग को 20 फरवरी तक 10 हजार करोड़ रुपये का भुगतान करने की पेशकश की थी, लेकिन दूरसंचार विभाग ने समय सीमा में अब छूट देने से साफ इनकार कर दिया.


वोडाफोन आइडिया ने शनिवार को कहा कि वह इसका आकलन कर रही है कि एजीआर बकाए को लेकर कितना भुगतान किया जा सकता है,  सुप्रीम कोर्ट ने 24 अक्टूबर 2019 को दिये फैसले में कहा था कि दूरसंचार कंपनियों पर सम्मिलित रूप से 1.47 लाख करोड़ रुपये का एजीआर बकाया है. इन कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट ने 23 जनवरी तक बकाए का भुगतान करने को कहा था, लेकिन रिलायंस जियो के अलावा  किसी भी कंपनी ने अभी तक भुगतान नहीं किया है.


कितना है बकाया


उपलब्ध अंतिम अनुमान के हिसाब से ब्याज और जुर्माने सहित सभी कंपनियों पर करीब 1.47 लाख करोड़ रुपये का बकाया है. एयरटेल पर 35,586 करोड़ रुपये, वोडाफोन आइडिया पर 53 हजार करोड़ रुपये, टाटा टेलीसर्विसेज पर 13,800 करोड़ रुपये, बीएसएनएल पर 4,989 करोड़ रुपये और एमटीएनएल पर 3,122 करोड़ रुपये का एजीआर बकाया है. सरकारी कंपनियां बीएसएनएल और एमटीएनएल ने भी अब तक भुगतान नहीं किया है.  कई कंपनियों का कारोबार बंद हो चुका है. रिलायंस कम्युनिकेशंस और एयरसेल इस समय दिवाला प्रक्रिया का सामना कर रही हैं.


क्या है AGR मसला


एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा टेलीकॉम कंपनियों से लिया जाने वाला यूजेज और लाइसेंसिग फीस है. इसके दो हिस्से होते हैं- स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज और लाइसेंसिंग फीस, जो क्रमश 3-5 फीसदी और 8 फीसदी होता है.


दूरसंचार विभाग कहना था कि  AGR की गणना किसी टेलीकॉम कंपनी को होने वाली संपूर्ण आय या रेवेन्यू के आधार पर होनी चाहिए, जिसमें डिपॉजिट इंट्रेस्ट और एसेट बिक्री जैसे गैर टेलीकॉम स्रोत से हुई आय भी शामिल हो. दूसरी तरफ, टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि AGR की गणना सिर्फ टेलीकॉम सेवाओं से होने वाली आय के आधार पर होनी चाहिए. लेकिन सुप्रीम कोर्ट नेटेलीकॉम विभाग के पक्ष को सही मानते हुए उसके समर्थन में फैसला दिया है.