श्री बंदी माता मंदिर लखनऊ में हुआ सप्तदिवसीय चंडी महायज्ञ का आयोजन




राजधानी लखनऊ के प्राचीन श्री बंदी माता मंदिर में आयोजित सप्त दिवसीय चंडी महायज्ञ का आयोजन किया गया है इस महायज्ञ का उद्देश्य विश्व कल्याण के लिऐ किया गया है। मंदिर के महंत मनोहर पुरी जी ने बताया कि इस यज्ञ का आयोजन पिछले 40 वर्षों से किया जा रहा है और वर्ष 2018 में माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी भी इस मंदिर में आए थे और मन्दिर को अपनी ओर से हर तरीके की मदद करने का आश्वासन भी दिया था। महंत जी ने बताया कि सप्त दिवसीय चंडी महायज्ञ में श्रीमद् भागवतकथा, रासलीला, एवं संत सम्मेलन का भव्य आयोजन विगत पिछले 40 सालों से किया जा रहा है हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी इस महायज्ञ में कई बड़े-बड़े राजनेता तथा समाजसेवी और श्रद्धालगन शामिल हुए । इस महा यज्ञ का शुभारंभ उत्तर प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा जी , अवध क्षेत्र के उपाध्यक्ष बीजेपी जितेंद्र सिंह, और ममता चैरिटेबल ट्रस्ट के राजीव मिश्रा के हाथों से कई गणमान्य लोगों, संतों , श्रद्धालुओं की उपस्थिति में किया गया। साथ ही साथ महंत मनोहर पुरी जी ने बताया कि वह बीजेपी सरकार के किए गए कार्यों वो बहुत ही संतुष्ट हैं क्योंकि उनके आने से हमारे सनातन धर्म का प्रचार प्रसार बहुत दूर-दूर तक हो रहा है जिस प्रकार कई वर्षों से निलंबित अयोध्या के श्री राम मंदिर का मुद्दा जो बीजेपी सरकार के आने के बाद भव्य मंदिर में परिवर्तित होने जा रहा है। 



जिस प्रकार श्रावण मास में श्रद्धालुओं के ऊपर तीर्थ यात्रा के दौरान जो हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा कराना हो और जिस प्रकार उत्तर प्रदेश सरकार ने कुंभ मेले का बड़ी ही भव्य तरीके के साथ आयोजन कराना हो और भी कई कार्य जो भी कर रही है उससे यही उम्मीद करेंगे कि उत्तर प्रदेश सरकार हमारे सनातन धर्म, मठ मंदिरों और धर्मगुरुओं की रक्षा के लिए निरंतर काम करती रहे। महंत जी ने महायज्ञ के बारे में आगे बताया कि सप्त दिवसीय चंडी महायज्ञ में सवा करोड़ आहुतियां दी जाती हैं प्रतिदिन अलग-अलग तरीकों के साथ भगवान का अभिषेक किया जाता है एवं पूजा अर्चना की जाती है। भक्तगन अपनी अपनी मनोकामनाओं को पूरी करने के लिए इस महायज्ञ में आहुतियां देते हैं । इस मंदिर के प्राचीन इतिहास के बारे में महंत जी ने बताया कि कि जब श्री रामचंद्र जी ने सीता माता का परित्याग कर दिया था तब वह एक रात्रि विश्राम करने के लिए इस मंदिर आश्रम में रुकी थी और उसके बाद उन्होने चित्रकूट के लिए प्रस्थान किया । अंत में महंत पुरी जी ने कहा कि इस महायज्ञ के आयोजन से पूरे विश्व का कल्याण हो और सभी जन स्वस्थ तन और स्वस्थ मन के साथ इस विश्व का कल्याण करने में तत्पर रहे।