टर्म और मनीबैक बीमा पॉलिसियों में क्या फर्क है?


जीवन बीमा से जुड़े भ्रम भी हैं, और इसी कारण रश्मि त्रिपाठी ने मनीबैक और टर्म लाइफ इंश्योरेंस का फर्क जानने के लिए अपनी छह बीमा पॉलिसियों को ध्यान से समझना शुरू किया। कोविड महामारी का एक लाभ यह हुआ है कि दिल्ली में रहने वाली 46 साल की रश्मि त्रिपाठी अब उन तमाम दस्तावेजों को जांच-परख सकती हैं, जो महत्वपूर्ण हैं और जिनके बारे में पहले वह कुछ नहीं जानती थीं। चूंकि अब नौकरी पर जाने और वहां से लौटने में उनके तीन घंटे खर्च नहीं होते, ऐसे में, दिल्ली यूनिवर्सिटी की इस प्रोफेसर के पास अपनी आर्थिक स्थिति को समझ पाने के लिए समय ही समय था। अलबत्ता समझने की बहुत कोशिश करने के बाद भी उन्हें समझ में नहीं आया कि उनके और उनके पति के पास जो टर्म इंश्योरेंस और मनीबैक पॉलिसियां हैं, वे वास्तव में हैं क्या। जीवन बीमा बेहद महत्वपूर्ण है, लेकिन जीवन बीमा की भाषा इतनी कठिन है कि अच्छे-अच्छे लोगों के लिए भी अलग-अलग पॉलिसियों का फर्क समझ पाना मुश्किल है। जीवन बीमा दरअसल नौकरीपेशा लोगों की अचानक मृत्यु के बाद उन पर निर्भर लोगों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है। जो जीवन बीमा सिर्फ इस तरह का बीमा मुहैया कराता है, उसे टर्म लाइफ इंश्योरेंस कहते हैं। यह शुद्ध रूप से लाइफ कवर है। यह एक साधारण जीवन बीमा है, जो पॉलिसी के चलने की अवधि में बीमाधारक की मृत्यु हो जाने की स्थिति में गारंटीशुदा राशि के भुगतान का वादा करता है। बीमाधारक के उस अवधि के बाद तक जीवित रहने की स्थिति में कोई मैच्योरिटी बेनिफिट नहीं मिलता। पॉलिसी में जो सम एश्योर्ड रहता है, वह आपके जीवन का आर्थिक मूल्य है, जिस कारण आप पॉलिसी लेते हैं। मनुष्य का जीवन बेहद कीमती होता है और उसका आर्थिक मूल्य तय करना आसान काम नहीं है। लेकिन जीवन बीमा लेते हुए आप एक सम एश्योर्ड वाली पॉलिसी लेते हैं। इसके तहत पॉलिसी चलने के दौरान बीमाधारक की असमय मृत्यु पर उनके नॉमिनी को वह रकम मिलती है।

मनीबैक पॉलिसी
मनीबैक पॉलिसी एक तरह का इनडॉमेंट इंश्योरेंस है, जो डेथ कवर और बचत का मिला-जुला रूप है। इनडॉमेंट इंश्योरेंस में बीमाधारक की असमय मृत्यु पर उनके नॉमिनी को डेथ बेनिफिट मिलता है। लेकिन अगर बीमाधारक पॉलिसी की अवधि के बाद जीवित रहता है, तो उसे मैच्योरिटी बेनिफिट मिलता है, जो इस पर निर्भर करता है कि उसने कितना प्रीमियम भरा है और बीमा कंपनी ने उस प्रीमियम का निवेश कर कितना लाभ कमाया है। अमूमन मनीबैक पॉलिसी में पॉलिसीधारक को एश्योर्ड सम का कुछ हिस्सा बीच-बीच में दे दिया जाता है, हालांकि यह इस पर निर्भर करता है कि आपने कितने साल वाली पॉलिसी ली है। जैसे, अगर आपने 15 साल वाली मनीबैक पॉलिसी ली है, तो हर पांच साल पर आपको एश्योर्ड सम का एक तिहाई हिस्सा मिलेगा। बहुत से लोग मनीबैक पॉलिसी लेते हैं और समय-समय पर मिली धनराशि का इस्तेमाल बच्चों की शिक्षा, घर की मरम्मत  या बुढ़ापे में खर्च करने में करते हैं।

कौन-सी पॉलिसी बेहतर है?
इन दो तरह की पॉलिसियों के लक्ष्य अलग-अलग होते हैं। लागत के हिसाब से देखें, तो समान प्रीमियम भरने के बावजूद टर्म इंश्योरेंस का लाइफ कवर मनीबैक पॉलिसी से ज्यादा होता है। इसकी वजह यह है कि मनीबैक पॉलिसी में बचत का हिस्सा भी होता है, जो पॉलिसीधारक को मिलता रहता है। रश्मि को अपने लाइफ कवर से कोई समझौता नहीं करना चाहिए। अगर रश्मि और उनके पति ने कर्ज ले रखा है, तो निश्चित तौर पर उन्हें ज्यादा लाइफ कवर वाला इंश्योरेंस लेना चाहिए, क्योंकि यह जीवन में किसी दुर्घटना के समय बहुत कारगर साबित होता है। लेकिन इसके साथ उन्हें इनडॉमेंट या मनीबैक पॉलिसी भी लेनी चाहिए, ताकि बच्चों की शिक्षा, घर की मरम्मत या दूसरे खर्च के लिए उन्हें समय-समय पर कुछ धनराशि मिलती रहे।