लगातार सुस्ती और इसके लंबे समय तक जारी रहने की आशंका से भारतीय कॉरपोरेट जगत की क्रेडिट प्रोफाइल दबाव में है। लिहाजा आने वाले तीन वर्षों में कम से कम 10.52 लाख करोड़ रुपये का कॉरपोरेट कर्ज डिफॉल्ट या एनपीए की चपेट में आ सकता है।
अर्थव्यवस्था में जारी सुस्ती को जल्द खत्म न किया गया तो आने वाले समय भारतीय कॉरपोरेट जगत भारी जोखिम से घिर जाएगा। इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने सोमवार को जारी रिपोर्ट में बताया कि सुस्ती के असर से अगले तीन वर्षों में 10.52 लाख करोड़ रुपये का कॉरपोरेट कर्ज एनपीए हो सकता है।
रेटिंग एजेंसी के अनुसार, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने हाल में जारी अक्तूबर-दिसंबर 2019 तिमाही के लिए विकास दर 4.7 फीसदी रहने का अनुमान जताया था। साथ ही चालू वित्त वर्ष में विकास दर पांच फीसदी रहने की बात कही थी।
एजेंसी ने बताया कि लगातार सुस्ती और इसके लंबे समय तक जारी रहने की आशंका से भारतीय कॉरपोरेट जगत की क्रेडिट प्रोफाइल दबाव में है। लिहाजा आने वाले तीन वर्षों में कम से कम 10.52 लाख करोड़ रुपये का कॉरपोरेट कर्ज डिफॉल्ट या एनपीए की चपेट में आ सकता है। यह राशि कुल कॉरपोरेट कर्ज की करीब 16 फीसदी है।
रेटिंग एजेंसी के अनुसार, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने हाल में जारी अक्तूबर-दिसंबर 2019 तिमाही के लिए विकास दर 4.7 फीसदी रहने का अनुमान जताया था। साथ ही चालू वित्त वर्ष में विकास दर पांच फीसदी रहने की बात कही थी।
एजेंसी ने बताया कि लगातार सुस्ती और इसके लंबे समय तक जारी रहने की आशंका से भारतीय कॉरपोरेट जगत की क्रेडिट प्रोफाइल दबाव में है। लिहाजा आने वाले तीन वर्षों में कम से कम 10.52 लाख करोड़ रुपये का कॉरपोरेट कर्ज डिफॉल्ट या एनपीए की चपेट में आ सकता है। यह राशि कुल कॉरपोरेट कर्ज की करीब 16 फीसदी है।
रियल एस्टेट और ऑटो सेक्टर पर जोखिम ज्यादा
रेटिंग एजेंसी ने जोखिमों का आकलन करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों का विश्लेषण किया। इसके बाद निष्कर्ष निकाला कि रियल एस्टेट, ऊर्जा, ऑटो और सहायक क्षेत्र, दूरसंचार व इन्फ्रास्ट्रक्चर सहित 11 क्षेत्रों पर ऋण डिफॉल्ट का सबसे ज्यादा जोखिम है। एजेंसी ने इस विश्लेषण के लिए 500 बड़े कर्ज वाली कंपनियों की संपत्ति गुणवत्ता और उनकी उत्पादकता व गैर-उत्पादक संपत्तियों का गहन अध्ययन किया है। इससे कंपनियों के रीफाइनेंसिंग जोखिमों का भी खुलासा होता है।
विकास दर गिरने पर और बढ़ सकता है जोखिम
इंडिया रेटिंग्स ने बताया कि अगर वित्त वर्ष 21 और 22 में विकास दर गिरकर 4.5 फीसदी तक जाती है, तो आपराधिक श्रेणी में आने वाले कर्ज का दायरा 159 आधार अंक बढ़कर सिस्टम में जारी कुल कॉरपोरट कर्ज का 5.59 फीसदी पहुंच सकता है। इसके उलट, अगर वित्त वर्ष 2021 और 2022 में विकास दर बढ़कर 7 फीसदी पहुंच जाती है, तो जोखिम वाले इस कर्ज का दायरा 87 आधार अंक घटकर 3.13 फीसदी पर आ सकता है।