देश में मई तक13 लाख तक पहुंच सकते हैं कोरोना संक्रमित मामले


 

देश में कोरोना वायरस के मामले जिस रफ्तार से बढ़ रहे हैं, उसके आधार पर मई के मध्य तक यह आंकड़ा 10 लाख से 13 लाख के बीच पहुंच सकता है। यह अनुमान संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के वैज्ञानिकों की एक टीम ने लगाया है। अध्ययन के मुताबिक अगर सामूहिक दूरी जैसे उपायों को गंभीरता से नहीं लिया गया तो अप्रैल के अंत तक मरीजों की संख्या 30,000 से 230,000 के बीच हो सकती है।वैज्ञानिकों ने कहा कि यह केवल अनुमान है। इस रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका और इटली की तुलना में कोरोना से निपटने के लिए भारत अच्छा काम कर रहा है। इसका प्रसार रोकने के लिए सख्त प्रतिबंध और उपाय किए जा रहे हैं।मिशिगन विश्वविद्यालय में बायोस्टैटिस्टिक्स और महामारी विज्ञान के प्रो भ्रामर मुखर्जी और जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के देबाश्री रे भी अध्ययन में थे। उन्होंने कहा, अगर कोरोनावायरस के मामले ऐसे ही बढ़ते रहे तो स्थिति दर्दनाक हो सकती है।अध्ययन कोविड-इंडिया-19 स्टडी समूह के वैज्ञानिकों ने किया है। समूह यह पता लगा रहा था कि भारत में इस बीमारी का खतरा कितना बड़ा है। समूह में शामिल डाटा वैज्ञानिकों के मुताबिक भारत में जांच दर बहुत कम है। 18 मार्च को देश में कोरोना टेस्ट के लिए 11500 सैंपल मिले।इससे समझा जा सकता है कि जांच के लिए लोग सामने नहीं आ रहे हैं। अब तक कोविड-19 की वैक्सीन मंजूर नहीं हुई है और न दवा बनी है। ऐसे में अगर कोरोना भारत में दूसरे और तीसरे चरण में पहुंचा तो परिणाम विनाशकारी होंगे।वैज्ञानिक के मुताबिक, अमेरिका या इटली में कोविड-19 धीरे-धीरे फैला और फिर अचानक तेजी से मामले आए। मौजूदा अनुमान देश में शुरुआती चरण के आंकड़ों पर है, जो कि कम टेस्टिंग की वजह से है।वैज्ञानिकों की इस टीम में अमेरिका के जॉन हॉपकिंस विश्वविद्यालय की देबश्री रॉय भी शामिल हैं। वैज्ञानिकों ने कहा कि यह बात जांच के दायरे, जांच के नतीजों की सटीकता और उन लोगों की जांच पर निर्भर करती है जिनमें इस वायरस से संक्रमण के कोई लक्षण नहीं दिख रहे हैं।उन्होंने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, अभी तक, भारत में जांच किए गए लोगों की संख्या तुलनात्मक रूप से बहुत कम है। व्यापक जांच नहीं होने की स्थिति में सामुदायिक स्तर पर संक्रमण को रोक पाना असंभव है। इसका यह मतलब है कि हम यह आकलन नहीं कर सकते कि अस्पतालों और स्वास्थ्य सुविधा केंद्रों के बाहर कितनी संख्या में संक्रमित व्यक्ति हैं। उन्होंने कहा कि भारत के लिए यह जरूरी है कि वह देश में कोरोना वायरस संक्रमण के तेजी से फैलने से पहले बेहद कड़े उपायों को अपनाए। भारत की हेल्थ सिस्टम इस महामारी से लड़ने में अभी तैयार नहीं है। भारत में प्रति 1,000 लोगों पर अस्पताल के बेड की संख्या केवल 0.7 है। वहीं, फ्रांस में यह 6.5, दक्षिण कोरिया में 11.5, चीन में 4.2, इटली में 3.4, ब्रिटेन में 2.9, अमेरिका में 2.8 और ईरान में 1.5 है। कई लोग देश में टेस्टिंग किट की कमी का जिक्र करते हैं। भारत में 18 मार्च तक 12 हजार से अधिक लोगों की जांच हुई थी। भारत की तुलना में बहुत कम आबादी के दक्षिण कोरिया में दो लाख 70 हजार व्यक्तियों की जांच हो चुकी है।हैदराबाद। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने लॉकडाउन मानने की अपील की। उन्होंने कहा, अमेरिका में लॉकडाउन लागू कराने के लिए सेना बुलानी पड़ी। अगर लोग लॉकडाउन नहीं मानेंगे तो हमें 24 घंटे का कर्फ्यू लगाने और देखते ही गोली मारने का आदेश देना पडे़गा।बता दें कि स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार रात भारत में 21 दिनों के लिए संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की थी। वैज्ञानिकों ने अपने विश्लेषण में 16 मार्च तक भारत में दर्ज मामलों से जुड़े आंकड़ों का इस्तेमाल किया।