दवा विक्रेता समिति लखनऊ द्वारा दवा के थोक एवं फुटकर विक्रेताओं के लिए एक सभा का किया गया आयोजन


 दवा विक्रेता समिति लखनऊ द्वारा निराला नगर स्थित एक होटल में दवा के थोक एवं फुटकर विक्रेताओं की एक सभा आयोजित की गई।

जिसमें दवा विक्रेताओं की सबसे बड़ी अखिल भारतीय संस्था एआईओसीडी के राष्ट्रीय महामंत्री श्री राजीव सिंघल जी मुख्य अतिथि के रुप में एवं ऑर्गेनाइजेशन आफ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट उत्तर प्रदेश ओसीडी यूपी के प्रदेश अध्यक्ष श्री दिवाकर सिंह जी एवं महामंत्री श्री सुधीर अग्रवाल जी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे उनके साथ प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए सभी वरिष्ठ पदाधिकारियों ने भी इस सभा में सहभागिता कर लखनऊ के सभी थोक एवं फुटकर दवा व्यापारियों को संबोधित किया ।



 सभा का मुख्य उद्देश्य दवा व्यापार में व्यापारियों को रोजाना आ रही कठिनाइयों को लेकर ऑनलाइन फार्मेसी एवं वर्तमान समय में 15 अगस्त को खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन द्वारा जारी एक  नोटिफिकेशन जिसमें नारकोटिक्स एवं साइक्रोटोपिक दवाओं के स्टाक को नियंत्रित करने का आदेश दिया गया है, इसमें कोडीन सिरप नींद एवं डिप्रेशन की दवाओं की खरीद और बिक्री को नियंत्रित किया गया है इन सभी विषयों पर विस्तृत रूप से चर्चा हुई।


सभा को संबोधित करते हुए एआईओसीडी महामंत्री श्री राजीव सिंघल ने कहा कि हम व्यापक जनहित में ऑनलाइन फार्मेसी के माध्यम से दवाओं की बिक्री को नियमित करने के सरकार के कदम का कड़ा विरोध करते हैं जो 'ई-फार्मेसी' है। श्री राजीव सिंघल ने दावा किया कि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 के तहत ऑनलाइन फार्मेसी के माध्यम से इंटरनेट पर दवाएं बेचना गैरकानूनी है।



उन्होंने कहा, "इंटरनेट के माध्यम से आसानी से नशीले पदार्थों की उपलब्धता और दवाओं के गलत उपयोग से युवाओं में नशे की लत का खतरा बढ़ गया है।"


विकसित देशों में दवाएं ऑनलाइन बेची जाती हैं, लेकिन भारत में इसकी पुनरावृत्ति नहीं हो सकती। "वर्तमान में, ऑनलाइन फार्मेसी का कारोबार अवैध रूप से चल रहा है और अधिकारी हमारे द्वारा की गई शिकायतों के लिए उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।"


उन्होंने आगे दावा किया कि इंटरनेट ऑनलाइन फ़ार्मेसी पर्चे और रोगियों की प्रामाणिकता की पुष्टि किए बिना आई-पिल, एंटी-डिप्रेशन, कोडीन कफ सिरप सहित सभी उत्पादों की आपूर्ति कर रही हैं।

ई-फार्मेसी के नाम पर ये ऑनलाइन कंपनियां उन दवाओं को भी बेच रही हैं, जिनकी अनुमति नहीं है. देश में अनेक बड़े विदेशी और देसी कॉर्पोरेट कंपनियां ऑनलाइन फ़ार्मेसी से दवाओं की आपूर्ति करने के दौरान ड्रग एवं कॉस्मैटिक क़ानून की लगातार अवहेलना कर रही हैं.


ऑर्गेनाइजेशन आफ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट ओसीडी यूपी के प्रदेश अध्यक्ष श्री दिवाकर सिंह ने कहा कि देश में दवाओं का निर्माण, आयात, बिक्री और वितरण औषधि और प्रसाधन सामग्री क़ानून और नियमों द्वारा नियंत्रित होता है. इस अधिनियम के नियम कड़े हैं और न केवल प्रत्येक आयातक, निर्माता, विक्रेता या दवाओं के वितरक के लिए एक वैध लाइसेंस होना अनिवार्य है, बल्कि यह भी अनिवार्य है कि सभी दवाओं को केवल एक पंजीकृत फार्मासिस्ट द्वारा ही दिया जाए. हालांकि, ई-फार्मेसी मार्केटप्लेस हमारे देश के कानून की खामियों का दुरुपयोग कर रहे हैं और बिना डॉक्टर के पर्चे के दवाएं बेचकर और पंजीकृत फार्मासिस्ट के बिना दवाओं का वितरण करके निर्दोष भारतीय उपभोक्ताओं के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. उन्होंने कहा ई फार्मेसी, टाटा 1एमजी, नेटमेड्स और अमेज़ॅन फार्मेसी जैसे ई-फार्मेसी मार्केटप्लेस इन घोर उल्लंघनों में सबसे आगे हैं और इन के मनमाने रवैये पर जल्द अंकुश लगना चाहिए.


