भारत मंदी की चपेट में,PMO के सारी शक्तियां पास रखना ठीक नहीं : रघुराम राजन


अर्थव्यवस्था की रफ्तार में आई सुस्ती पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि देश मंदी के दौर से गुजर रहा है और अर्थव्यवस्था में भारी सुस्ती के संकेत मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसका मूल कारण अर्थव्यवस्था का संचालन प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) से होना और मंत्रियों के पास कोई शक्ति नहीं होना है।
एफटीए में शामिल होने का केंद्र से आग्रह
एक पत्रिका में लिखे अपने लेख में अर्थव्यवस्था को मुसीबत से निकालने के लिए उपायों की चर्चा करते हुए राजन ने पूंजी लाने के नियमों को उदार बनाने, भूमि और श्रम बाजारों में सुधार तथा निवेश एवं ग्रोथ को बढ़ावा देने का आह्वान किया। उन्होंने सरकार से प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने तथा घरेलू क्षमता में सुधार लाने के लिए विवेकपूर्ण ढंग से मुक्त व्यापार समझौते में शामिल होने का आग्रह किया।

'पीएम के लोग लेते हैं सारे फैसले'
रघुराम राजन ने कहा, 'कहां गलती हुई है यह समझने के लिए हमें मौजूदा सरकार के केंद्रीकृत प्रकृति को समझने की जरूरत है। केवल फैसला ही नहीं, बल्कि विचार और योजना पर निर्णय भी प्रधानमंत्री के कुछ नजदीकी लोग और पीएमओ के लोग लेते हैं।' राजन ने लिखा, 'पार्टी के राजनीतिक तथा सामाजिक एजेंडे के लिए तो यह सही है, लेकिन आर्थिक सुधारों के मामलों में यह काम नहीं करता है, जहां ऐसे लोगों को यह पता नहीं कि राज्य स्तर से इतर केंद्र स्तर पर अर्थव्यवस्था कैसे काम करती है।'

'पिछली सरकारें उदारीकरण की राह पर चलीं'
उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों की गठबंधन भले ही ढीला हो सकता है, लेकिन उन्होंने लगातार अर्थव्यवस्था के उदारीकरण का रास्ता चुना। राजन ने कहा, 'मंत्रियों के शक्तिहीन होने के साथ-साथ सरकार का बेहद अधिक केंद्रीकरण और दृष्टिकोण की कमी यह सुनिश्चित करता है कि पीएमओ के चाहने पर ही सुधार के प्रयास की प्रक्रिया आगे बढ़ती है।'