राणा कपूर के आवास पर छापे के बाद ,पूछताछ के लिए ईडी दफ्तर लाया गया


नकदी संकट में घिरे यस बैंक के संस्थापक और इस संकट के सामने आने से पहले बोर्ड छोड़ चुके बैंक के पूर्व सीईओ राणा कपूर के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज कर लिया है।  शनिवार को राणा को मुंबई स्थित ईडी दफ्तर लाया गया। यहां राणा से पूछताछ होगी। इससे पहले ईडी ने राणा कपूर के घर सहित कई ठिकानों पर शुक्रवार को छापेमारी की थी। ईडी की टीम ने कपूर से उनके आवास पर भी पूछताछ की थी और राणा के खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी किया था। 


अधिकारियों का कहना है कि उनके खिलाफ यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के संबंध में की गई है। ईडी ने उनके व अन्य के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत मामला दर्ज किया है। अधिकारियों का कहना है कि इस छापे की कार्रवाई का मकसद और साक्ष्यों को जुटाना है। केंद्रीय एजेंसी एक कारपोरेट कंपनी को बैंक द्वारा लोन देने और इसके बदले में पत्नी के बैंक खातों में रिश्वत लेने के संबंध में राणा की भूमिका की जांच कर रही है।


कपूर के खिलाफ दर्ज मामले का संबंध डीएचएफएल जांच से भी जुड़ा है। बैंक से डीएचएफएल द्वारा लिया गया लोन एनपीए करार दिया गया था। इसके अलावा कुछ अन्य अनियमितताएं भी एजेंसी की जांच के दायरे में है। अगस्त 2019 में मूडीज ने यस बैंक की रेटिंग घटा दी थी। गौरतलब है कि आरबीआई ने बैंक के नकदी संकट को देखते हुए 3 अप्रैल तक सिर्फ 50 हजार रुपये निकालने की छूट दी है। हालांकि, यह भी साफ किया गया है कि इमरजेंसी में ग्राहक पांच लाख रुपये तक की निकासी कर सकते हैं।

बैलंस शीट की सही जानकारी नहीं देने पर राणा कपूर को आरबीआई ने 31 जनवरी को पद छोड़ने के लिए कहा था। बैंक की खराब हालत के चलते कंपनी के को-फाउंडर राणा कपूर को पद से हटना पड़ा था। बैंक मैसेजिंग सॉफ्टवेयर स्विफ्ट के नियमों का पालन न करने पर आरबीआई ने यस बैंक पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया। बता दें कि बैंक में लेनदेन के लिए इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाता है। यस बैंक की खस्ता हालत के चलते राणा कपूर को अपने शेयर बेचने पड़े थे। अक्टूबर 2019 में राणा कपूर और उनके ग्रुप की हिस्सेदारी घटकर 4.72 पर आ गई थी।


30 दिन के भीतर निकलेगा यस बैंक का समाधान: आरबीआई



रिजर्व बैंक (आरबीआई) गवर्नर शक्तिकांत दास यस बैंक से पैसे की निकासी पर मौद्रिक सीमा लगाए जाने के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि संकट में फंसे बैंक की समस्याओं का हल जल्द से जल्द निकाल लिया जाएगा। दास ने कहा कि 30 की सीमा अधिकतम है और इसका समाधान जल्द से जल्द निकाल लिया जाएगा।

संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा कि यस बैंक पर फैसला किसी एक इकाई के लिए नहीं बल्कि व्यापक हालात को ध्यान में रखते हुए लिया गया गया है। इसका उद्देश्य भारत के वित्तीय और बैंकिंग सेक्टर में स्थायित्व को बनाए रखना भी है। उन्होंने कहा, मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि बैंकिंग सेक्टर आगे मजबूत और सुरक्षित बना रहेगा।

यस बैंक पर कार्रवाई के वक्त पर दास ने कहा कि आरबीआई के अपरिपक्व फैसलों और इसमें लंबा वक्त लेने पर हमेशा ही बहस होती रही है। किसी भी समस्या के बाजार और बैंक आधारित समस्या को हमेशा ही प्राथमिकता दी जाती रही है। उन्होंने कहा, ‘आपको कदम उठाने और प्रयास करने के लिए बैंक प्रबंधन को समय देना होता है। बैंक ने प्रयास किए।

जब हमने देखा कि हम इंतजार नहीं कर सकते हैं, तो हमने दखल देने का फैसला किया। मुझे लगता है कि दखल देने का यह सही समय था। मैं आपको भरोसा दिला सकता हूं कि आरबीआई जल्द ही एक योजना लेकर सामने आएगा।