मोबाइल और ईमेल पर कोरोना वायरस से बचने के उपायों की आड़ में बढ़ा साइबर हमलों का खतरा


दुनियाभर में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रसार से भारत सहित अधिकांश देश लॉक डाउन में हैं, ऐसे में अधिकांश निजी कम्पनियां अपने एम्प्लाइज से ‘वर्क फ्रॉम होम ‘ करा रही हैं जिसकी वजह से साइबर अटैक का खतरा बढ़ गया है। आम लोग भी घरों में बैठ कर अपना काम आनलाइन कर रहे हैं।


दुनियाभर में कोरोना संकट की आड़ में साइबर हमलों की कई घटनाएं सामने आई हैं। आम लोगों से साइबर ठगी के मामले बढ़े हैं। सरकारी संस्थानों, अस्पतालों से लेकर कंपनियों तक के डाटा लीक के मामले सामने आए हैं। भारत में ही पिछले तीन महीने में 10,000 से ज्यादा साइबर हमले किए जा चुके हैं।

महाराष्ट्र साइबर सेल के मुताबिक लोगों के मोबाइल और ई-मेल पर कोरोना वायरस से बचने के उपायों वाला एक लिंक भेज कर उन्हें शिकार बनाया रहा है। इस लिंक पर क्लिक करते ही लोगों के बैंक खातों से जुड़ी जानकारी उन लोगों तक पहुंच रही है, जो इस साजिश के पीछे है। 

पूरे विश्व में खौफ का पर्याय बन चुके कोरोना वायरस को ठगों ने अपना हथियार बना लिया है। कोरोना वायरस  के नाम पर न केवल लोगों के व्यक्तिगत डाटा बल्कि बैंक अकाउंट तक को साफ किया जा रहा है।


 



जिस तरह कोरोना वायरस को लेकर पूरे देशभर में माहौल है..



कैसे ठगी का शिकार बन रहे हैं लोग 
कोरोना वायरस से जुड़ी कोई जानकारी, सावधानियों से जुड़ा कोई भी मेल, मैसेज या वाट्सऐप पर आने पर, उस पर महज एक क्लिक ही आपको ठगी का शिकार बना सकता है। इस लिंक पर क्लिक करते ही लोगों के बैंक खातों से जुड़ी जानकारी उन लोगों तक पहुंच रही है, जो इस साज़िश के पीछे हैं। 

साइबर सेल ने बताया कि कई हैकर लोगों की इस जानकारी का इस्तेमाल उनके बैंक खातों में पड़ी रकम पर सेंध लगाने में कर सकते हैं। लगातार बढ़ रहे इन मामलों को लेकर महाराष्ट्र साइबर सेल ने लोगों को अलर्ट किया है।


दरअसल पिछले साल नवंबर महीने में चीन के वुहान से फैले कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है। हर कोई इस वायरस की खबर से डर हुआ है, यही डर हैकर्स का वो हथियार बना हुआ है जिसका इस्तेमाल कर वे चोरी किए गए डाटा से लोगों को कोरोना वायरस से जुड़ी हुई जानकारियां, सावधानी, पहचान के तरीके और बचने के लिए उपाय मेल, मैसेज, वाट्सऐप पर लिंक व आर्टिकल्स डालते हैं।

पिछले कुछ समय से जिस तरह कोरोना वायरस को लेकर पूरे देशभर में माहौल है, उसी के चलते लोग इन लिंक्स पर जहां क्लिक करते हैं। वैसे ही उस शख्स की सभी पर्सनल इन्फॉर्मेशन हैकर के पास पहुंच जाती है, इतना ही नहीं साथ-साथ आपके डाटा, मेल, वाट्सऐप, मैसेज में मौजूद अन्य लोगों से जुड़ी जानकारी भी हैकर्स तक पहुंचती हैं, जिसका इस्तेमाल वो अपने अगले टारगेट के तौर पर इस्तेमाल करते हैं।





