दिल्ली से लेकर केरल तक नागरिकता कानून पर बवाल


नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देशभर में विरोध-प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसक घटनाओं के बाद अब इसके समर्थन में भी आंदोलन तेज होने लगा है। रविवार को दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र तक लोगों ने जहां कानून को लेकर विरोध जारी रखा, तो वहीं एक वर्ग ने इसके समर्थन में रैलियां निकालीं। बंगलूरू में समर्थन रैली से लौट रहे एक व्यक्ति पर कुछ लोगों ने धारदार हथियार से हमला तक कर दिया। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान तक तमाम राजनीतिक दलों की ओर से भी बयान सामने आए हैं।
नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करने वालों के हाथ में जब ईंट-पत्थर देखता हूं तो मुझे तकलीफ होती है। जब उनके हाथ में हिंसा के साधन देखता हूं तो भी मुझे तकलीफ होती है। परंतु जब उन्हीं में से कुछ के हाथ में तिरंगा देखता हूं, तो सुकून भी होता है। ये मोदी देश के लिए जिएगा, देश के लिए जूझता रहेगा।




भाजपा राजनीतिक फायदे के लिए समाज को बांट रही
नया कानून भेदभावपूर्ण और संविधान की आत्मा के खिलाफ है। भाजपा सरकार की बांटने वाली और जनविरोधी नीतियों के खिलाफ पूरे देश में विश्वविद्यालयों, आईआईटी, आईआईएम और अन्य अग्रणी शिक्षण संस्थानों में स्वत: विरोध की लहर है। - राजीव शुक्ला, वरिष्ठ कांग्रेस नेता




अहमदिया मुस्लिमों को भी नागरिकता कानून में दें जगह
भारत ने हमेशा अल्पसंख्यकों की रक्षा की है। राष्ट्रपति जी, मैं आपसे यह बात सरकार के संज्ञान में लाने का आग्रह करता हूं। यह महात्मा गांधी का 150वीं जयंती वर्ष है। सरकार को अहमदिया मुस्लिमों के लिए मानवीय आधार पर कदम उठाना चाहिए, जो पाकिस्तान से उत्पीड़न के कारण भागे हैं। वहां की सरकार 1974 और 1984 में संविधान संशोधन के जरिये अहमदिया को मुस्लिम समुदाय कर चुकी है। मुझे आशा है कि सरकार नागरिकता संशोधन अधिनियम के दायरे का विस्तार कर अहमदिया मुस्लिमों को भी इसमें जगह देगी। - प्रताप सिंह बाजवा, कांग्रेस सांसद ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को लिखे पत्र में कहा




दो रास्ते हैं नया कानून लागू करने से रोकने को
देश में नया कानून और एनआरसी लागू होने से रोकने के दो प्रभावी तरीके हैं। पहला, सभी प्लेटफार्म पर शांतिपूर्ण तरीके से अपनी आवाज उठाते रहिए और दूसरा, यह सुनिश्चित कीजिए कि सभी नहीं तो 16 गैर भाजपाई मुख्यमंत्रियों में से अधिकतर अपने राज्य में एनआरसी के लिए इनकार कर दें। - प्रशांत किशोर, जदयू उपाध्यक्ष




शाह को कोलकाता एयरपोर्ट से बाहर नहीं निकलने देंगे
यदि नया कानून तत्काल वापस नहीं लिया गया तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जब भी कोलकाता आएंगे, हम उन्हें एयरपोर्ट से बाहर कदम नहीं रखने देंगे। हम उन्हें रोकने के लिए एक लाख लोग जमा करेंगे। यह कानून मानवता और देश में सदियों से रह रहे नागरिकों के खिलाफ है। - सिद्दीकुल्लाह चौधरी, पश्चिम बंगाल के मंत्री व जमीयत-उलमा-ए-हिंद के प्रदेश अध्यक्ष




गांधी, नेहरू का वादा पूरा करने को लाए कानून
असम के लिए 1985 में एनआरसी कांग्रेस की तत्कालीन केंद्र सरकार ने पेश की थी। इसे शेष भारत में लागू करने का फैसला 2003 में लिया गया। कांग्रेस पार्टी ने ही यह नीति पेश की थी। आज नागरिकता संशोधन कानून महात्मा गांधी और पंडित नेहरू द्वारा उन बंटवारा पीड़ितों से किए गए वादे को पूरा करने के लिए लाया गया है, जो पाकिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न का शिकार हुए हैं। - आरिफ मोहम्मद खान, राज्यपाल, केरल