रेलवे के आठ सरकारी उत्पादन कारखाने ठप, रिकार्ड प्रोडक्शन के मंसूबों को झटका


कोरोना से लड़ाई की मुहिम में रेल यातायात के साथ रेल कारखानों में उत्पादन भी लगभग ठप पड़ गया है। रेलवे की कोच और इंजन बनाने वाली ज्यादातर इकाइयों ने न्यूनतम आवश्यक उत्पादन गतिविधियों को छोड़ फिलहाल उत्पादन बंद करने का फैसला किया है।


रेलवे की विभिन्न उत्पादन इकाइयों ने उत्पादन बंद करने का एलान कर दिया है। इनमें कपूरथला कोच फैक्ट्री- कपूरथला, इंटीग्रल कोच फैक्ट्री-चेन्नई, डीजल इंजन कारखाना-वाराणसी तथा चितरंजन लोकोमोटिव व‌र्क्स-चितरंजन प्रमुख हैं। रेलवे वर्कशॉप्स भी लगभग बंद हो गई हैं और इक्का-दुक्का लोग ही काम पर बुलाए जा रहे हैं। रोबोट से कोच निर्माण होने के कारण केवल रायबरेली की मॉडर्न कोच फैक्ट्री में कुछ हद तक उत्पादन करना संभव हो पा रहा है।


कोच इंजन के अलावा बेंगलुरु और बेला (बिहार) की ह्वील फैक्टि्रयां भी रुक गई हैं। कुल मिलाकर रेलवे के आठ सरकारी उत्पादन कारखाने ठप हो गए हैं। इससे चालू वर्ष में इन कारखानों में रिकार्ड उत्पादन के मंसूबों को झटका लगा है। अच्छी बात यह है कि ज्यादातर कारखाने पहले ही साल का लक्ष्य लगभग प्राप्त कर चुके हैं। सरकारी रेल कारखानों के अलावा संयुक्त उद्यम वाले मधेपुरा इलेक्टि्रक व मढ़ौरा डीजल इंजन कारखाने में भी कामकाज ठप पड़ने की खबरें हैं


रेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि सभी कारखानों को फिलहाल 25 मार्च तक न्यूनतम कर्मचारियों के साथ अति आवश्यक उत्पादन ही करने को कहा गया है। उसके बाद राज्यों के साथ चर्चा कर आगे का निर्णय लिया जाएगा। वैसे महाप्रबंधकों से भी राज्य सरकारों के संपर्क में रहने और स्वयं निर्णय लेने को कहा गया है। चूंकि केंद्र और राज्य सरकारें कल-कारखाने बंद करने के आदेश जारी कर रही हैं, लिहाजा रेल कारखानों को भी अधिकांश काम रोकना पड़ रहा है।


रेलवे अपने कारखानों में इस वित्त वर्ष में 31 मार्च तक करीब 7,600 कोच, 725 डीजल व इलेक्टि्रक इंजन तथा सवा लाख व्हील और 71 हजार एक्सल बनाने का लक्ष्य लेकर चल रही थी। इसमें ज्यादातर पूरे हो गए हैं।


इस बीच, बंगाल में एक रेल कर्मचारी की कोरोना से मौत होने से सावधानी बढ़ा दी गई है। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने रेलकर्मी की मौत पर संवेदना प्रकट की और सभी से अतिरिक्त सतर्कता बरतने का अनुरोध किया।