वर्ल्ड बैंक ने कोरोना संकट के बीच साउथ एशियाई देशों को दी ये चेतावनी


कोरोना महामारी आने वाले समय में दक्षिणी एशिया के लिए बहुत बड़ा संकट बनकर उभरने वाला है. क्योंकि इस बीमारी से निकलने के बाद दक्षिणी एशिया के सभी देशों के सामने गरीबी से उभरने की चुनौती होगी. वर्ल्ड बैंक ने रविवार को एक रिपोर्ट जारी करते हुए सभी देशों से आर्थिक विकास की दिशा में सकारात्मक फैसले लेने की अपील की है.


बैंक ने कहा है कि दक्षिणी एशिया की सभी सरकारों को स्वास्थ्य आपातकाल से निपटने के लिए तेजी से काम करना होगा. खासकर समाज के गरीब और बुजुर्गों (बुजुर्गों में संक्रमण का खतरा सबसे अधिक है) के बचाव लिए जल्द से जल्द बड़े फैसले लेने होंगे.


साथ ही आने वाले समय में आर्थिक रिकवरी के लिए जरूरी फैसलों पर भी विचार करना होगा. वर्ल्ड बैंक की ताजा रिपोर्ट 'साउथ एशिया इकोनॉमिक फोकस' ने आठ देशों में आर्थिक गिरावट का अनुमान जताया है. इसके पीछे की वजह है आर्थिक क्रियाकलापों में ठहराव, व्यापार का खत्म होना, फाइनेंशियल और बैंकिंग सेक्टर पर भारी बोझ.


वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक 2020 में क्षेत्र की विकास दर 1.8% से 2.8% के बीच रहेगी. ताजा रिपोर्ट छह महीने पहले के उस अनुमान से अलग है जिसमें विकास दर 6.3 प्रतिशत रहने की बात कही गई थी.


रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण एशिया 40 वर्षों में पहली बार इतनी खराब विकास दर का सामना करेगा. इतना ही नहीं रिपोर्ट में इस बात की चेतावनी भी दी गई है कि लॉकडाउन अगर आगे भी जारी रहा तो आने वाले समय में विकास दर निगेटिव में जा सकती है. यानी कि शून्य से भी नीचे.


दक्षिण एशिया क्षेत्र के वर्ल्ड बैंक चीफ इकोनॉमिस्ट हंस टिम्मर ने कहा, 'वैसे तो यह पूरा क्षेत्र ही नेगेटिव विकास दर की तरफ बढ़ रहा है लेकिन सबसे खराब हालत मालदीव, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और श्रीलंका की होने वाली है.'


उन्होंने बताया कि अन्य देश भी कुछ समय के लिए मंदी के दौर से गुजरेंगे लेकिन इस वित्तीय वर्ष में उनकी वृद्धि दर पॉजिटिव रह सकती है. उदाहरण के तौर पर भारत में सालाना विकास दर 1.5 से 2.8 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है. लेकिन अगर हालात बहुत ज्यादा खराब हुए तो सभी देशों की विकास दर में और कमी भी देखी जा सकती है.


वहीं हार्टविग स्कैफर (दक्षिणी क्षेत्र के वर्ल्ड बैंक वाइस प्रेसिडेंट) ने कहा है, 'सभी दक्षिणी एशिया के सरकारों के लिए प्राथमिकता यही है कि वो कोरोना महामारी फैलने पर रोक लगाएं और ज्यादा से ज्यादा लोगों को बचाएं. खासकर समाज के उन लोगों को जिनके स्वास्थ्य और आर्थिक हालात दोनों कमजोर हैं.'


उन्होंने आगे कहा कि कोरोना काल, भविष्य की चुनौतियों को देखते हुए नए फैसले लेने का भी समय है, जिससे कि इस महामारी के खत्म होने के बाद इस क्षेत्र को एक अच्छी शुरुआत मिल सके. अगर आप अच्छे फैसले लेने में असफल रहते हैं तो लंबे समय तक आर्थिक रुकावटों का सामना करना पड़ सकता है.


रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस महामारी का सबसे बुरा असर कम आय वाले लोग, खासकर हॉस्पिटैलिटी (आतिथि सत्कार) सेक्टर में काम करने वाले असंगठित मजदूर, रिटेल व्यापार और ट्रांसपोर्ट सेक्टर्स में काम करने वाले मजदूरों पर होगा. जिनके पास कोई स्वास्थ्य या सामाजिक सुरक्षा नहीं है.