खेतों में जाकर किसान संभाल सकते हैं फल-सब्जी-सीएम अमरिंदर सिंह


पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कोविड -19 के एहतियाती कदमों के साथ किसानों को बागबानी की पैदावार को संभालने और मंडीकरण की इजाजत देने के लिए संबंधित विभागों को आदेश जारी किए हैं। इसके साथ ही उन्होंने एलान किया कि राज्य में गेहूं की कटाई मौसम की मौजूदा हालत के हिसाब से अप्रैल के मध्य के आसपास होगी लेकिन उन्होंने फसल की निर्विघ्न खरीद और समय पर अदायगी का भरोसा दिलाया।
 

शुक्रवार को आलू की कटाई और गेहूं की कटाई के लिए प्रबंधों का जायजा लेते हुए सीएम ने कहा कि राज्य में गेहूं की कटाई में मौसमी हालात के कारण देरी हुई है, जो 12 -15 अप्रैल तक शुरू हो सकती है। कैप्टन ने कहा कि आलू खोदने और भंडारण करने के लिए जरूरी प्रबंध किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार गेहूं की निर्विघ्न खरीद और किसानों को फसल की समय पर अदायगी करने को भी यकीनी बनाएगी।

 


सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि गेहूं की कटाई संबंधी विस्तृत दिशा निर्देश 31 मार्च तक जारी होने की उम्मीद है। इसी दौरान मुख्यमंत्री ने बागबानी विभाग, पंजाब एग्रो इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन और पंजाब मंडी बोर्ड को आदेश दिए कि किसानों को बिना किसी मुश्किल से बाग़बानी की पैदावार को संभालने और मंडीकरण की आज्ञा देने के लिए संबंधित जिला अधिकारियों के साथ तालमेल करके जरूरी योजना बनायी जाए। मुख्यमंत्री कार्यालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि पंजाब मंडी बोर्ड की तरफ से जिला मंडियों अधिकारियों की विस्तृत सूची उनके संपर्क नंबरों समेत जारी की गई है ताकि किसान संबंधित अधिकारियों से संपर्क कायम कर सकें।


सभी डीसी को एडवाइजरी जारी


इस बीच, अतिरिक्त मुख्य सचिव (विकास-कम-वित्त कमिशनर बाग़बानी) विश्वजीत खन्ना ने भी सभी डिप्टी कमिश्नरों को एडवाइजरी जारी करते हुए कहा है कि वह खेत मजदूरों और किसानों को बाग़बानी पैदावार संभालने और वस्तुओं की ढुलाई के लिए अपेक्षित आज्ञा दें ताकि सब्जियां, फल आदि बाजार या कोल्ड स्टोरों में पहुंचाए जा सकें। खन्ना ने यह भी निर्देश दिए हैं कि इनके लिए आज्ञा देने से स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी एडवाइजरी की जानकारी भी किसानों को दी जाए, जिसमें सामाजिक दूरी का ध्यान रखना, मास्क और सैनिटाइजर का प्रयोग और हाथ धोने आदि शामिल हैं। 

कर्फ्यू के कारण बढ़ी किसानों की मुश्किल
कोविड -19 के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए किए जाने वाले उपायों के तहत राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अथॉरिटी द्वारा 24 मार्च को जारी दिशा निर्देशों से फल-सब्जी उत्पादकों खासकर, होशियारपुर, फाजिल्का, श्री मुक्तसर साहिब और बठिंडा जिलों की खट्टे फलों के क्षेत्र, जालंधर, कपूरथला, शहीद भगत सिंह नगर, मोगा, लुधियाना और बठिंडा जिलों के आलू उत्पादकों और राज्य भर के सब्जी उत्पादकों को पैदावार संभालने और मंडीकरण के लिए मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। भारतीय किसान यूनियन ने भी बीते दिनों यह मामला उठाया था।



सरपंचों को कर्फ्यू राहत के लिए पंचायत फंड के इस्तेमाल की छूट


पंजाब सरकार की ओर से कोविड-19 की जांच और क्वारंटीन की सुविधा स्थापित करने के साथ-साथ कर्फ्यू के दौरान राहत कार्यों में तेजी लाने के लिए सरपंचों को इमरजेंसी राहत व गरीबों की जरूरतों के लिए पंचायत फंड के इस्तेमाल का अधिकार दे दिया। सरपंचों को पंचायत फंड से रोजाना 5000 रुपये खर्च करने का अधिकार दिया गया है और वे अधिकतम 50000 रुपये तक खर्च कर सकते हैं।

इसके अलावा सरपंचों को संबंधित गांव में मेडिकल इमरजेंसी की हालत में रात 7 बजे से सुबह 6 बजे तक कर्फ्यू पास या पत्र जारी करने के लिए भी अधिकृत किया गया है ताकि जरूरतमंद व्यक्ति डॉक्टर या अस्पताल तक जा सकें। सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि यह पहलकदमी सरकार की गांव तक प्रदेश के अधिक से अधिक लोगों को राहत देने के लिए शुरू की गई है ताकि कोविड-19 के संकट के दौरान कर्फ्यू के कारण लोगों को हो रही परेशानियां कम हो सकें।

मुख्यमंत्री ने कोविड-19 के टेस्टों की जांच को ओर तेज करने के आदेश दिए। बीते दो दिनों में 233 सैंपलों की जांच की गई, जिनमें सात टेस्ट पॉजिटिव पाए गए। इस तरह प्रदेश में अब तक टेस्ट किए सैंपलों की संख्या 789 हो गई है, जिनमें से 38 पॉजिटिव और 480 नेगेटिव पाए गए हैं जबकि 271 की रिपोर्ट आनी बाकी है।