अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल में शुरू हुई पार्किसन क्लिनिक, गंभीर रोगियों के डीप ब्रेन स्टीम्यूलेशन सर्जरी की मिलेगी सुविधा



विश्व पार्किसन दिवस के अवसर पर हॉस्पिटल में पार्किसन के मरीजों के साथ आयोजित हुआ हेल्‍थ टॉक


लखनऊ , अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल ने विश्व पार्किसन दिवस के अवसर पर विशेष पार्किसन क्लीनिक की शुरुआत की घोषणा की। इसमें पार्किसन के मरीजों को संपूर्ण इलाज एक ही छत के नीचे मिल जाएगा। विश्व पार्किसन दिवस के अवसर पर विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा एक हेल्‍थ टाक का आयोजन किया गया, जिसमें लोगों को पार्किसन बीमारी के लक्षण और उसके इलाज के बारे में जानकारी दी गई। अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल, निजी क्षेत्र में पहला ऐसा हॉस्पिटल होगा जहां पार्किसन के मरीजों के लिए डीबीएस (डीप ब्रेन स्टीम्यूलेशन) सर्जिकल ट्रीटमेंट भी शुरू किया जा रहा है। 


अपोलोमेडिक्स सुपरस्पेशियालिटी हास्पिटल लखनऊ के डॉ मयंक सोमानी ने बताया कि पार्किसन के मरीजों का क्लीनिकल, सर्जिकल और रिहेब्लीटेशन में फिजियोथेरेपी से इलाज किया जाता है। जल्द ही हॉस्पिटल में पार्किसन रोग के इलाज के लिए डीबीएस सर्जरी भी शुरू की जाएगी। ये सर्जरी अभी प्राइवेट सेक्टर में कहीं नहीं है। इससे पार्किसन के मरीजों को एक छत के नीचे बीमारी का संपूर्ण इलाज मिल जाएगा। 


वहीं डॉ यूके मिश्रा ने बताया कि कुछ खास लक्षण इस रोग की ओर इशारा करते हैं जैसे शरीर में कंपन होना, जकड़ना, शारीरिक क्रियाओं को तेजी से न कर पाना, झुककर चलना, अचानक गिर पड़ना, याददाश्त कमजोर होना और व्यवहार में बदलाव इसके लक्षण हैं। 


प्रेस वार्ता में अपोलोमेडिक्स हास्पिटल लखनऊ के सीनियर कंसेल्टेंट डॉ गोपाल पोडडुवल ने बताया कि पार्किसन डिजीज तंत्रिका तंत्र से जुड़ा एक रोग है जिसमें शरीर के अंगों में कंपन महसूस होता है। दुनिया में करीब एक करोड़ लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं। भारत में हर साल कई मामले सामने आते हैं। यह रोग किसी भी उम्र में हो सकता है हालांकि पार्किसन रोग 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में अधिक देखने को मिलता है। 


अस्पताल परिसर में शाम को एक हेल्‍थ टाक का आयोजन किया गया जिसमें डॉ गोपाल और डॉ यूके मिश्रा ने पार्किसन रोग के मेडिकल मैनेजमेंट के बारे में विस्तृत रूप से बताया। वहीं डॉ सुनील कुमार सिंह ने पार्किसन रोग के सर्जिकल मैनेजमेंट के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि मर्ज का गंभीरता के आधार पर इलाज किया जाता है। ज्यादातर दवाओं से नियंत्रित करने की कोशिश की जाती है। डोपामिन हार्मोन आवश्यक मात्रा में बने इसके लिए दवाएं दी जाती है। एंटीऑक्सीडेंट्स व विटामिन से सम्बंधित दवाएं भी देते हैं। दवा काम न करने पर सर्जरी करते हैं जिसमें ब्रेन को स्टीमुलेट करके डोपामिन रिलीज कराने की कोशिश की जाती है। अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल के कार्यक्रम में योगेश मान्ध्यान ने पार्किसन के मरीजों को कई तरह की फिजियोथेरेपी भी बताई गई। उन्होंने बताया कि आजकल पार्किसन के मरीजों के लिए डांस थेरेपी भी आई है जिससे वे मनोरंजन के साथ अपना इलाज कर एक सामान्य जिंदगी जी सकते हैं।