प्रदेश के पुलिस जवानों और उनके परिजनों को चुनिंदा निजी अस्पतालों में सस्ता इलाज और कम दरों पर पैथोलॉजी जांच की सुविधा मिल सकेगी। लखनऊ समेत 15 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत शुरू की गई इस स्कीम के सफल परीक्षण के बाद नए साल में 45 और जिलों में इसे लागू करने की तैयारी है। शेष जिलों में जनवरी अंत तक यह सुविधा उपलब्ध होगी।
डीजीपी मुख्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि अभी तक निजी अस्पतालों में जांच व इलाज कराने पर एसजीपीजीआई की दरों के अनुसार प्रतिपूर्ति मिलती थी। अब केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) की निर्धारित दरों के अनुसार प्रतिपूर्ति मिलेगी। पुलिस महकमा प्रत्येक जिले में ऐसे निजी अस्पतालों के साथ एमओयू हस्ताक्षरित कर रहा है जो सीजीएचएस की दरों पर इलाज और जांच की सुविधा उपलब्ध करा सके।
दरअसल पुलिसकर्मी और उनका परिवार महंगे इलाज के कारण निजी अस्पतालों का रुख करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते थे। वजह, सरकार पीजीआई की जिन दरों के मुताबिक प्रतिपूर्ति करती थी, वह काफी कम होती थी। इसे देखते हुए डीजीपी ओमप्रकाश सिंह ने केंद्रीय अर्धसैनिक बल के जवानों को जिन दरों पर चिकित्सा सुविधा मिलती है, उसी दर पर उत्तर प्रदेश पुलिस के जवानों को भी सुविधा मुहैया कराने की पैरवी की। उन्होंने पायलट प्रोजेक्ट के तहत 15 जिलों के 130 अस्पतालों से संपर्क कर इसे लागू भी कराया।
डीजीपी मुख्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि अभी तक निजी अस्पतालों में जांच व इलाज कराने पर एसजीपीजीआई की दरों के अनुसार प्रतिपूर्ति मिलती थी। अब केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) की निर्धारित दरों के अनुसार प्रतिपूर्ति मिलेगी। पुलिस महकमा प्रत्येक जिले में ऐसे निजी अस्पतालों के साथ एमओयू हस्ताक्षरित कर रहा है जो सीजीएचएस की दरों पर इलाज और जांच की सुविधा उपलब्ध करा सके।
दरअसल पुलिसकर्मी और उनका परिवार महंगे इलाज के कारण निजी अस्पतालों का रुख करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते थे। वजह, सरकार पीजीआई की जिन दरों के मुताबिक प्रतिपूर्ति करती थी, वह काफी कम होती थी। इसे देखते हुए डीजीपी ओमप्रकाश सिंह ने केंद्रीय अर्धसैनिक बल के जवानों को जिन दरों पर चिकित्सा सुविधा मिलती है, उसी दर पर उत्तर प्रदेश पुलिस के जवानों को भी सुविधा मुहैया कराने की पैरवी की। उन्होंने पायलट प्रोजेक्ट के तहत 15 जिलों के 130 अस्पतालों से संपर्क कर इसे लागू भी कराया।
पायलट प्रोजेक्ट के मिले सार्थक परिणाम
अक्तूबर से शुरू पायलट प्रोजेक्ट के सार्थक परिणाम सामने आए। नोएडा के एक सिपाही के इलाज का खर्च निजी अस्पताल में 80 हजार रुपये था, लेकिन नई व्यवस्था के तहत उक्त सिपाही का इलाज 24 हजार में हो गया। इस 24 हजार रुपये की प्रतिपूर्ति भी विभाग की ओर से कर दी गई।
इसी तरह जो एमआरआई जांच निजी पैथोलॉजी में आम लोगों के लिए छह से सात हजार रुपये में होती है, वही जांच पुलिस कर्मियों और उनके परिजनों के लिए 2000 से 2400 रुपये तक में उपलब्ध है। अन्य जांच की दरों में भी काफी अंतर है।
लखनऊ समेत इन जिलों से हुई थी शुरुआत
लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर, गाजियाबाद, नोएडा, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, मेरठ, मुरादाबाद, अलीगढ़, बुलंदशहर, आगरा और बरेली।
इसी तरह जो एमआरआई जांच निजी पैथोलॉजी में आम लोगों के लिए छह से सात हजार रुपये में होती है, वही जांच पुलिस कर्मियों और उनके परिजनों के लिए 2000 से 2400 रुपये तक में उपलब्ध है। अन्य जांच की दरों में भी काफी अंतर है।
लखनऊ समेत इन जिलों से हुई थी शुरुआत
लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर, गाजियाबाद, नोएडा, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, मेरठ, मुरादाबाद, अलीगढ़, बुलंदशहर, आगरा और बरेली।