राजस्थान का मशहूर वसुंधरा आईवीएफ हॉस्पिटल अब राजधानी लखनऊ में , अल्ट्रा मॉडर्न टेक्नोलॉजी के साथ सुविधाएं देगा वसुंधरा आईवीएफ

 



 राजधानी लखनऊ में वसुंधरा आईवीएफ का शुभारंभ गुरुवार अप्रैल 7, 2022 को माननीय उप-मुख्यमंत्री श्री बृजेश पाठक के कर कमलों से होगा। वसुंधरा आईवीएफ देश के जाने माने अस्पतालों में से एक है। राजस्थान के बाद अब यह अपनी सुविधाएं उत्तर प्रदेश व पड़ोसी राज्यों के निवासियों को लखनऊ में अपने अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस सेंटर के जरिए देगा। यह जानकारी वसुंधरा आईवीएफ 

सेंटर द्वारा आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में दी गई। वसुंधरा आईवीएफ डॉ. संजय मकवाना, डॉ. रेनू मकवाना, डॉ. प्रतीक मकवाना व लखनऊ सेंटर की डायरेक्टर डॉ. नूपुर बाजपेई जैसे उच्च अनुभव वाले आईवीएफ विशेषज्ञों के मार्गदर्शन द्वारा स्थापित किया गया है व संचालित किया जाएगा। वसुंधरा आईवीएफ सेंटर में कोई भी डॉक्टर, लैब टेक्निशियन या सपोर्ट स्टाफ ऑन कॉल नहीं इंगेज किया गया है, बल्कि सभी अपनी सेवाएं फुल-टाइम बेसिस पर देंगे। वसुंधरा आईवीएफ सेंटर में पुरुष और महिला प्रजनन उपचार एवं देखभाल के लिए विश्व स्तरीय सेवाएं व सुविधाएं उपलब्ध हैं। साथ ही 

यहां पर मिलने वाली यह सभी अत्याधुनिक सुविधाएं काफी रिजनेबल फीस पर उपलब्ध होंगी। वसुंधरा आईवीएफ अल्ट्रा मॉडर्न मेडिकल टेक्नोलॉजी के जरिये निसंतान दम्पतियों के जीवन में खुशियों के रंग भरता है। यहां आईवीएफ के लिए प्रयोग होने वाली तकनीक के अलावा खासतौर पर गोपनीयता और किसी प्रकार की जटिलता को रोकने के लिए इलेक्ट्रॉनिक विटनेसिंग सिस्टम का प्रयोग किया जा रहा है। 



वसुंधरा आईवीएफ का उद्देश्य विशेषज्ञों के माध्यम से व्यक्तिगत देखभाल, उपचार और परामर्श के साथ गर्भवती होने की संभावना में वृद्धि करना है। यहां आईवीएफ से संबंधित आईयूआई, आईसीएसआई, आईएमएसाई, ब्लास्टोसिस्ट ट्रांसफर, लेफर हैचिंग, भ्रूण बैंक, टीईएसए, एमईएसए, पीईएसए, लैप्रोस्कोपिक 

सर्जरी, हैस्टेरोस्कोपिक सर्जरी, सीमन फ्रीजिंग, माइक्रो सर्जरी व शुक्राणु बैंक जैसी सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। डॉ. संजय मकवाना, चीफ मेडिकल डायरेक्टर वसुंधरा हॉस्पिटल ने कहा, “लखनऊ में प्रारंभ हो रहे वसुंधरा आईवीएफ सेंटर के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएं। पिछले 25 वर्षों से निसंतानता को  

समर्पित भारत का प्रमुख केंद्र है। अब तक करीब हम एक लाख से अधिक निसंतान दंपतियों का सफल इलाज व आईवीएफ के माध्यम से लगभग 17500 से अधिक शिशुओं का जन्म करा चुके हैं। मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि यही अनुभव और विशेषज्ञता अब हम उत्तर प्रदेश के लोगों को भी उपलब्ध करा सकेंगे। “ 


