उद्धव ठाकरे ने सीएम पद बचाने के लिए मांगी मोदी से मदद, PM ने कहा- देखते हैं...


कोरोना के खिलाफ जारी जंग के बीच महाराष्ट्र में सियासी पारा चढ़ता जा रहा है. राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को गवर्नर कोटे से MLC बनाए जाने के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एंट्री हो गई है. सीएम उद्धव ठाकरे ने पीएम मोदी से मदद मांगी है. वहीं, पीएम ने भी इस मसले को देखने की बात कही है.


बता दें कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एमएलसी नामित करने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने कैबिनेट से दो बार प्रस्ताव पास कर भेजा है, लेकिन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया है. ऐसे में उद्धव की कुर्सी पर खतरा मंडराता दिख रहा है.


देना पड़ेगा इस्तीफा...


सूत्रों के मुताबिक, उद्धव ठाकरे ने राज्यपाल कोटे से MLC नामित करने के संदर्भ में पीएम मोदी से मदद मांगी है. उन्होंने कहा कि अगर ऐसा नहीं होता है तो उन्हें इस्तीफा देना पड़ेगा. वहीं, पीएम ने कहा कि वो इस मामले को देखेंगे और अधिक जानकारी लेंगे.


28 अप्रैल को मिला था प्रतिनिधिमंडल


मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को विधान परिषद का सदस्य मनोनीत करने के प्रस्ताव को लेकर महा विकास अघाड़ी (MVA) का प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मिला था. इस प्रतिनिधिमंडल में डिप्टी सीएम अजीत पवार, छगन भुजबल, एकनाथ शिंदे, सुभाष देसाई, बालासाहेब थोरात और अनिल परब शामिल रहे.


इस मामले में स्टेट कैबिनेट ने सोमवार शाम राज्यपाल को दूसरा रिमाइंडर भेजा था, जिसमें उद्धव ठाकरे को विधानसभा के ऊपरी सदन यानी विधान परिषद में नामित करने का आग्रह किया. इस संबंध में पहला पत्र 11 अप्रैल को भेजा गया था.
चुनाव होना मुश्किल लग रहा है...


राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मंत्रिमंडल की सिफारिश पर अभी तक कोई फैसला नहीं किया है. ऐसे में अगर वे प्रस्ताव को अस्वीकार कर देते हैं तो उद्धव ठाकरे के पास दो ही विकल्प होंगे. पहला, 3 मई को लॉकडाउन खत्म होने के तुरंत बाद चुनाव आयोग विधान परिषद की खाली पड़ी सीटों के लिए चुनाव का ऐलान करे और 27 मई से पहले चुनाव प्रक्रिया पूरी कर परिणाम घोषित करे, ताकि मुख्यमंत्री निर्वाचित सदस्य के रूप में सदन के सदस्य बन सकें. हालांकि, कोरोना संकट के चलते चुनाव होना मुश्किल लग रहा है.


समूचे मंत्रिमंडल को इस्तीफा देना पड़ेगा...


विधान परिषद के चुनाव न होने की स्थिति में उद्धव ठाकरे को इस्तीफा देना होगा और फिर दोबारा से शपथ लेनी होगी. हालांकि इस प्रक्रिया में एक बड़ा पेच यह है कि मंत्रिमंडल की समस्त शक्तियां मुख्यमंत्री में निहित हैं. अगर मुख्यमंत्री अपने पद से इस्तीफा देते हैं तो समूचे मंत्रिमंडल को इस्तीफा देना पड़ेगा और फिर से सभी मंत्रियों को शपथ दिलानी पड़ेगी.