1 अप्रैल से 10 बैंक मिलकर बन जाएंगे चार, बदलेंगे नाम, होगी नई पहचान


कोरोना वायरस के चलते देश में 14 अप्रैल तक लॉकडाउन है। इस बीच 1 अप्रैल यानी कल से देश में 10 बैंकों का विलय होने जा रहा है, जिसके बाद यह चार बैंक में बदल जाएंगे और देश में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या 2017 में 27 से घटकर 12 हो जाएगी। 

इन बैंकों को 55,250 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। इसमें से अकेले पंजाब नेशनल बैंक को 16,000 करोड़ रुपये मिलेंगे। आइए जानते हैं किन बैंकों का किसमें मर्जर होगा।
 

इन बैंकों का हुआ विलय


  • पंजाब नेशनल बैंक में ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक का विलय होगा। ये दूसरा सबसे बड़ा सरकारी बैंक होगा, जो पीएनबी से 1.5 गुना बड़ा होगा। इनका कारोबार 17.95 लाख करोड़ रुपये का होगा और इस बैंक की 11,437 शाखाएं होंगी। इससे पहले सोमवार को पीएनबी ने नया लोगो भी जारी किया था। नए लोगो में सार्वजनिक क्षेत्र के तीनों बैंक के अलग-अलग हस्ताक्षर होंगे। पीएनबी ने सोमवार को एक ट्वीट में कहा था कि मर्जर से ग्राहकों को चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि तीन बैंक एक साथ बेहतर, बड़े और मजबूत होने के लिए आ रहे हैं। 

  • केनरा बैंक का विलय सिंडिकेट बैंक में होगा, जो देश का चौथा सबसे बड़ा बैंक होगा। इनका 15.20 लाख करोड़ रुपये का कारोबार होगा और देश में इस बैंक की 10,324 शाखाएं होंगी। बैंक का नया नाम केनरा होगा।

  • इंडियन बैंक का विलय इलाहाबाद में बैंक में किया गया है, जो देश का सातवां सबसे बड़ा सरकारी बैंक बनेगा। इनका 8.08 लाख करोड़ रुपये का कारोबार होगा। बैंक का नया नाम इलाहाबाद बैंक होगा।

  • इसके अलावा यूनियन बैंक, आंध्रा बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक का विलय होगा, जो देश का पांचवां सबसे बड़ा सरकारी बैंक बनेगा। इसका 14.59 लाख करोड़ रुपये का विलय होगा और बैंक की 9,609 शाखाएं होंगी। बैंक का नया नाम यूनियन बैंक ऑफ इंडिया होगा। 




  • क्यों हुआ बैंकों का विलय ?
    वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि इससे पहले तीन बैंकों के विलय से फायदा हुआ, रिटेल लोन ग्रोथ में 25 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। 50 साल पहले जुलाई 1969 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 14 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था।

    क्या बैंकों के विलय से दूर होगी एनपीए की समस्या ?
    कई सरकारी बैंकों का एनपीए काफी बढ़ गया है। ऐसे में सरकार द्वारा विलय करना मजबूरी है। जानकारों के मुताबिक कई बैंकों का एनपीए सात फीसदी के पार जा चुका है। ऐसे में विलय करने से सरकार बैंकों के एनपीए को कम कर सकेगी। बैंकों के लिए एनपीए बड़ी समस्या है। बैंकों के विलय से एनपीए की समस्या से निजात मिलेगी। अभी सरकारी बैंकों का 88 फीसदी बिजनेस इन 10 बैंकों से चार बैंकों के पास चला जाएगा। इससे इन 10 सरकारी बैंकों का एनपीए पांच से सात फीसदी तक कम होने की उम्मीद है। 

     




     




    क्यों हुआ बैंकों का विलय ?
    वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि इससे पहले तीन बैंकों के विलय से फायदा हुआ, रिटेल लोन ग्रोथ में 25 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। 50 साल पहले जुलाई 1969 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 14 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था।

    क्या बैंकों के विलय से दूर होगी एनपीए की समस्या ?
    कई सरकारी बैंकों का एनपीए काफी बढ़ गया है। ऐसे में सरकार द्वारा विलय करना मजबूरी है। जानकारों के मुताबिक कई बैंकों का एनपीए सात फीसदी के पार जा चुका है। ऐसे में विलय करने से सरकार बैंकों के एनपीए को कम कर सकेगी। बैंकों के लिए एनपीए बड़ी समस्या है। बैंकों के विलय से एनपीए की समस्या से निजात मिलेगी। अभी सरकारी बैंकों का 88 फीसदी बिजनेस इन 10 बैंकों से चार बैंकों के पास चला जाएगा। इससे इन 10 सरकारी बैंकों का एनपीए पांच से सात फीसदी तक कम होने की उम्मीद है।