डॉ. नर बाजपेई, चीफ मेडिकल डायरेक्टर, आईवीएफ विशेषज्ञ लेप्रोस्कोपिक सर्जन, वसुंधरा आईवीएफ सेंटर हेड, लखनऊ ने बताया, "निसंतान दम्पतियों के लिए अपना बच्चा पाने के लिए आईवीएफ एक कारगर उपाय है। यह एक लंबी और धैर्य के साथ पूरी की जाने वाली प्रक्रिया है, जिसमें दम्पतियों व डॉक्टर दोनों को ही काफी सहज रहकर और सजगता के साथ गुजरना पड़ता है। इसलिए इलाज के लिए आने वाले निसंतान दम्पतियों की पूरी संवेदनशीलता के साथ काउन्सलिंग की जाती है ताकि वे आईवीएफ को लेकर किसी भी प्रकार की भ्रांतियां से विचलित हुए बिना अपने घर आने वाले नन्‍हें मेहमान का स्वागत कर सकें।" 


डॉ. नूपुर बाजपेई ने बताया कि वसुंधरा आईवीएफ किस तरह अल्ट्रा मॉडर्न टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर रहा है। उन्होंने कहा, "हाल ही में आई मूवी 'गुड न्यूज' में दो पुरुषों के स्पर्म्स की अदला बदली के बाद पैदा हालात को दिखाया गया है। फ़िल्म में तो इसे कॉमेडी के लिए इस्तेमाल किया गया है लेकिन यह वास्तविक जिंदगी में एक जटिल समस्या उत्पन्न कर सकता है। इसके लिए वसुंधरा आईवीएफ इलेक्ट्रॉनिक विटनेसिंग सिस्टम का प्रयोग करता है। इसमें गोपनीयता के साथ-साथ सुरक्षित किये जाने वाले शुक्राणु व अंडाणु किसी दूसरे दम्पति के शुक्राणु-अंडाणु से न मिक्सअप हों इसका फुलप्रूफ तरीका इस्तेमाल किया जाता है। रिसेप्शन पर रजिस्ट्रेशन के बाद से ही यहां आने वाले दम्पत्ति केवल एक इलेक्ट्रॉनिक आइडेंटिटी से जाने जाते हैं, इससे उनकी पहचान हर स्तर पर गुप्त बनी रहती है। साथ ही यह आइडेंटिटी उनके शुक्राणु-अंडाणु को भी दे दी जाती है। आईवीएफ के किसी भी स्तर पर कहीं भी कोई भी गड़बड़ी होने पर एक अलार्म सिग्नल वसुंधरा आईवीएफ के सभी डॉक्टर्स के पास भेजा जाता है, जिससे वे सतर्क होकर त्वरित कार्रवाई करते हुए उस गड़बड़ी को वहीं रोक देते हैं और गुड न्यूज सिर्फ गुड न्यूज ही बनी रहती है।" 


डॉ. बाजपेई ने बताया कि आईवीएफ के जरिए दम्पति अपने बच्चे को भविष्य में जन्म देने की योजना बना सकते हैं। वे अपने शुक्राणु और अडाणु को विट्रिफिकेशन के माध्यम से सुरक्षित करा सकते हैं। आजकल भागदौड़ भारी जिंदगी में कपल्स जल्दी नहीं बढ़ाना चाहते जबतक कि वे आर्थिक व सामाजिक रूप से सुरक्षित न हो जाएं। लेकिन इस बीच उम्र बढ़ने के साथ प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है। ऐसे में कम उम्र में विट्रिफिकेशन के माध्यम से शुक्राणु-अंडाणु सुरक्षित कर भविष्य में गर्भ धारण कर बच्चे को जन्म दिया जा सकता है। कई बार यह प्रक्रिया कैंसर जैसे गंभीर रोग से पीड़ित होने पर अपनाई जा सकती है, जिसके इलाज के दौरान गर्भ धारण माताओं के लिए गंभीर जटिलता उत्पन्न कर सकता है। एक बार कैंसर का सफल इलाज हो जाए, सुरक्षित किए गए शुक्राणु-अंडाणु से गर्भ धारण कर बच्चे को जन्म दिया जा सकता है। 

इस प्रेस कांफ्रेंस में डा. संजय मकवाना, फ्लेरेंटीन हेत्थ केयर के डायरेक्टर डॉ. आशीष प्रताप सिंह, डॉ. प्रतीक मकवाना, डॉ. नूपुर बाजपेई व वसुंधरा आईवीएफ के क्षन्य विशेषज्ञ उपस्थित थे।