‘आवश्यक वस्तु’ लिस्ट में मास्क, हैंड सैनिटाइजर घोषित, काला बाजारी की तो सलाखों के पीछे


केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस के मद्देनजर मास्क व हैंड सैनिटाइजर की कमी व काला बाजारी की आशंका को देखते हुए इन्हें ‘आवश्यक वस्तु’ घोषित कर दिया है। ये उत्पाद जून तक ‘आवश्यक वस्तु’ बने रहेंगे ताकि इनकी काला बाजारी पर रोक लग सके और किफायती दामों पर उपलब्ध हो सकें।





आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत जारी आदेश के मुताबिक, सरकार ने मास्क (2 प्लाई व 3 प्लाई सर्जिकल मास्क, एन95 मास्क) व हैंड सैनिटाइजर को 30 जून, 2020 तक आवश्यक वस्तु घोषित किया है। इस फैसले से केंद्र व राज्यों को मास्क व हैंड सैनिटाइजर के उत्पादन, गुणवत्ता व वितरण को नियमित करने का अधिकार मिलेगा। अधिनियम के तहत अपराध में सात साल तक की सजा का प्रावधान है। 

जरूरी उत्पाद लिस्ट में शामिल किए जाने के बाद राज्य सरकारें अब ऐसे वेंडर और दुकानदारों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकती हैं जो कीमत बढ़ाकर इसे बेच रहे हैं। सरकार अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही है कि मास्क और सैनिटाइजर की सप्लाई में कोई कमी नहीं आए।


एनपीपीए ने राज्यों से कहा, सुनिश्चित करें कि एमआरपी से अधिक दाम पर नहीं बिके मास्क, सैनिटाइजर



राष्ट्रीय औषधि मूल्य प्राधिकरण (एनपीपीए) ने सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि मास्क और सैनिटाइजर की बिक्री अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) से ऊचे दाम पर नहीं हो।

एनपीपीए ने ट्वीट किया, ‘सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के राज्य औषधि नियंत्रकों (एसडीसी) और खाद्य एवं औषधि प्रशासकों (एफडीए) से आग्रह किया जाता है कि वे बाजार पर नजर रखें और यह सुनिश्चित करें कि मास्क और सैनिटाइजर की बिक्री एमआरपी से अधिक दाम पर नहीं होनी चाहिए।’

इससे पहले एनपीपीए ने राज्यों के मुख्य सचिवों और प्रमुख सचिवों (स्वास्थ्य) और राज्य औषधि नियंत्रकों को पत्र लिखकर दवाओं की उपलब्धता और उत्पादन की निगरानी करने को कहा था ताकि इनकी कालाबाजारी और जमाखोरी को रोका जा सके।

एनपीपीए की चेयरमैन शुभ्रा सिंह ने इस मुद्दे पर बृहस्पतिवार को फार्मा उद्योग संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की थी। एनपीपीए दवाओं के मूल्य निर्धारण के लिए स्वतंत्र नियामक है। यह कम दाम पर दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करता है।