आकाशगंगा न्यास एवं उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान ने मनाया साझा अमृत महोत्सव

“आकाशगंगा”, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक न्यास की स्थापना दिवस पर उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में 07 जनवरी, 2022 को यू0पी0 प्रेस-क्लब, लखनऊ में आजादी का 75वां वर्ष अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में “बाल साहित्य में राष्ट्रबोध” विषय पर परिचर्चा, सात पुस्तकों का लोकार्पण तथा आकाशगंगा “साहित्य सम्मान-2022" का कार्यक्रम आयोजन सम्पन्न हुआ। दीप-प्रज्जवन, सरस्वती वंदना एवं अतिथियों के स्वागतोपरान्त आकाशगंगा संस्थापक एवं साहित्यकार सुश्री शीला पांडे ने न्यास की उपलब्धियों और उसकी सतत्‌ एवं समृद्धि यात्रा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कोरोना काल में न्यास द्वारा डिजिटल माध्यमों से महत्वपूर्ण साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ-साथ तत्समय किये गये सामाजिक कार्यों का भी उल्लेख किया है। उन्होंने विषय पर बोलते हुए कहा कि छोटे-छोटे बच्चों ने पतंग पर लिखकर “साइमन गो बैक” मुहिम में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था। इनके आक्रोश का अंग्रेजों के मनोबल पर प्रभाव पडा था। शीला पांडे ने कहा कि स्वाधीनता के बाद राष्ट्रीय भावनाओं से ओत-प्रोत बाल कवितायें खूब लिखी गयीं। लब्ध प्रतिष्ठित मुख्य अतिथि एवं सुप्रसिद्ध साहित्यकार प्रोo सूर्य प्रसाद दीक्षित ने विषय पर परिपर्चा करते हुए कहा कि बाल साहित्य के माध्यम से बच्चों के मन में राष्ट्रबोध जागृत करना समय की मॉग है। यदि सरस, कविताओं, लघु कथाओं और जीवनियों के द्वारा बच्चों को राष्ट्रीय संस्कृति, भारतीय इतिहास, अपने महापुरुषों की जीवनवृत्त और राष्ट्रीय गौरव की जानकारी हो जाय, तो उससे अच्छे नागरिकों का व्यक्तित्व विकास किया जा सकता है। इस दृष्टि से “ताल कटोरा” जैसे काव्य-संग्रह, भूली बिसरी लोककथाएँ, शहर-शहर सतरंगी, श्रेष्ठ बाल मन की कहानियाँ जैसी कृतियों की बड़ी उपयोगिता है। इस अवसर पर शीला जी ने जो नवगीत संग्रह प्रस्तुत किये हैं, विशेष रूप से स्त्री नवगीतकारों पर जो संचयन तैयार किया है उन सबका स्वागत किया जाना चाहिए। कार्यक्रम अध्यक्ष वरिष्ठ नवगीतकार एवं संस्था संरक्षक डॉ रविशंकर पांडेय ने कहा कि प्राचीन भारतीय वांग्मय बाल साहित्य में समृद्ध रहा है. संस्कृत में पंचतंत्र की रचना ईसा पूर्व हो चुकी थी जिसका सैकड़ों विदेशी भाषाओं में अनुवाद भी हो चुका है. यह रचना पूर्णतया बाल मनोविज्ञान पर आधारित है. दादी नानी की लोककथायें भी बालसाहित्य के महत्वपूर्ण हिस्सा हैं
आधुनिक हिंदी बाल साहित्य में भी विविधता के साथ उत्तरोत्तर विकास हुआ है. आवश्यकता इस बात की है कि इसे साहित्य की मुख्य धारा में लाकर बराबर का महत्व दिया जाए |अति विशिष्ट अतिथि मोहम्मद कलीम ने कार्यक्रम की कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा की और विषय पर अपने महत्वपूर्ण विचार रखें। विशिष्ट अतिथि प्रो0 योगेन्द्र प्रताप सिंह, हिन्दी विमागाध्यक्ष, लखनऊ ने विषय पर अपने विचार व्यक्त करने के साथ-साथ पुस्तक “सूरज है रूमाल में” के बारे में कहा कि यह काम नवगीत विधा में पहला एतिहासिक कार्य हुआ है, जिसमें सभी स्त्री नवगीतकारों का प्रतिनिधित्व एक साथ किया गया है। “सूरज है रूमाल में” शीर्षक अनेक अर्थ गर्मित है। सूरज को संभावना, उपलब्धियां, आशा, प्रगति, लक्ष्य आदि समवेत अथवा स्वतंत्र रुप से किनही अर्थों में ग्रहण करें तो उसको रुमाल में समेट लेने की अभीष्सा यह स्पष्ट करती है कि मनुष्य अपनी कर्मठता, ईमानदारी, लगन, त्याग और समर्पण से कुछ भी प्राप्त करने में सक्षम हो सकता है। मुख्य वक्‍ता डा0 नागेश पाण्डेय 'संजय' और वक्ता नीलम राकेश ने राष्ट्र कवि मैथिली शरण गुप्ता, सुभद्रा कुमारी चौहान आदि सुप्रसिद्ध कवियों और लेखकों की कृ॒तियों का उद्धृढ़ देते हुए बाल साहित्य में राष्ट्रबोध की महत्ता तथा स्वधीनता आंदोलन में भी उसकी महत्वपूर्ण उपस्थिति को रेखांकित किया। कार्यक्रम में पर्यटन पर लिखी उनकी पुस्तक “शहर-शहर सतरंगी” का लोकार्पण भी हुआ। शीला पांडे की एकमुश्त पांच पुस्तकों - “गांठों की करधनी” (नवगीत-संग्रह), “ताल कटोरा“ (बाल काव्य-संग्रह), “भूली-बिसरी लोककथाएँ” (लोक बाल कहानियाँ), “21 श्रेष्ठ बालमन की कहानियाँ उ0प्र0“ (संपादन) तथा “सूरज है रूमाल में” (स्त्री नवगीतकार संचयन-संपादन) एवं अर्चना प्रकाश की पुस्तक “बूंद और बादल” (काव्य-संग्रही का भी लोकार्पण किया गया। श्री हरिमोहन बापपेई माधव, डा0 रश्मिशील, अल्का प्रमोद, तथा स्नेहलता पाठक आदि साहित्यकारों ने विभिन्‍न विधाओं की पुस्तकों पर अपने-अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम में आकाशगंगा साहित्य सम्मान-2022 डा0 नागेश पाण्डेय 'संजय' (बाल साहित्यकार), बरेली को प्रदान किया गया। साहित्यकारों और स्रोताओं से भरे हॉल में सभा का संचालन हरिमोहन बाजपेई 'माधव' ने किया। कार्यक्रम में अन्त में धन्यवाद ज्ञापन संस्था उपाध्यक्ष श्री अनिल मिश्र के द्वारा किया गया।