इंटरनेट वायरस अथवा हैकिंग के जरिए सेंधमारी वह अपराध है 



अमेरिका से लेकर कई देशों में मामले 
हाल में ही अमेरिकी स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग पर साइबर अटैक का मामला सामने आया है। 'ब्लूमबर्ग' की रिपोर्ट के अनुसार, हैकर्स ने कोरोना वायरस से जुड़ी अफवाह फैलाने के मकसद से हैकिंग की थी। हैकिंग की खबर मिलते ही अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद फौरन हरकत में आई और मामले को संभालते हुए एक ट्वीट कर स्पष्टीकरण दिया।

अमेरिकी अधिकारियों ने महसूस किया कि स्वास्थ्य विभाग के सर्वर में घुसपैठ हुई है और कोरोनो वायरस के बारे में झूठी सूचना प्रसारित हो रही है, जिसके बाद उनकी टीम ने इसे रोकने की कोशिश की। रिपोर्ट्स के अनुसार, यह भी कहा जा रहा है कि विभाग के सिस्टम को धीमा करने के लिए इस हैकिंग को अंजाम दिया गया था।

साइबर अटैक की वजह से राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की ओर से रातोंरात एक ट्वीट किया गया। साइबर सुरक्षा के समक्ष खतरे भी बढ़ते जा रहे हैं। ये खतरे सारी दुनिया में बढ़ रहे हैं और इसका एक बड़ा कारण यह है कि साइबर सेंधमारी करने वालें तत्वों की पहचान भी मुश्किल है और उन तक पहुंच भी।

इंटरनेट वायरस अथवा हैकिंग के जरिए सेंधमारी वह अपराध है जिसमें आमतौर पर अपराधी घटनास्थल से दूर होता है। कई बार तो वह किसी दूसरे देश में होता है और ज्यादातर मामलों में उसकी पहचान छिपी ही रहती है। यह ठीक है कि भारत में साइबर सुरक्षा के प्रति सजगता बढ़ी है, लेकिन उसे पर्याप्त नहीं कहा जा सकता।





साइबर विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना वायरस से जुड़ा कोई भी संदेश जब यूजर्स क्लिक करता है तो...



साइबर सुरक्षा को चुस्त-दुरुस्त बनाने के लिए जैसे तंत्र का निर्माण अब तक हो जाना चाहिए था वह नहीं हो सका है। यह सही है कि साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कई संस्थाएं बनाई गई हैं, लेकिन उनके बीच अपेक्षित तालमेल का अभाव अभी भी दिखता है।


भारत में ही पिछले तीन महीने के दौरान 10,000 स्पैम अटैक किए गए। ऑस्ट्रेलिया में 6,000, तो इंडोनेशिया में 5,000 के करीब साइबर अटैक के प्रयास हुए। यही नहीं चेक रिपब्लिक में कोरोना टेस्टिंग की सबसे बड़ी लैब को निशाना बनाते हुए साइबर हमला किया गया है।

ई-मेल हैकर्स विश्वास बनाए रखने के लिए किसी एनजीओ या विश्व स्वास्थ्य संगठन के नाम पर मेल भेजते हैं ताकि कोई शक न हो। इसके अलावा ऐसी भाषा का भी प्रयोग करते हैं कि लोग डर के या फिर उत्सुकता में मेल में दिए लिंक को क्लिक करें।

साइबर विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना वायरस से जुड़ा कोई भी संदेश जब यूजर्स क्लिक करता है तो वायरस मोबाइल में 'डाउनलोड' हो जाता है, जिसके जरिए मोबाइल की पूरी 'एक्सेस' हैकर को मिल सकती है। इसके जरिए हैकर आपके पेटीएम, डिजिटल मनी से जुड़े अकाउंट में आसानी से सेंध लगा सकता है। कुल मिलाकर कोरोना की आड़ में साइबर ठगों से बचें ,किसी भी तरह के संदेहास्पद लिंक को मोबाइल या मेल से क्लिक न करें, घर पर स्वस्थ रहें और सुरक्षित रहें।
 


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