ओसीडी यूपी के प्रदेश महामंत्री श्री सुधीर अग्रवाल ने कहा कि 15 अगस्त 2022 को खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन द्वारा जारी एक  नोटिफिकेशन जिसमें नारकोटिक्स एवं साइक्रोटोपिक दवाओं के स्टाक को नियंत्रित करने का आदेश दिया गया है, इसमें कोडीन सिरप, नींद एवं डिप्रेशन की दवाओं की खरीद और बिक्री को नियंत्रित किया गया है। इन सब बीमारियों के मरीजों की संख्या बहुत अधिक है जिससे कि आए दिन दवाओं की शॉर्टेज हो रही है और मरीजों को दर-दर भटकना पड़ रहा है, इस संबंध में खाद्य सुरक्षा औषधि प्रशासन के बड़े अधिकारियों से मिलकर उत्पन्न परिस्थितियों की चर्चा कर इस समस्या का निराकरण कराया जाएगा ।


 साथ ही ई - फार्मेसी पर सरकार से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि सभी दवाएं केवल पंजीकृत खुदरा फार्मेसी से वितरित की जाए हैं क्योंकि केवल एक पंजीकृत फार्मासिस्ट द्वारा उचित सत्यापन प्रक्रिया का पालन करने के बाद यह सुनिश्चित किया जाता है कि उपभोक्ताओं को ठीक वही मिले जो वे ऑर्डर करते हैं.


सरकार को ई-फार्मेसी को बंद करने के निर्देश देने चाहिए. साथ ही, किसी भी व्यक्ति को ई-फार्मेसी इकाई और उपभोक्ता के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करने के लिए वेब पोर्टल स्थापित करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. उदाहरण के लिए, यदि कोई नकली, मिलावटी या गलत ब्रांड वाली दवा उपभोक्ता तक पहुंचाई जाती है, तो फार्म इजी या नेटमेड जैसा बाज़ार हमेशा मध्यस्थ की दलील देकर छिप जाएगा जो कि वर्तमान ई-कॉमर्स व्यापार में भी एक व्यापक कदाचार है. एक इकाई जो पूरी तरह से इन्वेंट्री का मालिक है, उसे सभी परिस्थितियों में उत्तरदायी होना होगा.


*दवा विक्रेता समिति लखनऊ के अध्यक्ष प्रदीप जैन एवं महामंत्री ओपी सिंह ने कहा कि दवा व्यापारियों का किसी भी सूरत में उत्पीड़न नहीं होने दिया जाएगा व दवा व्यापारियों की सभी समस्याओं का प्रदेश संगठन से खाद्य सुरक्षा औषधि प्रशासन के अधिकारियों से मिलकर सभी समस्याओं का समाधान कराया जाएगा*


*सभा में प्रदेश के विभिन्न जिलों से पधारे ओसीडी यूपी के चेयरमैन राना चावला, संगठन मंत्री शैलेंद्र सिंह टिल्लू , कोषाध्यक्ष महेश अग्रवाल, जनसंपर्क अधिकारी योगेंद्र नाथ दूबे, मीडिया प्रभारी राजेश सिंह, एआईओसीडी सदस्य प्रदीप राणा, बनारस रीजन के अध्यक्ष संजय सिंह, बनारस के जोन सेक्रेटरी श्याम सिंह उपस्थित रहे!*

आज की इस मीटिंग में दवा विक्रेता समिति के संरक्षक अनिल जयसिंह चेयरमैन विनोद कुमार शर्मा अध्यक्ष प्रदीप चंद्र जैन महामंत्री ओपी सिंह कोषाध्यक्ष सुभाष शर्मा वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुदीप दुबे संगठन मंत्री मनीष शर्मा पी आर ओ सुनीत कपूर उपाध्यक्ष मनीष सेठ राजीव रस्तोगी संयुक्त सचिव अमित गुलाटी मोहम्मद जीशान एवं समिति के पदाधिकारी शामिल हुए।