ट्रस्ट को पत्र भेजकर मुसलमानों की कब्रों पर राम मंदिर न बनाए जाने का आग्रह किया


सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन कर दिया गया है और 19 फरवरी को ट्रस्ट की पहली बैठक होने वाली है, इस बीच अयोध्या के कुछ मुसलमानों ने वकील के जरिए ट्रस्ट को पत्र भेजकर मुसलमानों की कब्रों पर राम मंदिर न बनाए जाने का आग्रह किया है। पत्र में कहा गया है कि आज भले ही वहां कब्रें न दिख रही हों लेकिन वहां की 4-5 एकड़ जमीन पर मुसलमानों की कब्रें थीं ऐसे में वहां मंदिर की नीव कैसे रखी जा सकती है।


करीब नौ मुसलमानों ने वकील के जरिये ट्रस्टियों को भेजे पत्र में कहा है कि केन्द्र सरकार द्वारा 1993 में अयोध्या में अधिग्रहित की गई 67 एकड़ जमीन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार ने राम मंदिर निर्माण के लिए दे दी है। उस जमीन पर मुसलमानों की कब्रें थीं। वह जमीन करीब 4 - 5 एकड़ है। केन्द्र सरकार ने इस पहलू पर विचार नहीं किया कि मुसलमानों के कब्रिस्तान पर भव्य राममंदिर नहीं बन सकता। यह धर्म के विरुद्ध है।


 

पत्र में ट्रस्टियों से कहा गया है कि आप सभी प्रबुद्ध लोग है और आपको हिन्दू सनातन धर्म की जानकारी है। आप लोगों को इस बात पर विचार करना चाहिए कि क्या राम जन्मस्थान मंदिर की नीव मुसलमानों की कब्रों पर रखी जा सकती है। ट्रस्ट के प्रबंधन को यह फैसला करना होगा।


पत्र में ट्रस्ट से आग्रह किया गया है कि 4-5 एकड़ जमीन जहां ढहाई गई मस्जिद के आसपास कब्रें थीं, उस जगह का प्रयोग न किया जाए। कहा गया है कि भले ही आज वहां कब्रें न नजर आ रही हों लेकिन इस बात पर विचार किया जाना चाहिए कि 1949 को जब वहां अंदर मूर्तियां रखी गईं से लेकर 1992 तक जब ढांचा ढहाया गया वह जगह अलग तरह से प्रयोग होती रही है। ट्रस्टियों को भेजा गया यह पत्र 15 फरवरी का लिखा हुआ है।