राजधानी लखनऊ में समाज को आइना दिखाती कृति "नरो व किन्नरों " किताब का हुआ विमोचन

 


 समय के आंवे पर जब चाक चढ़ता है तो विमर्श जन्म लेते हैं जो समाज को दिशा देते हैं।आज जब किन्नरों को नई पहचान देने का प्रयास किया जा रहा है ,ऐसे नर सिंह में बौध्द शोध संस्थान में प्रोफ़ेसर सूर्य प्रसाद दीक्षित ,श्री केसरीनाथ त्रिपाठी ,पद्मश्री डॉ विद्या विन्दु सिंह के द्वारा डॉ करुणा पांडे की सद्य प्रकाशित कृति “नरो वा किन्नरो” का लोकार्पण और उसके कथानक का नाट्य मंचन किन्नर विमर्श को एक नयी दृष्टि देता है । कई प्रश्न उठाती है नरो वा किन्नरो” कहानी संग्रह की कहानियाँ” यह शब्द हैं पूर्व राज्यपाल श्री केशरीनाथ त्रिपाठी जी के ,जो उन्होंने डॉ करुणा पांडे की कृति 'नरो वा किन्नरो' के लोकार्पण आयोजन में कहा । उन्होंने कहा कि एक अच्छा लेखक अपनी लेखनी के जरिये समाज की सही स्थिति को लोगों तक पहुंचाने की कोशिश करता है।  डॉ करुणा पांडे में तथ्यों के भीतर तक जाने की संभावना है।



लेखकीय वक्तव्य में करुणा पांडे ने कहा कि कोलकोता प्रवास के दौरान चौराहों पर इन वंचित लोगों से बातचीत हुयी और इनकी पीड़ा से द्रवीभूत होकर इन शोधात्मक सत्य घटनाओं को कहानी में पिरोया।समीक्षा के आलोक में डॉ शम्भुनाथ जी ने कहा - “ इस कृति में किन्नरों की समस्याओं को दृष्टिगत रखते हुए जो चिंतन और मंथन किया गया है ,वह किन्नर विमर्श से जुड़े हुए सन्दर्भों के सापेक्ष कालान्तर में सकारात्मक और सुपरिणाम प्रदान करेगी | डॉ विद्याविन्दु सिंह का कहना था कि “इस पुस्तक में मानवीय संवेदनाओं के साथ ही मनोवैज्ञानिक तत्व को बहुत बारीकी से रखने का प्रयास किया है।कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो.सूर्यप्रसाद दीक्षित का कहना था -“इस पुस्तक का लेखन विचारोत्तेजना के बजाय सघन संवेदनापूर्वक किया गया है ।विमर्श ,कविता और कहानियों से सजा यह गुलदस्ता किन्नर जीवन पर एक तथ्यात्मक , सटीक और रोचक दस्तावेज़ है ।किन्नरों का जो सामाजिक, मनोवैज्ञानिक विश्लेषण किया है ,वह अन्यत्र दुर्लभ है । हिन्दी में विचारपरक ऐसे प्रौढ़ एवं लोकोपयोगी लेखन को पाकर मैं आश्वस्त हूँ ।” कार्यक्रम का आरम्भ डॉ करुणा पांडे द्वारा रचित वन्दना से हुआ जिसे विमल पंत ने स्वरबध्द किया । स्वर दिया श्रीमती नीना और सरिता सिंह ने और इसको नृत्य के द्वारा प्रस्तुत किया स्वरा ने अनिल पांडे और अभिनव ने अतिथियों का स्वागत किया । सश्चालन डॉ भारती सिंह ने किया  नाट्य प्रस्तुति में नाटक का निर्देशन शुभम तिवारी ने किया | धन्यवाद ज्ञापन डॉ सीमा ने किया | कार्यक्रम में जे पी यादव, एन के एस चौहान, वी.वी.सिंह, यशपाल सिंह, के.के. महाजन , कमला श्रीवास्तव, उमा त्रिगुणायत .नीरजा जोशी, श्याम , नमन ।