मानसून सत्र: सरकार के पास कामकाज की लंबी लिस्ट, 18 दिनों तक लगातार चलेगी संसद


बीते बुधवार को राज्यसभा के अंदर की कुछ तस्वीरें सार्वजनिक की गईं. तस्वीरों में सभापति की कुर्सी पर तो खुद सभापति और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू विराजमान थे, लेकिन सदस्यों की सीट पर राज्यसभा सांसद नहीं बल्कि राज्यसभा सचिवालय के अधिकारी और कर्मचारियों को बिठाया गया था. 14 सितंबर से शुरू हो रहे संसद सत्र का ये एक मौक ड्रिल था और सभी अधिकारी और कर्मचारी सांसदों की जगह उनकी सीटों पर बैठे थे. इसी तरह की तस्वीर लोकसभा से भी आईं. शुक्रवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला लोकसभा के चैंबर में संसद सत्र चलाने की तैयारियों का मुआयना करने दर्शक दीर्घा पहुंचे. लोकसभा के चैंबर में भी यही नज़ारा दिखा. सांसदों की जगह लोकसभा सचिवालय के कर्मचारी बैठे थे और सत्र चलाने का अभ्यास कर रहे थे. लोकसभा चैंबर में सांसदों के बैठने के लिए बनी सीटों के अगल-बगल और पीछे शीशे की एक छोटी दीवार बनाई गई है ताकि संक्रमण का ख़तरा कम हो सके. हालांकि इस सत्र में लोकसभा और राज्यसभा के बीच का अंतर पट जाएगा. उसकी वजह ये है कि इस बार लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों के बैठने के लिए दोनों ही सदनों में व्यवस्था की गई. सबसे पहले बात निचले सदन यानि लोकसभा की. इस बार सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए लोकसभा के 257 सदस्यों को लोकसभा चैंबर, 172 सदस्यों को लोकसभा की गैलरी , 60 सदस्यों को राज्यसभा चैंबर जबकि 51 सदस्यों को राज्यसभा की गैलरी में बिठाने का इंतज़ाम किया गया है .दूसरी तरफ़, राज्यसभा के 57 सदस्य राज्यसभा के चैंबर में, 51 सदस्य राज्यसभा की गैलरी में जबकि बाक़ी बचे 136 सदस्यों के लिए लोकसभा के चैंबर में बैठने की व्यवस्था की गई है .सत्र के पहले दिन को छोड़कर बाक़ी दिन राज्यसभा की कार्यवाही सुबह 9 बजे से 1 बजे तक जबकि लोकसभा की कार्यवाही दोपहर 3 बजे से शाम 7 बजे तक चलेगी. इस बार दोनों सदनों में सदन के नेता और विपक्ष के नेता को छोड़कर किसी भी सदस्य के बैठने की सीट तय नहीं की गई है. समय की कमी के चलते इस बार 18 दिनों तक लगातार संसद चलेगी. कोराना और लॉकडाउन के चलते इस बार दो संसद सत्रों के बीच करीब 6 महीनों का अंतर रहा है. इसके चलते सरकार के पास कामकाज की लंबी फेहरिस्त मौजूद है. 23 मार्च को बजट सत्र खत्म होने के बाद सरकार ने 11 अध्यादेशों को मंज़ूरी दी है. सरकार की पहली प्राथमिकता इन्हीं अध्यादेशों को बिल के रूप में संसद की मंज़ूरी दिलवाना है .


 


जिन अध्यादेशों को संसद से मंज़ूरी मिलनी है वो हैं:



  • Taxation & Other Laws Ordinance ( अन्य बातों के अलावा पीएम केयर्स फंड में दान देने वालों को इनकम टैक्स में छूट देने का प्रावधान है)

  • Salary, Allowances & Pensions of Members of Parliament ( Amendment ) Ordinance

  • Salary & Allowance of Ministers ( Amendment ) Ordinance

  • Epidemic Diseases ( Amendment ) Ordinance

  • Homoeopathy Central Council ( Amendment ) Ordinance

  • Indian Medicine Central Council ( Amendment ) Ordinance

  • Essential Commodities ( Amendment ) Ordinance

  • Insolvency & Bankruptcy Code ( Amendment ) Ordinance

  • Farmers Produce Trade & Commerce Ordinance

  • Farmers Agreement on Price Assurance and Farm Services Ordinance

  • Banking Regulation ( Amendment ) Ordinance


जहां तक अन्य सरकारी कामकाज की बात है, सरकार ने सत्र के दौरान 12 नए विधेयकों को संसद में पेश करने का फ़ैसला किया है. इनमें जम्मू कश्मीर में हिंदी और डोगरी समेत 4 नई भाषाओं को मान्यता देने, असम और अरुणाचल प्रदेश समेत पूर्वोत्तर के चार राज्यों में परिसीमन, एक से ज़्यादा राज्यों में संचालित कोऑपरेटिव सोसाइटी को नियमित करने और तकनीक के ज़रिए होने वाले गर्भाधान को नियमित करने से जुड़े बिल शामिल हैं. वहीं पहले से लंबित 11 बिलों में तीन राज्यसभा में जबकि 8 लोकसभा में लंबित हैं. इनमें मज़दूरों और पेशेवर वर्ग को मिलने वाले अधिकार और सुविधाओं से जुड़े 3 बिल काफ़ी अहम हैं. इनमें Code on Social Security Bill , Industrial Relations Code और Occupational Safety , Health & Working Conditions Bill शामिल हैं. हालांकि सरकार की असल चुनौती उन मुद्दों पर विपक्ष के हमले का जवाब देना होगा जिन पर सदन में हंगामा हो सकता है. इनमें भारत चीन सीमा तनाव, कोरोना की स्थिति, देश में अर्थव्यवस्था के गिरते हालात और लॉकडाउन में प्रवासी मज़दूरों की स्थिति और फेसबुक को लेकर शुरू हुआ हालिया विवाद सबसे प्रमुख हैं. इन सभी मुद्दों पर कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष सरकार को घेरने की रणनीति बना रहा है. लॉक डाउन शुरू होने के बाद यह पहला संसद सत्र है लिहाजा विपक्ष सरकार पर हमला करने के लिए कमर कस चुका है. सत्र के पहले दिन ही सरकार और विपक्ष राज्यसभा में दो-दो हाथ करेंगे जब राज्यसभा के उपसभापति पद के लिए होने वाले चुनाव में मतदान होगा. इस चुनाव के लिए एनडीए की ओर से जेडीयू के हरिवंश नारायण सिंह और विपक्ष की ओर से आरजेडी के मनोज झा उम्मीदवार हैं. हालांकि राज्यसभा का आंकड़ा साफ तौर पर एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में है.